नई दिल्ली।

दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच का विवाद एक बार फिर गहराता दिख रहा है। गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के ज़रिये दिल्ली सरकार के विधायकों की सैलरी में इजाफा करने से जुड़े बिल को लौटा दिया है। इस बिल को वापस किए जाने से केंद्र सरकार और केजरीवाल के बीच तकरार बढ़ सकती है।

दरअसल, केजरीवाल आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सरकार जानबूझकर दिल्ली सरकार के बिल को लटका देती है। केंद्र ने दिल्ली सरकार से इतनी ज्यादा बढ़ोतरी का व्यावहारिक पक्ष जानना चाहा था।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश में दो तरह की राजनीति के फार्मूले हैं। पहला, ईमानदारी से सेवा करो जो हमारे एमएलए कर रहे हैं और दूसरा है जो अभी तक होता आया है। हम इसलिए सैलरी बढ़ा रहे हैं कि उनको अब तक 12 हजार रुपये ही मिलते हैं, जो नाकाफी है। अगर कांग्रेस, भाजपा के पास कोई फॉर्मूला है तो वो हमें बता दें।

अरविंद केजरीवाल सरकार ने विधायकों की सैलरी में 400 फीसदी का इजाफा करने का बिल लाया था, जिसे उप राज्यपाल ने यह कहते हुए लौटा दिया है कि दिल्ली सरकार वैधानिक प्रक्रिया के तहत इस बिल को दोबारा सही फ़ॉर्मेट में भेजे। केंद्र ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली सरकार से इस बिल के संदर्भ में कई सवाल किए थे।

केंद्र सरकार के सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली सरकार वे कारण बताए जिससे यह माना जा सके कि दिल्ली में विधायकों के जीवनयापन का खर्च 400 प्रतिशत तक बढ़ा है। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने केजरीवाल सरकार के इस बिल को एक लाइन की सलाह के साथ वापस कर दिया है। मंत्रालय ने लिखा है, ‘ यह बिल सही फॉर्मेट के साथ नहीं भेजा गया है और इसे तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, जब यह सही तरीके के साथ भेजा जाए।

2015 में दिल्ली विधानसभा ने विधायकों की सैलरी में संशोधन संबंधी यह बिल पास किया था। इसमें विधायकों की सैलरी 88  हजार से बढ़ाकर 2 लाख 10 हजार रुपये करने का प्रस्ताव रखा था। इसके साथ विधायकों का यात्रा भत्ता भी 50 हजार रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये सालाना करने का प्रावधान किया। इस बिल के अनुसार, दिल्ली के विधायकों को बेसिक सैलरी-50 हजार, परिवहन भत्ता-30हजार, कम्यूनिकेशन भत्ता-10 हजार और सचिवालय भत्ते के रूप में 70 हजार रुपये प्रति महीने का प्रावधान था।