वीरेंद्र नाथ भट्ट

पिछले तीन दशकों से सामाजिक न्याय की आड़ में चल रही जाति यानी अस्मिता की राजनीति के चलते मूर्तियों, पार्कों व स्मारकों के निर्माण में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों ने हजारों करोड़ रुपये खर्च किए और प्रदेश में विकास के बड़े बड़े दावे किए गए, लेकिन आजादी के बाद पहली बार प्रदेश सरकार ने एक ऐसे सेक्टर की सुध ली है, जिसका देश के हस्तशिल्प के कुल निर्यात में 44 प्रतिशत योगदान है। इस वर्ष 24 जनवरी को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक जिला-एक उत्पाद योजना का शुभारंभ किया। इस योजना से न केवल प्रदेश में दम तोड़ रहे कुटीर उद्योगों को नई पहचान मिलने की उम्मीद जगी बल्कि योजना के तहत सरकार हर जिले के खास उत्पादों के निर्माण, विपणन और प्रसार की सहूलियतें उपलब्ध कराने जा रही है। देश की अर्थव्यवस्था में 8.4 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तर प्रदेश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। राज्य में स्थानीय स्तर पर कई विशेष व्यवसाय समूह हैं। देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात में प्रदेश का योगदान 44 प्रतिशत है। इसी तरह कालीन में 39 प्रतिशत और चर्म उत्पाद में 26 प्रतिशत है। इस योजना के माध्यम से लघु उद्योगों और हस्तशिल्प के विकास का नया अध्याय शुरू होगा। सरकार नई व कार्यरत इकाइयों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएगी।

पीएचडी चैंबर आफ कामर्स के प्रेसिडेंट अनिल खेतान के अनुसार, प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों सहित हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के विकास की अपार संभावनाएं हैं। सरकार को इस दिशा में और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत स्थानीय कारीगरों व उद्यमियों को पांच वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दिलाने का प्रस्ताव है। इससे हर साल पांच लाख और पांच वर्ष में 25 लाख लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही प्रदेश की जीडीपी में भी 2 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है।

वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत सरकार जिलों में फैले छोटे, मझोले और परंपरागत उद्योगों की लुप्त होती पहचान को पूरी दुनिया में ले जाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कारीगरों, उद्यमियों को विभिन्न योजनाओं से वित्तीय सहायता दिलाकर कारोबार बढ़ाने में मदद की जाएगी। इससे उत्पाद की क्वालिटी मार्केट में प्रतिस्पर्धा लायक बनाने के लिए नई तकनीक की सुविधा भी मिल सकेगी।
यही नहीं, सरकार प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार और बिक्री में भी मदद करेगी। इससे न सिर्फ जिले व क्षेत्र विशेष तक सीमित उत्पाद एक ब्रांड के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना पाएंगे। बल्कि ब्रांड यूपी की पहचान भी बन सकेगा। सरकार इसके लिए उद्यमियों को प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग के साथ ही एक्सपोजर विजिट भी कराएगी। योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो ये ऐसे काम हैं जो परंपरागत तरीके से जिलों में हो रहे हैं। इस योजना के नतीजे आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इससे अगले पांच साल में प्रदेश की जीडीपी में भी दो फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। अधिकारी का दावा है कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे जिससे प्रदेश से पलायन रुकेगा।

