जापान और भूकंप का रिश्ता पुराना है। आए दिन जापान में भूकंप के झटके लोगों को लगते रहते हैं हालही में दक्षिणी जापान में भारतीय समयानुसार शुक्रवार देर रात (जापान में शनिवार तड़के) 7.4 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के झटके लगे। 24 घंटे के अंतराल में आए दो शक्तिशाली भूकंपों में 29 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग ध्वस्त हो चुके घरों के मलबे में दबे हैं।इस भूकंप के चलते अब सुनामी आने का खतरा भी बढ़ गया है। भूकंप के बाद जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने सुनामी की चेतावनी जारी कर दी है। जापान के आरिएके और यातसुशिरो समुद्र में भीषण हलचल पैदा होने की चेतावनी के चलते लोगों को तटीय इलाकों से दूर जाने के लिए को कहा गया है। स्थानीय मीडिया एनएचके के मुताबिक समुद्र में एक मीटर ऊंची लहरें उठ सकती हैं।

earthभूकंप के कारण हजारों लोगों को जिम और होटल लॉबियों में जाकर शरण लेनी पड़ी है। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है जिसके चलते अभी मरने वालों की संख्या का सही सही पता नहीं चल पाया है। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक भूकंप का केंद्र जापान के कुमामोटो शहर के समीप 40 किमी की गहराई पर था। इससे पहले अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने 7.1 तीव्रता का भूकंप आने की जानकारी दी थी, जिसका केंद्र उसी स्थान के पास सात किमी की गहराई पर बताया था।

सार्वजनिक प्रसारक एनएचके का कहना है कि भूकंप के भारी झटकों से देश की बुलेट ट्रेनों का संचालन अस्थायी रूप से रोकना पड़ा । जापान चार टेक्टोनिक प्लेटों के मध्य में स्थित है और दुनिया में जितने भी सबसे शक्तिशाली भूकंप आते हैं उनमें से 20 प्रतिशत जापान के आसपास महसूस किये जाते हैं। लेकिन कठोर निर्माण नियमों और उनके कड़ाई से पालन के चलते शक्तिशाली झटकों के बावजूद अक्सर नुकसान बेहद कम होता है ।

भूकंप के चलते जापान सदी की सबसे भयावह परमाणु त्रास्दी झेल चुका है। मार्च 2011 में एक बड़े पैमाने पर पानी के भीतर आये भूकंप से जापान के पूर्वोत्तर तट को भीषण सुनामी लहरों का सामना करना पड़ा था । इस हादसे में 18,500 लोग मारे गए या लापता हुये थे। सुनामी के चलते फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में कई रिएक्टर पिघल गये जिससे विकिरण का खतरा पैदा हो गया।