वाशिंगटन। दुनिया की दुनियादारी से किसको विराग है। लोभी पतिंगों के लिए दोषी चिराग है। बारूद के एक ढेर पर बैठी है ये दुनिया। बारूद से ज्‍यादा हमारे दिल में आग है। जी हां, हमारे दिल में बारूद से ज्‍यादा आग है। शायद यही वजह है कि भारत को आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करना चाहिए। प्यू रिसर्च सेंटर के एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, 60 फीसदी से अधिक भारतीय सैन्य बल के प्रयोग के पक्ष में हैं। सर्वे में शामिल आधे से अधिक लोगों ने केंद्र सरकार की पाकिस्तान नीति को नामंजूर कर दिया। सरकार की पाक नीति को महज 22 फीसदी लोगों ने स्वीकृति दी।

40 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि 52 फीसदी भारतीय इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) उनके देश के लिए एक बड़ा खतरा है। करीब 62 फीसदी भारतीयों का मानना है कि दुनियाभर में आतंकवाद को हराने के लिए सैन्य इस्तेमाल सर्वश्रेष्ठ तरीका है। मात्र 21 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसे बल प्रयोग पर बहुत अधिक निर्भरता नफरत पैदा करती है जिससे आतंकवाद को और बढ़ावा मिलता है। प्यू रिसर्च सेंटर ने 7 अप्रैल से 24 मई के बीच यह सर्वे किया था। सर्वेक्षण में शामिल 68 फीसदी लोगों को लगता है कि भारत 10 साल पहले की तुलना में आज दुनिया के मामलों में ज्यादा अहम भूमिका निभा रहा है।

सर्वे में शामिल आधे से अधिक लोगों ने पाकिस्तान के साथ केंद्र सरकार की नीति को नामंजूर कर दिया। पाक नीति के पक्ष में मात्र 22 फीसदी लोग ही हैं। पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के कुछ महीनों बाद यह सर्वे हुआ था। इसके अनुसार, भाजपा के आधे से ज्यादा समर्थक (54 फीसदी) और कांग्रेस के अधिकांश समर्थकों (45 फीसदी) ने पाक के संबंध में केंद्र सरकार के तरीकों को अस्वीकार कर दिया। वहीं चीन के साथ संबंधों के मामले में भाजपा समर्थक कांग्रेस समर्थकों की तुलना में द्विपक्षीय संबंध पर केंद्र सरकार के कार्यों से कही अधिक संख्या में सहमत हैं। सर्वे के अनुसार, 63 फीसदी भारतीयों का मानना है कि देश की सुरक्षा पर खर्च बढ़ाना चाहिए, जबकि मात्र 6 फीसदी ने ही इसे घटाने की बात कही है। वहीं 20 फीसदी लोग इसे यथावत रखने के पक्षधर हैं।