एक जिला-एक उत्पाद योजना के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है, जिसमें 18 मंडल और 75 जनपद हैं। भाजपा सरकार के गठन के बाद प्रदेश से युवाओं का पलायन रोकने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। एक जनपद-एक उत्पाद समिट प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की अभिनव कड़ी है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद का कोई न कोई विशिष्ट उत्पाद है, जो उस जिले की पहचान भी है। इन उत्पादों को बढ़ावा देकर प्रत्येक जनपद के अर्थिक विकास को गति दी जा सकती है और नौजवानों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के बड़े अवसर भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर ही प्रदेश सरकार ने एक जनपद- एक उत्पाद योजना के क्रियान्वयन का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री के मुताबिक, इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के जनपदों के पारम्परिक शिल्प, उत्पादों एवं लघु उद्यमों का संरक्षण व विकास करना और इसके माध्यम से प्रदेश में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित कर प्रदेशवासियों की आय बढ़ाना है। इसके तहत विभिन्न जनपदों के विशिष्ट और प्रतिष्ठित उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग और 5 उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार की व्यवस्था भी की गई है। तकनीकी उन्नयन के माध्यम से कारीगरों और हस्तशिल्पियों का विकास और लघु एवं स्थानीय उद्यमों के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर, टेस्टिंग लैब, डिजाइन स्टूडियो, एक्जीबिशन कम व्यापार केंद्र जैसी महत्वपूर्ण अवस्थापना सुविधाओं का विकास भी इस योजना के उद्देश्यों में शामिल है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) का बहुत बड़ा योगदान है। कृषि के बाद एमएसएमई सेक्टर में ही रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर पैदा होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई एक जनपद-एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) को केंद्र सरकार की स्किल इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आदि से जोड़कर प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर का कायाकल्प किया जा सकता है।

प्रदेश के सभी 75 जनपदों के एक जनपद-एक उत्पाद योजना से जुड़े उद्यमियों को व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न रोजगारपरक व स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं के समन्वय से, वित्त पोषण के लिए 1006 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए 500 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का प्रारम्भिक लक्ष्य रखा गया था, परन्त ु जनपदों की सक्रियता और बैंकों की सहभागिता के परिणामस्वरूप यह धनराशि बढ़कर1006 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक जनपद-एक उत्पाद कार्यक्रम को वर्ष 2018-19 में करने के लिए 250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसके क्रियान्वयन में बजट की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी और आवश्यकतानुसार अतिरिक्त बजट का भी प्रावधान कराया जाएगा। राज्य सरकार शीघ्र ही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना लागू करेगी। ओडीओपी योजना के माध्यम से प्रतिवर्ष पांच लाख नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रकार अगले पांच वर्षों में 25 लाख नौजवानों के रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे, जिससे उनका प्रदेश से पलायन रुकेगा।

कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने एक जनपद-एक उत्पाद योजना का हेल्पलाइन नंबर व वेबसाइट का शुभारंभ किया। उन्होंने ओडीओपी योजना के 4,095 लाभार्थियों में 1006.94 करोड़ रुपये का ऋण भी वितरित किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव व नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के प्रतिनिधियों के बीच एमओयू का आदान-प्रदान भी हुआ। कार्यक्रम में राज्य सरकार व अमेजन, क्यूसीआई और जीई हेल्थ केयर के बीच एमओयू हस्ताक्षरित कर उनका आदान-प्रदान किया गया।

उत्तर प्रदेश के लघु उद्योग और निर्यात मंत्री सत्यदेव पचौरी ने कहा कि उद्यमियों को बिजली में उपादान के साथ ही आवश्यक सहूलियतों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि लघु उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए चयनित उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग, तकनीकी जानकारी, संबंधित के उत्पाद के बारे में प्रशिक्षण और बंैक से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। प्रदेश सरकार लोगों को स्वरोजगार के रूप में हथकरघा उद्योग को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके तहत मुद्रा योजना के माध्यम से उन्हें ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उद्यमियों के दरवाजे पर स्वयं जाएं और उनसे संवाद स्थापित करें। उनकी समस्याओं को फौरीतौर पर निस्तारित करना भी सुनिश्चित करें। इस योजना से हस्त शिल्प के विकास के साथ जिला स्तर पर स्थानीय कौशल का संरक्षण और वहां की कला के संवर्धन को भी बल मिलेगा। जिलों के उत्पाद को नया कलेवर देते हुए उनकी पैकेजिंग की जाएगी। ब्रांड यूपी की सोच को राज्य से आगे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्दार्थ नाथ सिंह ने कहा कि सरकार का मानना है कि इस योजना से जन सहभागिता बढ़ने के साथ ही उस क्षेत्र के पर्यटन में विकास होगा। साथ ही जिला अपनी अलग पहचान रखेगा, जैसे आगरा, कानपुर व मेरठ शहर अपने चमड़ा उद्योग या खेल उत्पाद आदि के कारण अपनी विशेष पहचान रखते हैं। इसी तरह से एटा के घुंघरू, घंटी की भी अपनी पहचान है। इलाहाबाद के अमरूद की तरह प्रतापगढ़ का आंवला भी अपनी विशेष पहचान बनाएगा।

