बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अावाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एनडीए छोड़ राजद-कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ जुड़ने का ऐलान किया है। इसके साथ ही बिहार की सियासत गरमा गई है। मांझी पिछले कई महीने से एनडीए से नाराज चल रहे थे क्योंकि उनकी मांगें नहीं मानी जा रही थी। हालांकि नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद से ही ये कयास लगाए जाने लगे थे कि मांझी एनडीए छोड़ सकते हैं।

बुधवार को जीतनराम मांझी से राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव एवं तेजप्रताप यादव ने उनके आवास पर मुलाकात की। वहां करीब एक घंटे की बैठक के बाद मांझी ने यह घोषणा कर दी कि वे राजद से अलग हो रहे हैं और महागठबंधन में शामिल हो रहे हैं। इस मुलाकात के बाद तेजस्‍वी यादव ने कहा कि जीतनराम मांझी बिहार के बड़े नेता हैं। वे दलितों-पिछड़ों के नेता हैं। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री रहते हुए काफी सराहनीय काम किया है। मांझी लगातार दलितों और पिछड़ों की अावाज उठाते रहे हैं। तेजस्‍वी ने कहा कि मांझी उनके लिए पिता तुल्‍य व अभिभावक हैं। अब वे साथ आ गए हैं। महागठबंधन में उन्‍हें हमेशा सम्‍मान मिलेगा। एनडीए में सहयोगी दलों का सम्‍मान नहीं किया जाता है।

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी ने कहा कि जीतनराम मांझी का महागठबंधन में स्‍वागत करते हैं। मांझी को एनडीए में बेइज्‍जत किया जा रहा था। उनकी किसी बात को नहीं माना जाता था। वे वहां घुटन महसूस कर रहे थे। अब वे हमारे साथ आ गए हैं। यहां उन्‍हें सम्‍मान मिलेगा। मांझी जी और हमारी विचारधारा एक समान है।

बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष कौकब कादरी के मांझी के महागठबंधन में शामिल होने के फैसले का स्‍वागत किया है। उन्होंने कहा कि मांझी जी ने देर से लेकिन दुरूस्त फैसला लिया है। वे महागठबंधन विचारधारा के हैं। एनडीए ने सिर्फ मांझी का दोहन किया है। आने वाले समय में रालोसपा भी महागठबंधन में शामिल होगी।

विधान परिषद की दो सीटों पर बनी बात 
सूत्रों के अनुसार, मांझी और तेजस्‍वी के बीच बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान हम पार्टी को विधान परिषद चुनाव में दो सीटें देने की बात कही गई है। मांझी ने एक सीट प्रदेश अध्‍यक्ष वृषण पटेल तथा दूसरी सीट अपने बेटे संतोष मांझी के लिए मांगी है। इससे पहले मांझी ने कहा था कि जो पार्टी उनके नेता का राज्यसभा में समर्थन करेगी, उसके साथ आगे की राजनीति का विकल्प खुला हुआ है। बच्चा जब तक रोता नहीं है, तब तक मां उसे दूध नहीं पिलाती है। कुछ ऐसी ही स्थिति राजग में उनकी पार्टी की हो गई है। उन्‍होंने कहा था कि एनडीए में किसी भी मुद्दे पर उनकी राय नहीं ली जाती है। एनडीए के कार्यक्रमों में उन्‍हें निमंत्रण तक नहीं दिया जाता है।

जहानाबाद विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए भी मांझी ने अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन उनकी पार्टी को यह सीट नहीं मिली। इसके बाद मांझी ने कहा था कि एनडीए में सबको कुछ न कुछ मिल रहा है। एक ‘हम’ ही है जिसे कुछ नहीं मिला।

2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की करारी हार के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नीतीश के करीबी जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया।सीएम बनने के बाद मांझी और नीतीश में दूरियां बढ़ने लगीं। मांझी लगातार विवादों में घिरे रहे। कभी अपने फैसलों की वजह से तो कभी अपने बयानों के कारण। 2015 में जनता दल (यू) ने जीतन राम मांझी से इस्तीफा देने कहा, उनके मना करने पर उन्हें पार्टी से बाहर होना पड़ा और नीतीश कुमार फिर से सीएम बने। मई 2015 में मांझी ने अपनी नई पार्टी ‘हम’ का गठन किया और विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस समय विधानसभा में मांझी अपनी पार्टी के इकलौते विधायक हैं।

साल 1990 तक मांझी कांग्रेस सदस्य रहे। कांग्रेस की टिकट पर 1980 से 1990 तक वे विधायक बने। इसके बाद वे राजद में शामिल हो गए और 1996 से 2005 तक राजद के विधायक रहे। साल 2005 में उन्होंने जेडीयू ज्वॉइन कर ली।