निशा शर्मा।

कुछ शहर आबाद होकर तो कुछ बर्बाद होकर इतिहास बनाते हैं, आबाद के बाद बर्बाद शहर की बात को पुख्ता करता है सीरिया का सबसे शानदार रहा शहर एल्लपो। जो दुनिया में अपनी मुस्लिम विरासत के लिए जाना जाता था आज यह शहर तबाही का गवाह बन गया है। शहर में गोले बारुद की आवाजें है, उड़ती धूल और खंडहर हुई इमारतें है।

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गोले बारुद की आवाजों में कहीं पर दबी आवाज़े भी हैं और यह आवाज़ें हैं एल्लपो के उन बच्चों की जो अनाथ हो गए हैं या तो उनके माता-पिता की मौत हो गई है या फिर वह अपने माता- पिता से अलग हो गए हैं। यह बच्चे सोशल मीडिया के जरिये दुनिया से मदद की गुहार लगा रहे हैं। जिसमें से एक लड़की बाना भी थी जिसके ट्वीट के बाद से उसे बचाने के लिए दुनियाभर से संदेश आने लगे और उसे बचाया गया। बाना की मां फातिमा ने गार्जियन को दिए एक इंटरव्यूह में कहा कि मैं और बाना पूरी दुनिया को बताना चाहते हैं कि ना जाने कितने बच्चे अभी भी उस गोलाबारी में फंसे हुए है जहां जिन्दगी पूरी तरह खत्म हो चुकी है।

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हजारों लोग एल्लपो में चल रहे संघर्ष में अपनी जान गंवा चुके हैं और कुछ जिन्हें सुरक्षित जगह पर शरण मिली है वहां भी वह अपने सांसों को गिन रहे हैं कि ना जाने कब उस जगह पर भी बंबारी हो जाए और कब उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़े। बाना की मां फातिमा भी खुद को खुशकिस्समत मानती हैं जो गोलीबारी के बीच से सुरक्षित निकली हैं। लेकिन फातिमा अफसोस जाहिर करते हुए कहती हैं कि उन्हें अपना देश, अपनी जगह छोड़नी पड रही है वह अपने ही देश में एक नागरिक के अधिकारों के साथ रहना चाहतीं थी ना कि शर्णार्थियों की तरह किसी देश में रहना चाहती हैं लेकिन वह जानती हैं कि उनके देश के हालात ठीक नहीं हैं। वह बताती हैं कि अपने मुल्क से दूर जाने का सफ़र उन्होंने भूखे प्यासे और जिन्दगी के लिए दौड़ते हुए बिताया है।

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गार्जियन वेबसाइट  के मुताबिक अब तक करीब 15000 बच्चे और 3,00,000 लोग इस संघर्ष में जान गवा चुके हैं।

ऐल्लपो की औरतों के साथ बुरा सलूक किया जा रहा है, यह औरतें खुद के साथ बलात्कार जैसी घटनाओं से बचने के लिए आत्महत्या के लिए मजबूर हैं। अंग्रेजी अखबार डेल्ही बेस्ट के मुताबिक एक दिन में करीब 20 औरतों ने बलात्कार जैसी घटनाओं से बचने के लिए आत्महत्या कर ली।

राजदूत स्टाफन डी मिस्तूरा ने बीबीसी को बताया था कि  कुल मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा दो महीने में पूर्वी एल्लपो शहर पूरी तरह तबाह हो जाएगा, हज़ारों सीरियाई नागरिक, आतंकवादी नहीं हैं लेकिन मारे जाएंगे और कई घायल होंगे।

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एल्लपो शहर का हाले बंया आज चाहे बर्बादी जैसे शब्दों के इर्द गिर्द हो लेकिन यह शहर सीरिया के सबसे अधिक आबादी वाला शहर और एक व्यावसायिक केन्द्र रह चुका है। यह वही शहर है जिसका जिक्र शेक्सपियर ने अपने चर्चित नाटक औथेलो में किया है, यह वही शहर है जिसने दुनिया में अपनी विरासत का डंका बजाया लेकिन आज यह वही शहर है जो कईं औरतों, मासूम बच्चों और निर्दोष लोगों की हत्या के जख्मों से भर गया है या फिर टूट गया है। जख्मी और टूटा यह शहर उस समय भी इतना नहीं टूटा था जब अरब क्रांति का दौर था। उस समय भी यह शहर शांत था लेकिन 2011 में मार्च महीने से यह शहर ऐसा अशांत हुआ कि आज यहां के लोग पनाह पाने के लिए दुनिया के मोहताज हैं।

Syrian residents, fleeing violence in the restive Bustan al-Qasr neighbourhood, arrive in Aleppo's Fardos neighbourhood on December 13, 2016, after regime troops retook the area from rebel fighters. Syrian rebels withdrew from six more neighbourhoods in their one-time bastion of east Aleppo in the face of advancing government troops, the Syrian Observatory for Human Rights said. / AFP / STRINGER (Photo credit should read STRINGER/AFP/Getty Images) *** BESTPIX ***