नई दिल्ली। ‘नजफगढ़ का तेंदुलकर’ या ‘मुल्तान का सुल्तान’, देश के सलामी बल्लेबाजों शुमार वीरेंद्र सहवाग ने अंतरर्राष्टीय क्रिकेट से अलविदा कह दिया है। करीब एक दशक तक अपने बल्ले से गेंदबाजों में दहशत पैदा करने वाले अब क्रिकेट के मैदान में नजर नहीं आएंगे।

सहवाग ने अपने 37वें जन्मदिन पर मंगलवार को क्रिकेट को अलविदा कह दिया। दो साल से बारतीय टीम से बाहर रहने के बाद आखिरकार वीरू ने क्रिकेट को बाय-बाय कहना उचित समझा। क्योंकि कारण उनकी बढ़ती उम्र है। उनके फैन्स उन्हें भारत के सबसे आक्रामक बल्लेबाज के रूप में याद रखेंगे।
वींरेंद्र सहवाग की पहचान हमेशा एक ऐसे मस्तमौला और बेखौफ बल्लेबाज के रूप में रहेगी, जिसका लक्ष्य हर गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचाना रहा। वह पहली गेंद का सामना कर रहे हों या शतक के करीब हों, उन्होंने कभी अपनी आक्रामकता से समझौता नहीं किया। उनके पास सचिन और द्रविड़ जैसी बेहतरीन तकनीक भले ही नहीं थी, लेकिन उनकी आंखों का बल्ले से इतना गजब तालमेल था कि गेंद आते ही बाउंड्री से पार पहुंच जाती थी।