एक कहावत है, जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते हैं। पाकिस्तान पर यह कहावत इस समय सटीक बैठ रही है। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी में जिस तरह से अलगाववादियों और आतंकवादियों के जरिये अशांति फैलाई उसके जवाब में लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान का मुद्दा उठाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो करारा झटका दिया है वह पाकिस्तान के लिए नई परेशानी खड़ी कर रहा है। बलूचिस्तान की आजादी की मांग कर रहे लोगों में जहां इससे नया जोश आया है वहीं इस इलाके में इसके बाद बढ़े विरोध प्रदर्शन से पाकिस्तान घबरा गया है। बलूचों के बढ़ते विरोध को देखते हुए पाकिस्तान को अफगानिस्तान सीमा से लगे बलूचिस्तान के एंट्री प्वाइंट को बंद करने को मजबूर होना पड़ा है।

यही नहीं बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने मोदी के बयान का समर्थन कर पाकिस्तान को मुश्किल में डाल दिया है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हुए कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री ने बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के प्रभावित होने और उनका हनन होने का जो मसला सामने रखा है वह बताता है कि वहां के लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान की इस नीति का खामियाजा पड़ोस के और इलाकों के लोगों को भी उठाना पड़ रहा है। भारत दौरे पर आए हामिद करजई ने इंस्टीट्युट आॅफ पीस एंड कान्फिल्क्ट स्टडीज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने पाकिस्तान से निवेदन किया था कि वे बलूचिस्तान की स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करें। बलूचिस्तान में अफगानिस्तान की खासी भागीदारी है। करजई ने कहा कि भारत को अफगानिस्तान के रक्षा बलों की सहायता करने से हिचकना नहीं चाहिए। अफगानिस्तान का मानना है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान के कई क्षेत्रों से नियंत्रण खो चुका है। इससे पहले बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन उल हक इनू ने भी बलूचिस्तान और पाकिस्तान के अन्य भागों में जताई गई हिंसा पर गंभीरता जताई थी।

पाक आतंक का गढ़ 
आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए करजई ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है। पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को लगातार बढ़ावा मिल रहा है जो पूरे क्षेत्र की शांति के लिए खतरा है। यह किसी के भी हक में नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी के हक में नहीं है और अफगानिस्तान, भारत और पाकिस्तान सबको शांति के साथ मसलों का हल ढूंढना चाहिए।

कश्मीर के लोग लें सबक
कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की मदद पर हामिद करजई ने कहा कि कश्मीर के लोगों को अफगानिस्तान से सबक लेना चाहिए। अफगानिस्तान पड़ोस से पहले मदद के नाम पर भेजे गए आतंकियों की सजा आज भी भुगत रहा है। पहले मदद के नाम पर पड़ोस से हस्तक्षेप हुए और आज लोगों की जानें जा रहीं हैं। पहले पाकिस्तान ने सुसाइड बॉम्बर्स भिजवाए, आतंकी भिजवाए इसका नतीजा अब खुद पाकिस्तान भी भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के भाइयों और बहनों से अपील है कि वे अफगानिस्तान के लोगों के दर्द को महसूस करें। पहले लोग मदद के नाम पर हमारे देश में आए फिर आतंकवाद को बढ़ावा मिलने लगा और हम आज तक इस मुसीबत को झेल रहे हैं।करजई ने माना कि अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का खतरा बढ़ा है। इससे मिलजुलकर निपटना चाहिए। ये पूरे क्षेत्र और लोगों की जिंदगी के लिए जरूरी है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने में भारत की मदद की अपील की।

बलूचों का बढ़ा विरोध

उधर, पाकिस्तान ने अफगान नागरिकों के एक समूह के प्रदर्शन और अशांत बलूचिस्तान के प्रवेश द्वार पर हमले की कोशिश के बाद अफगानिस्तसान से लगते अपने मुख्य सीमा प्वाइंट में से एक को बंद कर दिया है। बड़ी संख्या में लोग गुरुवार को अफगानिस्तान का राष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए बलूचिस्तान के चमन में फ्रेंडशिप गेट पर एकत्र हुए थे। इस दौरान कुछ अफगान नागरिकों ने गेट पर हमला किया और पाकिस्तानी झंडे को जला दिया। इससे अधिकारियों को अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात करना पड़ा और गेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ा। एक अधिकारी ने बताया कि स्पिन बोल्दाक शहर से ताल्लुक रखने वाले अफगान नागरिकों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बलूचिस्तान संबंधी टिप्पणियों का पाकिस्तान की ओर से विरोध किए जाने के बाद भारत के पक्ष में नारे लगाए। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए और गेट पर पत्थर फेंके। सीमा बिन्दु को बंद किए जाने से सीमा के दोनों तरफ ट्रकों और लॉरियों की लंबी कतार लग गई। आवश्यक आपूर्ति के बुरी तरह बाधित होने से दोनों तरफ के व्यापारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। पाकिस्तान ने इससे पहले जून में अफगान बलों के साथ घातक झड़पों के बाद उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में तोरखम सीमा बिन्दु को बंद कर दिया था।