ओपिनियन पोस्‍ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विवादित कारोबारी मोइन अख्तर कुरैशी की जमानत रद्द करने की मांग वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर आरोपी से आज जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति ए के पाठक ने एजेंसी की याचिका पर कुरैशी को नोटिस जारी किया और इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 19 अप्रैल की तारीख तय की।

ईडी ने गत वर्ष 12 दिसंबर को यहां की एक निचली अदालत से मिली कुरैशी की जमानत को चुनौती दी थी। जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन ने दलील दी कि यह आर्थिक अपराध का मामला है और कुरैशी के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं। महाजन ने कहा कि कुरैशी की जमानत को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि निचली अदालत ने आपराध प्रकृया संहिता सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार फैसला नहीं दिया था।

अदालत ने कहा, आर्थिक अपराध का यह मतलब नहीं है कि आप किसी व्यक्ति को पकड़ कर रखेंगे और उसे आजीवन जेल में रखेंगे। अदालत ने कहा, मैं जानता हूं कि उनके खिलाफ यह आरोप है कि उन्होंने देश के साथ धोखा किया है लेकिन अगर कल वह बरी हो जाएंगे तो उसकी भरपाई कौन करेगा।

निचली अदालत ने कुरैशी को जमानत देते हुए उन्हें अपना पासपोर्ट जमा कराने के निर्देश दिए थे और साथ ही अदालत की मंजूरी के बिना देश छोड़कर नहीं जाने और मामले में गवाहों को प्रभावित नहीं करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा कि इस मामले की जांच करने वाले ईडी को कुरैशी द्वारा किए गए कथित  मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का पता लगाने का पूरा मौका दिया तथा समय-समय पर कानून के तहत उसकी हिरासत भी दी गई।

उसने कहा कि कुरैशी ने अपनी गिरफ्तारी से पूर्व जांच में सहयोग किया और ऐसे कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की। ईडी ने पिछले साल अगस्त में कुरैशी को गिरफ्तार किया था। एजेंसी के मुताबिक, कुरैशी को  मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था और वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।