राकेश चन्द्र श्रीवास्तव ।

उत्तर प्रदेश विजय संकल्प 2017 को लेकर बूथ स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सधे हुए कदमों से समाज के विभिन्न वर्गांे, विचारधाराओं और बूथ कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए जो सघन अभियान चला रहे हैं उसके दूरगामी राजनैतिक परिणाम मिलने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले दिनों विभिन्न क्षेत्रों में बूथ सम्मेलन आयोजित किये गये जिनमें लाखों बूथ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इन सम्मेलनों में जिस तरह से अमित शाह ने केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए सपा औए बसपा पर गुंडागर्दी व भ्रष्टाचार के आरोप लगाते निशाना साधा, उसका राजनीतिक गलियारों में काफी मंथन हो रहा है। 27 जून को यूपी के बाराबंकी, 30 जून को मेरठ, एक जुलाई को बस्ती, 2 जुलाई को जौनपुर में आयोजित क्षेत्रीय बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन और 2 जुलाई को वाराणसी में सोनेलाल पटेल की जयंती और पिछले दिनों कानपुर बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन में शामिल होकर अमित शाह ने 2017 के विधानसभा चुनाव में किसी भी कीमत पर यूपी में भाजपा की सरकार बनाने के इरादे साफ कर दिए हैं। जिस जिले में अमित शाह जा रहे हैं उसमें विभिन्न वर्गांे के लोगों को भाजपा की ओर आकर्षित करने का मंत्र दिया जा रहा है। शून्य से शिखर की यह यात्रा यदि सफल होती है तो भाजपा को अच्छे परिणाम मिलने की आशा बंध सकती है।

अमित शाह का सबसे महत्वपूर्ण दौरा 27 जून को बाराबंकी का लिया जा सकता है जहां पिछडे वर्ग के लोग समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं। यह क्षेत्र खांटी समाजवादी स्व. रामसेवक यादव का कर्म क्षेत्र रहा है। लोहिया के अनुयायी रामसेवक यादव ने जाति बंधन तोड़ो और चित्रकूट में रामायण मेले के नाम पर सभी को जोड़ने की जो पहल की थी उससे इस क्षेत्र में समाजवादी विचारों की जड़ें काफी मजबूत हुर्इं। जनता पार्टी के विभाजन के बाद समाजवादी पार्टी के गठन के समय इस क्षेत्र के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा संस्थापकों में रहे। वह कभी मुलायम सिंह के विश्वस्त साथियों में शुमार होते रहे हैं। इस क्षेत्र में अमित शाह का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये जो पिछड़े वर्ग के लोग हैं और समाजवादी पार्टी के समर्थक हैं उन्हें भाजपा से जोड़कर आगे की रणनीति को अमलीजामा पहनाया जा सके । यहां के पिछड़ी जाति के लोग धर्मभीरु होने के साथ ही कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं जिसकी जड़ें यहां काफी मजबूत हैं। अमित शाह ने समाजवादी गढ़ में भाजपा की जो दस्तक दी है प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी इसके प्रभाव पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। वर्षा और आंधी से गिरे पंडाल के बावजूद बाराबंकी के जी.आई.सी. मैदान में अवध क्षेत्र के लगभग 35 हजार बूथ अध्यक्षों तथा मंडल अध्यक्षों की सहभागिता ने जहां कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया वहीं कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ ने अमित शाह को भी बल प्रदान किया।

वाराणसी में दो जुलाई को आयोजित सोनेलाल पटेल जयंती कार्यक्रम में अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल के साथ भागीदारी इस बात का संकेत है कि भाजपा पिछड़ी जाति के लोगों को जोड़ने का हर संभव प्रयास कर रही है। अमित शाह ने कानपुर, बाराबंकी, मेरठ, बस्ती, जौनपुर सहित छह क्षेत्रीय बूथ सम्मेलनों में शिरकत कर अपने अभियान को गति देने का प्रयास किया है। धम्म चेतना यात्रा के नाम पर दलितों को आकर्षित करने के लिए बौद्ध भिक्षुओं के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियान की सफलता से भी भाजपा के हौसले काफी बुलन्द हैं। कभी औद्योगिक क्षेत्र होने के नाते मजदूरों और व्यापारी वर्ग के गढ़ रहे कानपुर में भी अमित शाह ने बूथ सम्मेलन के माध्यम से लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है। मेरठ, बस्ती, और जौनपुर में बूथ अध्यक्ष सम्मेलन में जुटी भीड़ ने विपक्षियों के होश उड़ा दिये हैं। महर्षि वशिष्ठ, गुरु गोरखनाथ और संत कबीर ने समाज परिवर्तन के लिए बस्ती की धरती को चुना। यहां की जनता यूपी में परिवर्तन कर भाजपा को लाएगी अमित शाह ने यह मन्त्र बूथ प्रमुखों को दिया । बस्ती में अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को महत्व देते हुए उनकी प्रशंसा कर हिंदुत्व को लेकर भी अपने मनसूबे साफ कर दिए। बूथ प्रमुखों के सम्मलेन के अलावा 27 जून को लखनऊ में जागरण फोरम के कार्यक्रम में अमित शाह की मौजूदगी स्वयं यह सन्देश दे रही थी कि शाह किसी भी हालत में देश के महत्वपूर्ण राज्य यूपी को गंवाना नहीं चाहते। इसी का परिणाम है कि इन सम्मेलनों में कार्यकर्ताओं ने जिस उत्साह से भाग लिया उसने शाह को आशाओं और सम्भावनाओं से लबरेज कर दिया है।

