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इस बार लोकसभा चुनाव में नारी शक्ति का असर दिखा तो सही, लेकिन अब भी आधी आबादी को पूरा हक मिलना बाकी है. महिलाओं को संसद में एक तिहाई सीटें देने की बात जुमलेबाजी से ऊपर नहीं गई. टीवी चैनलों पर होने वाली बहस में अक्सर दिखने वाली भाजपा प्रवक्ता शायना एनसी ने भी इस चुनाव के दौरान यह मुद्दा उठाया था. राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी साबित करती है कि वे सिर्फ घर नहीं, देश भी चला सकती हैं. 2014 में 62 महिला उम्मीदवारों ने लोकसभा में अपनी जगह बनाई थी. इस बार यह संख्या बढक़र 78 हो गई. गौरतलब है कि इस लोकसभा चुनाव में 724 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं.

इन पर थी सबकी नजर

स्मृति ईरानी – उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरीं, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से था. स्मृति ने राहुल को लगभग 44,000 वोटों से हराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला था और ईरानी करीब एक लाख वोटों से हार गई थीं.

डिंपल यादव – उत्तर प्रदेश की कन्नौज सीट से मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव सपा-बसपा गठबंधन की उम्मीदवार थीं. उनके पति एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहुत मेहनत की, लेकिन डिंपल को भाजपा के सुब्रत पाठक ने 30,164 वोटों से हरा दिया.

अनुप्रिया पटेल – केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर सीट से चुनाव मैदान में थीं, जहां अपना दल का दबदबा है. मिर्जापुर कुर्मी बहुल क्षेत्र है, जहां कुर्मियों की संख्या तीन लाख से अधिक है. इस बार भी अनुप्रिया ने अपना रिकॉर्ड कायम रखा और 2.30 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रहीं.

सुप्रिया सुले – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले महाराष्ट्र की बारामती सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरीं. इस सीट से उनके पिता एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार चुनाव लड़ते रहे हैं. सुप्रिया ने 1.5५ वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.

कनिमोझी – डीएमके के संस्थापक करुणानिधि की बेटी कनिमोझी इस बार तमिलनाडु की थूथुकोछी सीट से चुनाव मैदान में थीं. कनिमोझी अभी राज्यसभा की सदस्य हैं. इस बार उनका मुकाबला भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष तमिलिसाई सौंदराराजन से था. कनिमोझी ने यह सीट 47,209 वोटों से जीत ली.

हरसिमरत कौर बादल – बादल परिवार की बहू एवं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल पंजाब की बठिंडा सीट से चुनाव मैदान में उतरीं. उन्होंने तीसरी बार इस सीट से अपनी किस्मत आजमाई. उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरिंदर सिंह और आम आदमी पार्टी की बलजिंदर कौर से था. हरसिमरत ने 21,772 वोटों से यह सीट जीत ली.

प्रज्ञा सिंह ठाकुर – मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस बार चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प रहा. इस हाई प्रोफाइल सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और भाजपा की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच था. प्रज्ञा ने 3,64,822 वोटों के अंतर भोपाल सीट फतह कर ली. चुनाव जीतने के लिए दोनों दिग्गज चेहरों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी.

रंजीत रंजन – बिहार के बाहुबली नेता पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से एक बार फिर चुनाव मैदान में थीं. रंजीत इस सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार थीं, जबकि पप्पू यादव मधेपुरा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन, रंजीत इस बार कामयाब नहीं हो सकीं.

सुष्मिता देब – अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देब असम की सिलचर सीट से चुनाव मैदान में थीं. सुष्मिता ने आचार संहिता उल्लंघन मामले में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. लेकिन, वह 81,596 वोटों से चुनाव हार गईं.

दीया कुमारी – जयपुर राज परिवार की दीया कुमारी राजस्थान की राजसमंद सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के देवकी नंदन गुर्जर से हुआ. दीया ने गुर्जर के खिलाफ 5.50 लाख वोटों के अंतर से शानदार जीत दर्ज की.