डॉ. संतोष मानव।

गृह मंत्री पद से इस्तीफा देने के 48 घंटे बाद बाबूलाल गौर ने मीडिया के सामने अपना दर्द कुछ यूं बयां किया-
हालात से सहमे हुए लोगों,
बस इतना समझ लीजिए,
हालात गुजर जाते हैं, ठहरा नहीं करते।

30 जून की दोपहर को भोपाल के लिंक रोड स्थित बंगले में प्रदेश के गृह मंत्री बाबूलाल गौर आराम की मुद्रा में थे। तभी सुरक्षाकर्मी ने बताया कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे आए हैं। इस सूचना के साथ ही गौर को अहसास हो गया था कि हफ्ते भर से अखबारों में जो कुछ छप रहा है, उसमें दम है। सहस्रबुद्धे ने गौर से कहा, ‘नए लोगों को मौका देना है, इसलिए आप मंत्री पद से इस्तीफा दे दीजिए।’ गौर ने पूछा, ‘यह किसका फैसला है।’ सहस्रबुद्धे बोले, ‘मैं तो डाकिया हूं। फैसला पार्टी का है।’ अब गौर ने तल्खी भरे स्वर में कहा, ‘डाकिए सिर्फ संदेश देते हैं। किसी फैसले पर अमल नहीं कराते। इस्तीफा नहीं दूंगा, आप लोग चाहो तो बर्खास्त कर दो।’

चौहान और सहस्रबुद्धे खाली हाथ लौट आए। गुस्से से कांपते हुए गौर ने पार्टी के आला केंद्रीय नेताओं गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बात की। तीनों ने सहस्रबुद्धे की बात ही दोहराई। उधर सोशल मीडिया में यह वायरल हो गया कि शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार से महज तीन घंटे पहले भाजपा ने 86 साल के बाबूलाल गौर और 75 साल के लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह से उम्र के सवाल पर इस्तीफा मांगा पर दोनों इस्तीफा नहीं देने पर अड़ गए। हालांकि कुछ घंटों के बाद दोनों ने इस्तीफा दे दिया। कैबिनेट विस्तार में रुस्तम सिंह, अर्चना चिटनीस, ओम प्रकाश धुर्वे, जयभान सिंह पवैया ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। वहीं ललिता यादव, विश्वास सारंग, संजय पाठक, सूर्यप्रकाश मीणा और हर्ष सिंह ने राज्यमंत्री पद पर मुख्यमंत्री की मौजूदगी में शपथ ग्रहण की।

सूत्रों का कहना है कि गौर को इस्तीफा देने के लिए हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने मनाया। बाबूलाल गौर जब मुख्यमंत्री थे उस समय प्रदेश के संगठन मंत्री कप्तान सिंह सोलंकी थे। दोनों के बीच अच्छी पटरी बैठती थी। बढ़ती उम्र का हवाला देकर पार्टी ने जिस तरह से इस्तीफा मांगा उससे दोनों नेता उखड़े हुए हैं।

दोनों का तर्क है कि वे किसी से कम काम नहीं करते और न किसी से कम दौरे किए। फिर उम्र का सवाल कहां से आ गया? नाराज गौर ने मीडिया के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, ‘मैं 12 घंटे से ज्यादा काम करता हूं। भाजपा ने मेरे सम्मान का कत्ल किया है। अब विधायकी भी छोड़ दूंगा।’ वहीं सरताज बोले- ‘मेरी गाड़ी चेक कीजिए। मैं किसी से भी ज्यादा दौरे करता हूं। हमने प्रदेश में कांग्रेस को खत्म किया। अब हमें ही समाप्त किया जा रहा है।’ प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, नेता प्रतिपक्ष रह चुके बाबूलाल गौर मुलाकातियों को बताते हैं कि कैसे आडवाणीजी ने उन्हें 15 दिन पहले ही बता दिया था कि पार्टी दूसरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैै। आप पद छोड़ने के लिए तैयार रहिएगा। आदेश मिलने के मिनटों बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। लेकिन यहां तो…..। खीजे गौर ने कहा, ‘यही करना था तो टिकट ही नहीं देते। मां-बाप बूढ़े हो जाएं तो क्या घर से निकाल देंगे?’

