निशा शर्मा।

दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन में इस बार ABVP ने चार सीटों में से तीन सीटें अपने खाते में कर ली हैं। छात्र संघ चुनावों के रिजल्ट आते ही यह खबरें बनने लगीं कि 2019 में क्या बीजेपी की जीत तय है?

कहा जाता है कि छात्र संघ चुनावों में पार्टियां अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती हैं ताकि चुनावों के लिए एक उचित माहौल तैयार किया जा सके। इसी कड़ी में बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत इन चुनावों में झोंक दी थी। दोनों पार्टियां चाह रही थी कि जीत उनके हाथ लगे हालांकि जीत ABVP के हिस्से आई। ABVP के अंकिव बसोया ने प्रेसिडेंट पद जीता, शक्ति सिंह ने वाइस प्रेसिडेंट पद और ज्योति चौधरी ने ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर कब्जा किया है, वहीं NSUI के खाते में सिर्फ एक सीट आई जिस पर आकाश चौधरी सेक्रेटरी बने हैं।

छात्र संघ चुनावों में ABVP के जीत हासिल करने के बाद बीजेपी में उत्साह देखने को मिल रहा है। पार्टी ने छात्र संघ चुनावों को 2019 के चुनावों से जोड़ कर देख रही है। ABVP की जीत पर सांसद मनोज तिवारी कहते हैं ”छात्रों ने बीजेपी पर भरोसा दिखाया है। छात्र संघ चुनावों के नतीजे सीधे तौर पर इशारा कर रहे हैं कि राहुल गांधी, केजरीवाल, कम्यूनिस्ट पार्टी को छात्रों ने सिरे से नकार दिया है। विपक्ष जो मिलकर लड़ने की बात कह रहा था। उसके मुंह पर छात्र चुनाव के परिणामों ने करारा तमाचा मारा है। ये लोग सिर्फ थोथी राजनीति कर रहे हैं। सवर्णों के नाम पर आतंक मचाने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे लोगों को पढ़े-लिखे नौजवानों ने समझ लिया है। तभी इन्हें इस हार का सामना करना पड़ा है। अब इन पार्टियों को अपना आत्म मंथन करने की जरूरत है ताकि वह धरातल की बात कर सकें ना कि ख्याली पुलाव पकायें। हम उन सभी छात्रों का अभिनंदन करते हैं जिन्होंने बीजेपी की विचारधारा में अपना विश्वास दिखाया है। ये परिणाम घोषित करते हैं कि 2019 में बीजेपी की सरकार आएगी।

वहीं NSUI के अध्यक्ष रहे एज़ाज शाह DUSU के चुनावों को 2019 से जोड़ कर नहीं देखते हैं। उनका कहना है कि जरूरी नहीं है कि छात्र संघ चुनावों में अगर ABVP ने जीत हासिल की है तो 2019 में बीजेपी ही आएगी। पूछने पर कि पिछले करीब 20 सालों से ऐसा ही हो रहा है तो वह कहते हैं- जरूरी नहीं है कि जो बीस सालों से हो रहा हो वह अब भी होगा। बीजेपी से लोग परेशान हैं एक आम आदमी जो पहले सात सौ से आठ सौ रूपए की आमदनी करता था वह अब चार सौ रुपए भी नहीं कमा पा रहा है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ रहे हैं। ऐसे में कौन बीजेपी को वोट देगा। ओपिनियन पोस्ट के सवाल पूछने पर कि विश्वविद्यालय में तो पढ़े-लिखे छात्रों ने वोट किया है जो पेट्रोल या डीजल का भी इस्तेमाल करते होंगे ऐसे में ABVP के चुनाव जीतने के क्या कारण आप मानते हैं पर एजाज कहते हैं कि बीजेपी सताधारी पार्टी है, उसने करोड़ों रूपए इन चुनावों पर जीत के लिए लगाए हैं, छात्रों को प्रलोभन दिए गए। इसी कारण ABVP ने जीत हासिल की है।

बताते चलें कि 20 सालों से ऐसा हो रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले जिस पार्टी ने स्टूडेंट यूनियन में कब्जा किया अगले साल उसी पार्टी की केंद्र में सरकार बनी है। DUSU का चुनाव कहने को यूनिवर्सिटी का चुनाव है, पर देश की राजनीति में आने वाले तूफान का संकेत यहीं से मिलता है।ये सिलसिला 1998 से चला आ रहा है।