ओपिनियन पोस्‍ट।

पिछड़ा आयोग की सिफारिश के आधार पर फडणवीस सरकार ने बड़ा दांव खेला है। उसने मराठा रिजर्वेशन बिल पेश किया, जो पास भी हो गया। इस बिल के अनुसार मराठों को 16 फीसदी आरक्षण मिलेगा। मराठा आरक्षण के लिए विशेष कैटेगरी एसईबीसी  बनाई गई है।

सरकार की कोशिश 5 दिसंबर से राज्य में मराठा आरक्षण लागू करने की है। सरकार की कोशिश होगी होगी कि 30 नवंबर को विधेयक पारित हो जाए। इसके बाद अगले पांच दिन में कानूनी औपचारिकता पूरी कर इसे अमल में लाया जा सके।

इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। एक प्रतिक्रिया कुछ यूं सामने आई- देश तरक्की पे है और मराठा खुद को पिछड़ा घोषित कराने में लगे हैं।

बता दें कि महाराष्ट्र में 76 फीसदी मराठी खेती-किसानी और मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। सिर्फ 6 फीसदी लोग सरकारी-अर्ध सरकारी नौकरी कर रहे हैं। मराठों के आरक्षण की मांग 1980 के दशक से लंबित पड़ी थी। राज्य पिछड़ा आयोग ने 25 विभिन्न मानकों पर मराठों के सामाजिक,  शैक्षणिक और आर्थिक आधार पर पिछड़ा होने की जांच की।

सभी मानकों पर मराठों की स्थिति दयनीय पाई गई। इस दौरान किए गए सर्वे में 43 हजार मराठा परिवारों की स्थिति जानी गई। इसके अलावा जन सुनवाइयों में मिले करीब 2 करोड़ ज्ञापनों का भी अध्ययन किया गया।

पिछले दिनों फडणवीस कैबिनेट ने मराठा आरक्षण के लिए बिल को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही राज्य में मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो गया था। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमें पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मिली थी, जिसमें तीन सिफारिशें की गई हैं।

उन्‍होंने बताया था मराठा समुदाय को सोशल एंड इकनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (एसईबीसी) के तहत अलग से आरक्षण दिया जाएगा। हमने पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और इन पर अमल के लिए एक कैबिनेट सब कमिटी बनाई गई है।

महाराष्ट्र विधानसभा में सीएम फडणवीस ने कहा, ‘हमने मराठा आरक्षण के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली है और हम आज विधेयक लाए हैं।’  हालांकि फडणवीस ने धनगर आरक्षण पर रिपोर्ट पूरी न होने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘धनगर आरक्षण पर रिपोर्ट पूरी करने के लिए एक उप समिति का गठन किया गया है और जल्द ही एक रिपोर्ट और एटीआर विधानसभा में पेश की जाएगी।’

हिंसक हो गई थी आरक्षण की मांग

मराठा आरक्षण को लेकर 2016  से महाराष्ट्र में 58 मार्च निकाले गए। हाल ही में मराठों का उग्र विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिला था। यह मामला कोर्ट के सामने लंबित होने से सरकार ने पिछड़े आयोग को मराठा समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति जानने की जिम्मेदारी दी थी।

पिछले कुछ दिनों से मराठा और धनगर समाज के आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में गतिरोध बना हुआ था। मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ने एक-दूसरे की नीयत पर शक-सवालों और तर्क-वितर्क की बारिश कर दी थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष के मन में काला होने का आरोप लगाया, तो विपक्ष ने सरकार की नीयत पर शक जताया था।