केंद्र सरकार ने सात साल पहले हिमाचल के जिला कांगड़ा में प्रस्तावित सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान किया था मगर सात साल बाद भी नहीं पता कि इसका निर्माण कब होगा और राज्य के किस कोने में होगा। प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की राजनीतिक लड़ाई के चलते सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाए जाने का मामला पिछले सात सालों से अधर में लटका हुआ है। भाजपा और कांग्रेस नेता अपनी पसंदीदा जगहों पर इसे खोलना चाहते हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जहां इसका निर्माण धर्मशाला में ही करवाना चाहते हैं तो पूर्व सीमए प्रेम कुमार धूमल इसे देहरा में बनाने का दबाव बना रहे हैं। केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार में मजबूत पकड़ रखने वाले धूमल व उनके पुत्र अनुराग ठाकुर जो बीसीसीआई अध्यक्ष भी हैं, सेंट्रल यूनिवर्सिटी को अपने संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले जिला कांगड़ा के देहरा उपमंडल में बनाने पर अडे हैं। हालांकि वर्तमान में सेंट्रल यूनिवर्सिटी का वीसी कार्यालय धर्मशाला में खोला गया है, जबकि इसका एक कैंपस शाहपुर में चल रहा है।

इसका एक कैंपस शाहपुर में होने के कारण कांग्रेस के नेताओं ने भी सेंटल यूनिवर्सिटी निर्माण अब शाहपुर में करवाने की जिद पकड़ ली है, जबकि वीरभद्र सिंह ने साफ कहा है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी का निर्माण धर्मशाला में ही होगा। दिलचस्प बात है कि प्रदेश में केंद्रीय विवि की घोषणा यूपीए-2 के कार्यकाल में की गई थी और इसका निर्माण जिला कांगड़ा में किए जाने की घोषणा भी कर दी गई थी। दरअसल मुद्दा ये है कि कांग्रेस भी नहीं चाहती कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में कांगड़ा को मिली सेंट्रल यूनिवर्सिटी पर भाजपा के लोग अब अपना हक जमाएं।
यही कारण है कि इसका श्रेय लेने के लिए भाजपा भी तमाम हथकंडे इस्तेमाल कर रही है। धर्मशाला के पास केंद्र की टीम ने इसी कारण एक जगह कोे रिजेक्ट कर दिया था। पूर्व धूमल सरकार ने जब सेंट्रल यूनिवर्सिटी को देहरा की तरफ सरकाया तो तब प्रदेश में कांग्रेस थी तथा केंद्र में यूपीए की सरकार थी। अब जबकि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है तो केंद्र में भाजपा सरकार।
बस कांग्रेस और भाजपा की इसी लड़ाई के कारण सेंट्रल यूनिवर्सिटी कहां बने ये मसला अटका पड़ा है।