सरकार इस योजना के तहत पहले चयनित उत्पाद की उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी सामर्थ्य के विकास पर एनालिसिस करेगी। इसमें संसाधनों की उपलब्धता और गैप पर ध्यान दिया जाएगा। इसके बाद उत्पाद की मजबूती, कमजोरी, अवसर और चुनौतियों पर जो एनालिसिस आएगा, उस पर विकास की रणनीति तैयार की जाएगी। योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की डबटेलिंग, अंतरविभागीय समन्वय और नई योजनाएं बनाकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। राज्य सरकार ने अपर आयुक्त उद्योग की अध्यक्षता में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट बोर्ड का गठन किया है। इसके अलावा तीन स्तर की अनुश्रवण समितियां इसका संचालन करेंगी। इनमें जिला स्तर पर अध्यक्ष डीएम होंगे। प्रदेश स्तर पर प्रमुख सचिव एमएसएमई अध्यक्ष होंगे तो शीर्ष स्तर पर उद्योग विकास आयुक्त अध्यक्ष होंगे।

कॉमन फैसिलिटी सेंटर
एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत जिला स्तर पर उद्दमी और निवेशक को समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार वर्ष के अंत तक प्रत्येक जिले में कॉमन फैसिलिटी सेंटर स्थापित करने जा रही है। सेंटर में स्थानीय जरूरतों के हिसाब से कच्चा माल का डिपो परीक्षण प्रयोगशाला, नई तकनीक की मशीनें, पैकेजिंग और डिजाइन की सुविधा उपलब्ध होगी। उद्यमी मामूली किराया देकर इन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार छोटे उद्यमियों और कारीगरों को उत्पादित माल बेचने की सुविधा देने की नीयत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। खर्च का 75 प्रतिशत सरकार देगी बाकी 25 प्रतिशत योजना के लाभार्थी को देना होगा। इसके साथ ही सरकार बैंकों से कर्ज दिलाने के लिए भी प्रयास कर रही है। सरकार कर्ज के साथ 25 प्रतिशत मार्जिन मनी भी उपलब्ध कराएगी। समय से कर्ज वापस करने वालों को 25 प्रतिशत की छूट का लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग विभाग के सचिव भुवनेश कुमार कहते हैं कि अभी तक प्रदेश में उद्यमियों पर फोकस एक जिला-एक उत्पाद योजना जैसा कोई कार्यक्रम नहीं था। अब एक व्यवस्थित तरीके से जिलावार विशेषता के अनुसार उत्पादों की अलग पहचान बनाई जाएगी, जिनका विवरण इस प्रकार है-

