ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी गुरुवार को भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैदराबाद पहुंचे। वे दो दिन तक हैदराबाद में रुकेंगे। रूहानी शनिवार को नई दिल्ली जाएंगे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नई भारत और ईरान आपसी हित के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। दोनों नेताओं के बीच इस दौरान चाबहार पोर्ट को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिए जाने पर बात होने की उम्मीद है। राजनीतिक क्षेत्र के साथ ही दोनों देशों के बीच आर्थिक क्षेत्र में 15 करार होने की उम्मीद है।

दरअसल, रूहानी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ईरान, भारत का प्रमुख कच्चा तेल सप्लायर देश है। उसके साथ भारत का सालाना करीब 83 हजार करोड़ का कारोबार होता है। इसमें से 67 हजार करोड़ रुपए का कच्चा तेल और उससे जुड़ी चीजें भारत आयात करता है। जिन समझौतों पर दस्तखत हो हाेने की उम्मीद है, उनमें वीसा जारी करने की सुविधा, काउंसलर सहयोग समेत अन्य क्षेत्र शामिल हैं। ईरान के प्रतिनिधिमंडल में वहां की तेल कंपनी फरजाद-बी गैस फील्ड के अधिकारी भी आए हैं। उनके साथ कई अहम करार हो सकते हैं।

ईरान पर 2015 में अमेरिका, चीन समेत 6 देशों ने प्रतिबंध लगा दिए थे। इस संकट में भारत उसकी आय का प्रमुख स्रोत है। इसलिए वह भारत के साथ रिश्ते मजबूत कर साझेदारी बढ़ाना चाहता है।  2016 में पीएम मोदी की ईरान यात्रा में दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर दस्तखत किए गए थे। राष्ट्रपति रूहानी के साथ 5 मंत्री भी आए हैं। मंत्रियों में विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ, उप राष्ट्रपति फॉर इकोनॉमी मोहम्मद नहवांदियां, तेल मंत्री बिजान जांगनेह, सड़क मंत्री अखौंदी, उद्योग- व्यापार मंत्री शरियामादरी और रूहानी के चीफ ऑफ स्टाफ मेहमूद शामिल हैं।