उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी प्लांट में बुधवार को बॉयलर फटने से मरने वालों की संख्या 30 हो गई है। जबकि 100 से अधिक घायलों का इलाज प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल तीन लोगों को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों की स्थिति को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।

इस भयानक हादसे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित तमाम नेताओं ने दुख जताया है। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात दौरा छोड़ गुरुवार को घायलों और मृतकों के परिजनों से मिलने रायबरेली पहुंचे और घटनास्थल का जायजा लिया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने भी घायलों का हालचाल जाना और एनटीपीसी अधिकारियों को घटना की जांच के आदेश दिए।

राहुल ने की निष्पक्ष जांच की मांग

कहा जा रहा है कि 500 मेगावाट के इस प्लांट को समय से पहले ही चालू कर दिया गया। प्लांट के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि यहां के महत्वाकांक्षी जीएम ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर समय से पहले ही प्लांट को मैनुअली चलवा दिया जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ। हादसे के शिकार लोगों के परिजनों से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, ‘लोग कह रहे हैं कि एनटीपीसी के इस संयंत्र को समयपूर्व चला दिया गया। इस घटना की सरकारी नहीं बल्कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।’ इस दर्दनाक घटना की खबर मिलने के बाद राहुल ने गुजरात का चुनावी दौरा छोड़ रायबरेली का रुख किया। वे सूरत से गुरुवार सुबह रायबरेली पहुंचे और अस्पताल जाकर घायलों से मिले। वे पोस्टमॉर्टम हाउस भी गए और मृतकों के परिजनों से मिलकर उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। रायबरेली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है। सोनिया गांधी ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा है कि वो रायबरेली आना चाहती थीं लेकिन बीमार होने की वजह से नहीं आ सकीं। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर को निर्देश दिया है कि कांग्रेस कार्यकर्ता पीड़ितों की हरसंभव मदद करें।

रायबरेली के अस्पताल में घायल श्रमिक का हालचाल जानते राहुल गांधी
रायबरेली के अस्पताल में घायल श्रमिक का हालचाल जानते राहुल गांधी

पीएम-सीएम ने किया मुआवजे का ऐलान

इस घटना के तुरंत बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को जरूरी निर्देश देने के साथ मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार और मामूली रूप से घायलों को 25 हजार रुपये के मुआवजे का ऐलान किया। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों को दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने का ऐलान किया।

गर्म राख के मलबे में दब गए श्रमिक

बुधवार को आम दिनों की तरह प्लांट की सभी छह इकाइयों में विद्युत उत्पादन चल रहा था। दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे छठवीं इकाई में भयंकर विस्फोट हुआ। विस्फोट बॉयलर से राख निकालने वाली पाइप में हुआ। यह भारी भरकम पाइप इकाई से सीधे राख के तालाब को जाती है जो यूनिट में करीब 90 फुट की ऊंचाई पर है। वहां काफी संख्या में श्रमिक काम कर रहे थे। बहुत बड़े व्यास वाली पाइप के फटने से काफी मात्रा में आग की तरह तप रही राख का मलबा बाहर आया और तमाम लोग राख के मलबे में दब गए।

इस ब्लास्ट के बाद प्लांट परिसर में अफरा-तफरी फैल गई। घायलों को इलाज के लिए रायबरेली, इलाहाबाद के साथ लखनऊ भेजा गया। बॉयलर में बन रही स्टीम का तापमान 500 डिग्री के आस-पास तक चला जाता है। उसका वायुदाब भी इतना होता है कि उसके संपर्क में आने पर इंसानी शरीर के चीथड़े उड़ जाएं। एक घायल मजदूर ने बताया कि हादसे के वक्त करीब 25 लोग बॉयलर के काफी करीब थे। बॉयलर फटते ही कई लोग वहीं राख के मलबे में दब गए। इनमें से कुछ के शरीर क्षत-विक्षत हो गए। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों में गर्म राख के नाक और मुंह के रास्ते तेज रफ्तार से फेफड़ों तक पहुंच जाने से भी मौत हो सकती है।

एक चश्मदीद ने हादसे को बयां करते हुए कहा कि ऐश पाइप से निकली राख से दस मीटर दूरी पर बॉयलर में मौजूद लोग मर-मर कर गिर रहे थे। चारों ओर धुआं-धुआं था। हवा में सिर्फ और सिर्फ राख ही तैरती दिख रही थी। यहां काम करने वाले एक मजदूर ने बताया कि जिस यूनिट में हादसा हुआ, वह अब भी चल रही है। एक बॉयलर के नीचे 100 से 150 आदमी काम करते हैं, जबकि उस यूनिट में 300 से ज्यादा लोग एक बार में होते हैं। मजदूरों को अंदेशा है कि बॉयलर के नीचे काम करने वालों में शायद ही कोई बचा हो।

डीएम ने बनाई कमेटी

रायबरेली के डीएम संजय कुमार ने बताया कि उन्होंने इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है। इस कमेटी में मजिस्ट्रेट और तकनीकी विशेषज्ञों को रखा गया है। यह कमेटी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपेगी।