वीरेंद्र नाथ भट्ट

लखनऊ। स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी के निकलने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की जमीन दरकने के लिए लगने वाले कयास फिलहाल थम गए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता दयाशंकर सिंह की बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ मऊ में की गई अभद्र टिप्पणी ने पार्टी को संजीवनी दे दी। बसपा ने 21 जुलाई को टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ में जबरदस्त प्रदर्शन कर अपनी ताकत का एहसास कराया।

बसपा ने प्रदर्शन तो मायावती के बारे में अभद्र टिप्पणी के विरोध में किया था लेकिन बसपा के नेताओं और समर्थकों ने दया शंकर सिंह और उनके परिवार की  महिलाओं के खिलाफ जम  कर अभद्र और अश्लील शब्दों का प्रयोग किया। बसपा समर्थक तख्तियां लिए हुए थे जिसमें दया शंकर सिंह को कुत्ता आदि से संबोधित किया गया था।

लखनऊ के व्यस्त इलाके हजरतगंज, लोहियापथ, विधानसभा मार्ग, पार्क रोड, अशोक रोड, हुसैनगंज आदि मार्ग बुरी तरह जाम हो गए। चारों ओर नीले झण्डे ही नजर आ रहे थे। सुश्री मायावती के आह्वान पर सुबह से ही बसपा नेता हजरतगंज स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के पास पहुंचना शुरू हो गए थे। बसपा ने भाजपा के प्रदेश कार्यालय को घेरने की घोषणा की थी, लेकिन दयाशंकर सिंह को भाजपा से निष्कासित कर देने और उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो जाने के बाद वह इस घोषणा के प्रति नरम हो गईं। सुश्री मायावती के आह्वान पर जौनपुर से यहां आए एक नेता ने कहा, ‘हम लोग बहन जी का अपमान किसी कीमत पर नहीं सह सकते। बहन जी करोड़ों दलितों की आदर्श हैं। वह दलितों के मान सम्मान के लिए संघर्ष कर रही हैं तो हम लोगों का भी कर्तव्य है कि उनके खिलाफ उठने वाली आवाज के विरूद्ध उठ खड़े हों।‘   इस बीच, दयाशंकर सिंह का पुतला दहन कर रहे बसपा कार्यकर्ता के कपड़ों में भी आग लग गई हालांकि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया और कार्यकर्ता बाल-बाल बच गया। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, विधानसभा में नेता विपक्ष गया चरण दिनकर, विधान परिषद में नेता विरोधी दल नसीमुद्दीन सिद्दीकी और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पाण्डेय की मौजूदगी में पार्टी के इस प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं के बीच काफी उत्साह देखा गया।

बसपा के कद्दावर नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, आर के चौधरी और परमदेव यादव के पार्टी छोड़ने के बाद कयास लगने शुरू हो गए थे कि बसपा अब काफी कमजोर हो गई है। इन कयासों को श्री मौर्य के सम्मेलन ने भी बल दिया था।
लखनऊ में श्री मौर्य ने अपने समर्थकों का भारी हुजूम इकठ्ठा किया था। उसके बाद  बसपा की जमीन दरकने की अटकलें तेज हो गई थीं। राजनीतिक प्रेक्षक राजेन्द्र प्रताप सिंह मानते हैं कि दयाशंकर के बयान ने बसपा और उसकी नेता मायावती को संजीवनी दी है। उसे ताकत दिखाने और अपने आलोचकों का मुंह बन्द करने का मौका मिला। इसका भरपूर फायदा उठाते हुए बसपा ने अपनी ताकत का एहसास कराया। इससे पहले दयाशंकर सिंह के खिलाफ 20 जुलाई को देर शाम लखनऊ के हजरतगंज थाने में सुश्री मायावती के बारे में अभद्र टिप्पणी किये जाने के सम्बन्ध में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। श्री सिंह को भाजपा ने छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया। दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने प्रयास तेज कर दिए हैं। सुश्री मायावती ने टिप्पणी के खिलाफ खुद मोर्चा सम्भालते हुए 20 जुलाई को राज्यसभा में मामले को उठाया था। बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चन्द्र मिश्र ने सुश्री मायावती का साथ देते हुए मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
राज्यसभा में मामला उठने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तत्काल रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। श्री यादव ने कहा था कि उनकी सरकार महिलाओं के सम्मान को बचाए रखने के लिये दृढसंकल्प है। श्री यादव ने अधिकारियों से कड़ी कार्रवाई करने के लिए भी कहा था।
कांग्रेस ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की अगुवाई में पार्टी के लोगों ने जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया। श्री बब्बर ने कहा कि कांग्रेस का यह मानना है कि फासिस्ट ताकतों से ऐसे ही बयान की उम्मीद रहती है। इन ताकतों से कांग्रेस गांधीवादी तरीके से निपटना जानती है।