सपा सरकार को उखाड़ फेंकें
कानपुर, बाराबंकी, मेरठ, बस्ती और जौनपुर के क्षेत्रीय बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन में भाजपा अध्यक्ष यूपी की अखिलेश सरकार पर जमकर बरसे। शाह ने हिंदुओं के कथित पलायन को लेकर भी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने यह भी कहा कि यूपी में साढ़े तीन मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं।

शाह ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से, पूर्वी उत्तर प्रदेश से यूपी में बड़े लेवल पर पलायन हो रहा है। यह कम्युनल नहीं है, ये लॉ एंड आर्डर की समस्या से है, तो लॉ एंड आर्डर संभालना किसकी जिम्मेदारी है? ओबामा आकर देखेंगे? इन्होंने नया कर दिया है कि लॉ और आॅर्डर करो, घूस लो और आॅर्डर दे दो। आज आप किसी स्टेशन पर कंप्लेंट दर्ज करवाने जाते हैं तो आपसे आपकी जाति, समुदाय पूछा जाता है या नहीं? लैपटॉप भी बस एक जाति के लोगों को दिया जाता है। अभी अभी चाचाजी ने मुख़्तार अंसारी की पार्टी का विलय कर लिया, तो भतीजे को बुरा लग गया। यूपी की जनता जान चुकी है यह नाटक है। शाह ने सपा पर हमला करते हुए कहा कि हर राज्य में एक मुख्यमंत्री होता है, लेकिन यूपी में साढ़े तीन मुख्यमंत्री हैं। एक अखिलेश, दूसरे नेताजी, तीसरे शिवपाल और आधे आजम खान। जिस स्टेट में इतने मुख्यमंत्री हों उसका भला कभी नहीं हो सकता। आप कहते हो कि भाजपा वाले मथुरा को मुद्दा बना रहे हैं। अरे अखिलेश जरा भी शर्म बची है तो डूब मरो। आपको मथुरा मुद्दा नहीं लगता है तो डूब मरो।

शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने बहुत विकास कर लिया गुजरात में, अब बनारस की बारी है। अब वो गुजरात के नहीं रहे अब वो बनारस (यूपी) के हो गए हैं। चार लाख करोड़ रुपया उत्तर प्रदेश को देने का फैसला किया है। अमित शाह ने कहा कि लखनऊ में एक सरकार ऐसी आई है कि जितने भी पैसे भेजो वो जमीन तक जाने ही नहीं देती। जो सरकार लखनऊ में बैठी है वो जमीन हथियाने के अलावा कोई काम करती ही नहीं। सरकार जब तक नहीं बदलेगी, उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होने वाला है। जब तक यूपी का विकास नहीं होगा, देश का विकास नहीं होगा। देश का विकास करना है तो उखाड़ कर फेंक दीजिये यूपी की सरकार को। अमित शाह ने कहा कि सपा और बसपा यूपीए सरकार के 10 सालों के पाप में भागीदार रही हैं। प्रदेश की भ्रष्ट और गुंडाराज की सरकार को उखाड़ फेंकें। शाह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री पर यूपी का सर्वाधिक हक है। केंद्र की योजनाओं पर अखिलेश सरकार कुंडली मारकर बैठी है। शाह ने मेरठ में खाद कारखाना, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे, दिल्ली-आगरा स्पीड ट्रेन समेत कई योजनाओं में सपा सरकार पर सहयोग न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में यूपी में मोदी सरकार सात लाख करोड़ खर्च करेगी जबकि यूपीए सरकार के कार्यकाल में महज 2.80 लाख करोड़ का बजट दिया गया था। अमित शाह ने यूपी के विकास के लिये जनता से पांच साल का वक्त मांगते हुए कहा की लोकसभा चुनाव में यूपी ने 73 सांसद दिये और दिल्ली की सत्ता सौंप दी। अब यूपी की बारी है। यहां भी सरकार बनवा दें ताकि प्रदेश को लूट की राजनीति से मुक्ति मिल सके।

अमित शाह बूथ मंथन से अमृत निकालकर यूपी में भाजपा को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वहीं बसपा में स्वामी प्रसाद मौर्य, आर के चौधरी जैसे कद्दावर नेताओं की बगावत से मायावती को बड़ा झटका लगा है। मुख़्तार अंसारी और उनकी पार्टी के विलय को लेकर जिस तरह शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की तनातनी सतह पर आई है और अमर सिंह को लेकर जिस तरीके से आजम खां की नाराजगी राख में छिपी चिंगारी की तरह नजर आ रही है, ये सपा के लिए शुभ संकेत नहीं लगते। ऐसे में अमित शाह ने यूपी में बूथ सम्मेलनों के माध्यम से लाखों कार्यकर्ताओं में जो जोश भरा है उससे यूपी के राजनैतिक द्राक्षावल्लरी पर भाजपा की बढ़त के अंगूर दिखाई पड़ने लगे हैं।