सुनील वर्मा।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार से बौखलाई बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने सबसे करीबी और करीब 35 सालों से पार्टी से जुड़े नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी से क्या निकाला बसपा में भूचाल आ गया। माया के इस कदम के बाद लग रहा है कि आने वाले दिनों में मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। माया की ‘माया’ के कई राज का नसीमुद्दीन पर्दाफाश कर सकते हैं जिसकी शुरुआत वे कर चुके हैं। आने वाले दिनों में नसीमुद्दीन की बर्खास्तगी बड़े गुल खिला सकती है।

हालांकि पार्टी से निकाले जाने की घोषणा करते हुए मायावती के सबसे करीबी महासचिव सतीश मिश्रा ने आरोप लगाया कि नसीमुद्दीन ने चुनाव के दौरान पैसा लिया। साथ ही ये भी कहा कि सिद्दीकी ने पश्चिमी यूपी में न सिर्फ बेनामी संपत्तियां बनाई बल्कि बूचड़खाने भी स्थापित किए हैं। हालांकि पार्टी से जुड़े कुछ लोगों का ये भी कहना है कि यूपी में भाजपा के कुछ नेताओं के दबाव में नसीमुद्दीन को पार्टी से निकाला गया है। पार्टी से निष्कासन के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी चैन से बैठेंगे और मायावती के लिए परेशानी का सबब नहीं बनेंगे ऐसा लगता नहीं है। दिलचस्पब बात ये है कि कल तक सिद्दीकी बसपा का मुस्लिम चेहरा होने के साथ भीड़ जुटाऊ नेता भी माने जाते थे। मायावती अपनी ऐतिहासिक रैलियों के प्रबंधन में सिद्दीकी की भूमिका की खुले मंच से तारीफ करती थीं। बसपा से बाहर निकले कई नेता खुलेआम यह आरोप लगाते रहे हैं कि मायावती टिकट के लिए जो पैसे लेती हैं, वे वाया सिद्दीकी ही उन तक पहुंचते रहे हैं। बसपा अध्यक्ष के इतने करीबी होने की वजह से सिद्दीकी पार्टी के दूसरे कई नेताओं की आंख की किरकिरी भी थे। माया के कई राज उनके पास हैं।

माना ये भी जा रहा है कि सूबे में मुस्लिमों की आबादी से ज्यादा एक चौथाई टिकट (99 प्रत्याशी) मुस्लिम प्रत्याशियों को दिए जाने में सिद्दीकी की मुख्य भूमिका रही। साथ ही बीच चुनाव में माफिया मुख्तार अंसारी व उनके बेटे को बसपा में शामिल किए जाने के पीछे भी सिद्दीकी को ही जिम्मेदार माना जाता रहा है। जानकार बताते हैं कि चुनाव बाद से लगातार हो रही समीक्षा में यह बात सामने आ रही थी कि पार्टी को मुस्लिम केंद्रित होकर चुनाव लड़ने से खासा नुकसान हुआ। यहां तक कि पार्टी के बेस वोटर दलित भी नाराज हुए। बसपा अध्यक्ष पार्टी से मुस्लिमपरस्ती का ठप्पा हटाना चाहती हैं। इसके अलावा मायावती ने अपने छोटे भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर नंबर दो की पोजीशन दी। मगर सिद्दीकी की सूबे में मुख्य भूमिका की वजह से उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिल पा रही थी।

बताया जाता है कि बसपा सुप्रीमो सिद्दीकी को निकालना नहीं चाहती थीं। वे चाहती थीं कि उनकी कार्रवाई का संकेत समझ कर सिद्दीकी खुद ही पार्टी छोड़ दें ताकि मुसलमानों में गलत संदेश न जाए। इस वजह से पहले सिद्दीकी के पर कतरते हुए यूपी में उनकी भूमिका लगभग खत्म की और मध्य प्रदेश भेजा गया। जब सिद्दीकी ने संकेत को नजरअंदाज करने की कोशिश की तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। सिद्दीकी के बाहर होने के साथ ही उनके भाई आनंद पार्टी में मायावती के बाद ताकत के सीधे दूसरे केंद्र हो गए हैं। इसके अलावा सूबे में भाजपा सरकार आने के बाद बसपा राज में चीनी मिलों की बिक्री जैसे मामलों का तूल पकड़ना भी उनकी बर्खास्तगी का कारण माना जा रहा है।
सिद्दीकी ने बर्खास्तगी के बाद खुलासा किया कि यूपी चुनाव में मुसलमानों का वोट बसपा को नहीं मिलने की वजह मायावती सपा-कांग्रेस गठबंधन होने को न मानकर उन्हें मान रही हैं। इसी कारण उन्होंने उनके सामने मुसलमानों को गद्दार तक कह दिया। उन्होंंने आरोप लगाया कि मायावती के यहां लोगों से भेदभाव होता है। सब लोगों के लिए अलग नियम हैं। कुछ लोगों के घड़ी पेन तक रखवा लिए जाते हैं तो सतीश मिश्रा जैसों के आते ही गेट खोल दिए जाते हैं। इन्हीं बातों का विरोध करने के कारण मायावती उनसे नाराज थीं।

सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मायावती ने उनसे पार्टी में आर्थिक तंगी बताकर 50 करोड़ रुपये जुटा कर देने की मांग की थी। उन्होंने इतनी बड़ी रकम जुटाने में असर्मथता जताई तो मायावती ने उन पर अपनी प्रॉपर्टी बेचने का दबाव डालना शुरू कर दिया और कहा कि आगे बढ़ना है तो ऐसा करना होगा। नसीमुद्दीन अब तमाम एजेंसियों को उन कारनामों के राज बताएंगे जो उन्होंने मायावती के दबाव में किए थे। नसीमुद्दीन ने मायावती के साथ अपनी व पार्टी के कुछ दूसरे नेताओं से बातचीत के आॅडियो टेप भी जारी किए जिनमें मायावती टिकट दिए गए उम्मीदवारों से पैसे का लेनदेन या पूरी रकम जल्दी लाने की बात कर रही हैं। नसीमुद्दीन का दावा है कि उनके पास ऐसे करीब डेढ़ सौ टेप हैं। साहिबाबाद से अमरपाल, सिवालखास और मोदी नगर से टिकट लेने वाले उम्मीदवारों से रकम नहीं मिलने की आॅडियो क्लिप तो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो चुकी है। मायावती के राजदार रहे नसीमुद्दीन अब कह रहे हैं मायावती के किस्से बहुत हैं जिनका वे धीरे-धीरे खुलासा करेंगे।