अमरोहा-ढोलक, अमेठी-मूंज उत्पाद, अलीगढ़-ताला, अंबेडकरनगर-वस्त्र उत्पाद, आगरा-चमड़े के उत्पाद, आजमगढ़-काली मिट्टी की कलाकृति, इटावा-वस्त्र, इलाहाबाद-मूंज उत्पाद, उन्नाव-जरी व जरदोजी, एटा-घुंघरू व घंटी, औरैया-दूध प्रसंस्करण व घी, कन्नौज-इत्र, कानपुर नगर-चमड़ा, कानपुर देहात-जस्ते के बर्तन, कासगंज-जरी-जरदोजी, कुशीनगर-केले के रेशे से बने उत्पाद, कौशांबी-खाद्य प्रसंस्करण व केला, गाजियाबाद-यांत्रिकी उत्पाद, गाजीपुर-जूट वाल हैंगिंग, गोरखपुर-मिट्टी के बर्तन व टेराकोटा, गोंडा-खाद्य प्रसंस्करण व दाल, गौतमबुद्ध नगर-सिले सिलाए वस्त्र, चित्रकूट-लकड़ी के खिलौने, चंदौली-जरी व जरदोजी, जालौन-हस्त निर्मित कागज, जौनपुर-ऊनी दरी, झांसी-सॉफ्ट ट्वायज व खिलौने, देवरिया-सजावटी उत्पाद, पीलीभीत-बांसुरी, प्रतापगढ़-खाद्य प्रसंस्करण व आंवला, फतेहपुर-बेडशीट, फरुर्खाबाद-ब्लाक प्रिंटिंग, फिरोजाबाद-कांच उत्पाद, फैजाबाद-गुड़, बदायूं-जरी व जरदोजी, बरेली-जरी व जरदोजी, बलरामपुर-खाद्य प्रसंस्करण व दाल, बलिया-बिंदी, बस्ती-काष्ठ शिल्प, बहराइच-गेहूं के डंठल की कलाकृतियां, बागपत-घरेलू सजावटी सामान, बाराबंकी-हथकरघा, बांदा-शजर पत्थर शिल्प, बिजनौर-काष्ठ शिल्प, बुलंदशहर-चीनी मिट्टी के बर्तन व पॉटरी, मऊ- वस्त्र उत्पाद, मथुरा-स्वच्छता संबंधी उपकरण, महराजगंज-फर्नीचर, महोबा-गौरा पत्थर व शिल्प, मिजार्पुर-कालीन, मुजफ्फरनगर-गुड़, मुरादाबाद-धातु शिल्प, मेरठ-खेल का सामान, मैनपुरी-तारकशी कला, रामपुर-पैच वर्क, रायबरेली-काष्ठ शिल्प, लखनऊ-चिकनकारी और जरी व जरदोजी, लखीनपुर खीरी-जनजातीय शिल्प व ट्राइबल क्राफ्ट, ललित पुर-जरी सिल्क व साड़ी, वाराणसी-रेशम उत्पाद, शामली-रिम एवं धुरा व एक्सेल, शाहजहांपुर-जरी व जरदोजी, श्रावस्ती-जनजातीय शिल्प, संभल-सींग एवं अस्थि उत्पाद, सहारनपुर-काष्ठ शिल्प, सिद्धार्थनगर-खाद्य प्रसंस्करण व काला नमक चावल, सीतापुर-दरी, सुलतानपुर-मूंज उत्पाद, सोनभद्र-कालीन, संत कबीरनगर-पीतल के बर्तन, संत रविदास नगर-कालीन, हमीरपुर-जूती, हरदोई-हथकरघा, हाथरस-हींग प्रसंस्करण, हापुड़-घरेलू सजावटी सामान।

दरअसल, एक जिला-एक उत्पाद योजना की अवधारणा मूल रूप से जापान सरकार ने वर्ष 1979 में विकसित की थी। बाद में थाईलैंड सरकार ने भी इसे क्रियान्वित किया। योजना के मॉडल को इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया और चीन ने भी अपनाया है। 24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश दिवस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने योजना का शुभारंभ किया। इसके माध्यम से जिले के छोटे, मध्यम और परंपरागत उद्योगों का विकास संभव हो पाएगा। योजना का क्रियान्वयन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम व निर्यात प्रोत्साहन विभाग करेगा।
योजना के सुचारु एवं सफल क्रियान्वयन के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी, उत्पादकों की जिज्ञासा का समाधान परामर्श, उत्पादन तकनीक, प्रशिक्षण, मार्केटिंग आदि से संबंधित समस्त जानकारियां एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए एक वेब पोर्टल/हेल्पलाइन का विकास किया जाएगा। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के शीर्ष टेक्निकल, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और प्राविधिक शिक्षण संस्थानों के नेटवर्क को विकसित करके इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा, ताकि संबंधित क्षेत्र में हुए नए अविष्कारों के लाभों को व्यावहारिक रूप में उत्पादकों तक पहुंचाया जा सके। योजना के क्रियान्वयन से न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा, अपितु प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलने की संभावना है।