बीजेपी यूपी के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से पूरी ताकत झोंक रही है। केंद्र में पार्टी की बहुमत वाली सरकार के दो साल के काम का लेखाजोखा मनमोहक तरीके से पेश किया जा रहा है। यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा है कि यह सरकार यूपीए की सरकार के मुकाबले अच्छे दिन लाने में कामयाब रही है। यही नहीं इस सरकार के  दो साल के अब तक के काल में भ्रष्‍टाचार का कोई भी मामला सामने नहीं आया है साथ ही दुनिया भर में भारत की प्रतिष्‍ठा भी बढ़ी है।

लेकिन अच्छे दिनों की ये बात आम आदमी के गले के नीचे नहीं उतर रही है। उसने तो रट लगा रखी है कि कहां गए 15 लाख रुपये। हालांकि इस सवाल से बीजेपी बचती रही है लेकिन फिर भी जवाब तो देना है।तो इस सवाल का जवाब यह कह कर दिया जा रहा है कि वे 15 लाख रुपये दरअसल आपके नहीं, देश के थे जो आपके खाते में नहीं आए। जिससे आपका निजी तौर पर कोई नुकसान भी नहीं हुआ है।  जो नुकसान हुआ है, वह देश का हुआ है। वह तो एक उदाहरण दिया गया था कि विदेश से काला धन वापस आ गया तो वह इतनी बड़ी राशि होगी कि हर किसी के खाते में 15 लाख रुपये पहुंच सकते हैं। मीडिया में जोर जोर से चिल्लाने वाले बाबा रामदेव ने भी काले धन पर मौन साध लिया है। लेकिन यह मौन होता बड़ा घातक है। इतिहास इसका गवाह है कि जो समय पर मुखर नहीं हुए, उन्‍हें उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है।

दूसरी ओर बीजेपी में मौन उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद के उम्‍मीदवार को लेकर भी बना हुआ है। एक टीवी कार्यक्रम में देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह जरूर कहा कि मुख्‍यमंत्री पद के बहुत उम्‍मीदवार हैं, लेकिन उन्‍होंने कोई नाम नहीं बताया। हालांकि हंसी-हंसी में इसका खंडन जरूर कर दिया कि वह खुद मुख्‍यमंत्री पद के उम्‍मीदवार नहीं हैं।

फिर यही सवाल तेज तर्रार नेता और केंद्र सरकार में जल संसाधन और गंगा सफ़ाई मंत्री उमा भारती से पूछा गया तो वह भी कहती दिखीं कि  उनके एजेंडे पर अभी सिर्फ गंगा है। यूपी के चुनावों में अजित सिंह और सपा के गठजोड़ को भी वह अहमियत नहीं देतीं। वह गंगा के अलावा किसी चीज़ के बारे में नहीं सोच सकतीं। मायावती व  अखिलेश को हराने के लिए जनता ही काफी है।

अब सवाल यह है कि जनता यूपी में बीजेपी से अपने नेता का नाम जानना चाहती है, जिसे बताने में बीजेपी कन्‍नी काट रही है। बिहार विधानसभा चुनाव का नतीजा देखें तो यीपी में बीजेपी के सीएम पद का उम्‍मीदवार बताने में हो रही देरी कहीं पार्टी को नुकसान ना पहुंचा दे। अब इस संदर्भ में पार्टी की क्‍या रणनीति है, यह तो पार्टी वाले जानें।

फिलहाल मैं नहीं, मैं नहीं… की रणनीति से कहीं भाजपा यूपी में भी मैं नहीं का परिणाम ना हासिल कर ले।