संध्या द्विवेदी

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक बार फिर हंगामा खड़ा हो गया है। मसला इस बार देशभक्ति या देशद्रोह का नहीं बल्कि बलात्कार का है। यह आरोप पी.एच.डी प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने अल्ट्रा लेफ्ट छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएसन यानी आइसा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनमोल रतन पर लगाया है। इस मामले के सामने आने के बाद छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ए.बी.वी.पी ने इसे आड़े हाथों लेते हुए ऐसे संगठनों की विचारधारा पर ही सवाल खडे कर दिए हैं। ए.बी.वी.पी ने सवाल उठाया है कि आइसा के संगठन के किसी कार्यकर्ता पर इस तरह का आरोप पहली बार नहीं लगा है इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। सवाल यह भी उठाया गया है कि सेना को चिल्लाचिल्ला कर रेपिस्ट कहने वाले लोग आज भला चुप क्यों हैं।

ए.बी.वी.पी के जेएनयू अध्यक्ष आलोक सिंह ने तो सीधा सवाल उठाया है ‘सेना में कुछेक मामले अगर बलात्कार के आते हैं तो आप पूरी सेना को बलात्कारी कह देते हैं। लेकिन जब आइसा से लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं तो इस संगठन को रेपिस्ट क्यों नहीं कहा जाना चाहिए?’ दिल्ली से लेकर कश्मीर, फलीस्तीन हो चाहें, अफगानिस्तान कहीं कुछ होता है तो आप प्रदर्शन करते हैं लेकिन इस मामले में कोई प्रदर्शन नहीं! सार्वजनिक निंदा भी नहीं! आलोक सिंह ने साफ कहा ‘अगर आप सेना को रेपिस्ट कहते हैं तो फिर सवाल तो इस संगठन की विचारधारा पर भी है, जहां से लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं।’जे.एन.यू छात्र संगठन की अध्यक्ष एवं आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिसन यानी आइसा की सदस्य शेहला राशिद ने बताया कि आरोपी अनमोल रतन को तुरंत संगठन की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने कुलपति से भी अपील की है कि आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्यवाई हो। हमने वाइस चांसलर को लिखा है कि संस्थान की तरफ से एक नोटिस निकाला जाए जिसमे इस घटना की निंदा तो हो ही साथ ही कैंपस के भीतर और बाहर महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की बात कही जाए। महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद महिला पर ही नहीं डाली जा सकती है। इसकी जिम्मेदारी सोसायटी को लेनी पड़ेगी। मौजूदा मामले में कैंपस के लोगों को लेनी चाहिए। सोसायटी या इस मामले में कैंपस के लोगों को महिलाओं की स्वतंत्रता, स्वायतता का ध्यान रखना पडेगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर शेहला ने पीड़ित की पहचान को खोजने और सार्वजनिक करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। जे.एन.यू छात्र संगठन के एक छात्र से जब पूछा गया कि अभी तक आपने कोई बड़ा प्रदर्शन क्यों नहीं किया? तो उसकी बात पर अगर भरोसा करें तो उसने बताया कि जहां तक मुझे पता है तो शायद पीड़ित छात्रा ने इस तरह का कोई प्रदर्शन करने मना किया था। इन सब के बीच अखिल भारतयी विद्यार्थी परिषद का सवाल जहां का तहां है कि एक महिला के खिलाफ हिंसा होने पर इतने चुपचाप तरह से निंदा क्यों की जा रही है? सार्वजनिक तौर पर कोई प्रदर्शन या निंदा क्यों नहीं? सवाल यह भी उठ रहे हैं कि बेखौफ आजादी को अपना हक समझने वाले छात्र संगठन आखिर अपने ही संगठन के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के खिलाफ बेखौफ होकर क्यों नहीं बोल रहे हैं? हालांकि इस बीच जेएनयू छात्र संगठन के एक कार्यकर्ता ने बताया कि हम जल्द ही एक बड़े प्रोटेस्ट को करने की तैयारी कर चुके हैं।