एक के बाद एक अपने अंदाज में वे नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बार-बार के संदेश के बाद गौर उनके निवास पर चाय पीने तो चले गए पर पांच मिनट में ही निकल आए। मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया तो उसमें भी बाबूलाल और सरताज सिंह नहीं गए। उसी दिन और लगभग उसी समय कांग्रेस विधायक आरिफ अकील की इफ्तार पार्टी में गौर-सरताज पहुंच गए। इस्तीफे के अगले ही दिन विधानसभा सचिवालय को उन्होंने दो सवाल भेज दिए। इसका जवाब सरकार को विधानसभा सत्र में देना होगा। दोनों ही सवाल सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। गौर का पहला सवाल है कि पिछले तीन साल में प्रदेश में कितना निवेश हुआ है? दूसरा सवाल सड़कों की हालत के बारे में है। जानकार बता रहे हैं कि गौर 16 साल बाद किसी सवाल का जवाब सरकार से मांग रहे हैं।

अब कांग्रेस गौर की नाराजगी भुनाने की कोशिश में लगी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर नीखरा बाबूलाल गौर के निवास पर पहुंच घंटों उनसे बात की। गौर से मुलाकात के बाद अरुण यादव ने कहा कि भाजपा को अपने बुजुर्ग नेता के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। वहीं अजय सिंह बोले- यह भाजपा की संस्कृति है। वह अपने नेताओं को अपमानित करती रही है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा भी बाबूलाल से मिले। उन्होंने कहा कि वे गौर की ईमानदारी व खुद्दारी को सैल्यूट करने आए हैं। इनके अलावा कांग्रेसी नेताओं दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनसे फोन पर बात की। गौर के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ चुके प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महामंत्री गोविंद गोयल ने तो एक कदम आगे बढ़कर उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का निमंत्रण दे दिया। गोयल ने गौर को टिकट की गारंटी तक का भरोसा दिया। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि गोयल को इसके लिए अधिकृत नहीं किया गया था। सियासी गर्मी बढ़ी तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने कहा कि सोनिया गांधी आ जाएंगी तब भी गौर भाजपा नहीं छोड़ेंगे।

इस बीच, शिवराज सिंह चौहान से खुन्नस रखने वाले कह रहे हैं कि उन्होंने उम्र के सवाल पर गौर को निपटा दिया। केंद्र सरकार से भी 75 की उम्र पार नेताओं नजमा हेपतुल्ला व कलराज मिश्र को हटाए जाने की बात चल रही थी मगर ऐसा नहीं हुआ। इस पर सरताज सिंह ने कहा- ‘लगता है मेरे साथ खेल हो गया। पार्टी नेतृत्व से पूछूंगा।’ इस्तीफे के छह दिन बाद ही उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस भी मिल गया। इससे सरताज सिंह का गुस्सा और भड़क गया। यह बात भी सामने आ रही है कि भाजपा गौर की बहू को महिला मोर्चे की कमान सौंपेगी और उन्हें कहीं राज्यपाल बनाकर भेजेगी। भाजपा प्रवक्ता शैलेंद्र प्रधान ने ओपिनियन पोस्ट से कहा- ‘वे हमारी पार्टी के नेता हैंै। उनके कहीं जाने का सवाल ही नहीं है। वे 1974 से विधायक हैं। नेता प्रतिपक्ष, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री रहे। पार्टी ने उन्हें सब कुछ दिया। वे क्यों अलग होंगे?’ इन नेताओं से इस्तीफा लेने के बाद अब यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या भाजपा संगठन व निगम मंडलों में भी 75 पार का फार्मूला अपनाएगी? इस पर प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने कह दिया कि यह फार्मूला संगठन में भी लागू होगा। अगर यह फार्मूला लागू हो गया तो पार्टी के कई नेता किनारे लगेंगे।