नई दिल्‍ली। वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर लाखों श्रद्धालु भूस्खलन और गिरते पत्थरों के खतरे के बीच यात्रा जारी रखने को मजबूर हैं तो आए दिन हो रहे हादसों से उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि श्राइन बोर्ड अब दावा करने लगा है कि वह इस समस्या का पक्का हल निकालने जा रहा है। वैष्णो देवी में गेट नंबर-तीन के पास एक बड़ा हादसा हो गया है। बुधवार सुबह श्रद्धालुओं के ट्रैक पर एक चट्टान गिरने से कई लोग मलबे में दब गए और सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल की मौत हो गई। बताया जाता है कि हादसे में कई लोगों के हताहत होने की खबर है। हालांकि अभी कोई पुख्ता जानकारी या संख्या सामने नहीं आई है। पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई है। बचाव और राहत कार्य शुरू हो गया है। मौसम साफ होने पर बोर्ड प्रशासन द्वारा मुआयना करने के बाद नए मार्ग को खोल दिया जाता है पर बार-बार खराब होता मौसम इस यात्रा मार्ग पर खतरे के स्तर को बढ़ाता रहता है।

यात्रा मार्ग में गिरते पत्थरों से होने वाली जान-माल की क्षति को रोकने के उपाय शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन यह कवायद बहुत देर से की गई है क्योंकि यात्रा मार्ग में भूस्खलन और गिरते पत्थर बीसियों श्रद्धालुओं की जान ले चुके हैं और सैंकड़ों घायल हुए हैं तो कई अपंग भी हो चुके हैं। इन पत्थरों के गिरने का कारण प्राकृतिक बताया जाता है पर श्राइन बोर्ड की ओर से निर्माण के दौरान इस्तेमाल किए गए विस्फोटक भी हादसों का सबब बन रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन और यात्रा मार्ग के पहाड़ों से गिरते पत्थरों के कारण मरने वालों का आंकड़ा 80 के आसपास पहुंच चुका है। करीब 850 श्रद्धालु आए-दिन के ऐसे हादसों के कारण घायल भी हो चुके हैं। यूं तो यात्रा मार्ग पर भूस्खलन और पत्थरों के गिरने की घटनाएं पहले भी हुआ करती थीं पर पहले ये बारिश के दौरान ही होती थीं परंतु जबसे श्राइन बोर्ड ने पहाड़ों को विभिन्न स्थानों से काट कर निर्माण कार्यों में तेजी लाई है, ऐसे हादसों में भी तेजी आ गई है। हालांकि श्राइन बोर्ड के अधिकारी ऐसे हादसों के लिए प्रकृति को जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन इस सच्चाई से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता कि जिन त्रिकुटा पहाड़ों पर वैष्णो देवी की गुफा है उसके पहाड़ लूज राक से बने हुए हैं जो निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे विस्फोटकों के कारण कमजोर पड़ते जा रहे हैं। उसका परिणाम यह सामने आ रहा है कि वैष्णो देवी की यात्रा पर आने वाले एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के सिरों पर भूस्खलन और गिरते पत्थरों के रूप में मौत लटक रही है। इसका खतरा कितना है पिछले कई सालों से सामने आ रहा है। यूं तो श्राइन बोर्ड ने एहतिहात के तौर पर नए यात्रा मार्ग पर जगह-जगह इन गिरते पत्थरों से बचने की चेतावनी देने वाले साइन बोर्ड लगा रखे हैं और बचाव के लिए टीन के शेडों का निर्माण करा रखा है परंतु गिरते पत्थरों को ये टीन के शेड नहीं रोक पाते।  इस बात को श्राइन बोर्ड के अधिकारी मानते भी हैं। बरसात के दिनों में यह खतरा और बढ़ जाता है तो भीड़ के दौरान ये टीन के शेड थोड़े से लोगों को ही शरण दे पाते हैं।

श्राइन बोर्ड ने माना है कि वैष्णो देवी मार्ग पर शूटिंग स्टोन के कारणों का पता लगाने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ राक मैकेनिक्स को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इंस्टीट्यूट के दो सदस्यीय दल ने सर्वे भी किया। टीम ने बाणगंगा से पहाड़ों के नमूने लिए हैं। दल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में शूटिंग स्टोन के कारणों का पता लगाने के साथ जोन की भी शिनाख्त की गई। सर्वे मुकम्मल करने के बाद टीम ने बोर्ड को रोकथाम के उपाय भी बताए हैं। बोर्ड ने पहले से ही कुछ जगहों की शिनाख्त की है। टीम ने यात्रा मार्ग पर पहाड़ियों की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के साथ ही उन इलाकों को चिन्हित कर दिया है जो भूस्खलन के लिहाज से खतरनाक हैं। बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि राज्यपाल ने यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं ताकि बरसात के समय यात्रा मार्ग पर पत्थर व पस्सियां गिरने की घटनाओं को रोका जा सके।

भूस्खलन की इन घटनाओं के बारे में भू-वैज्ञानिक अपने स्तर पर बोर्ड के अधिकारियों को सचेत कर चुके थे कि गुफा के आसपास के इलाके में पिछले कई सालों से जिस तेजी से निर्माण कार्य हुए हैं, उससे पहाड़ कमजोर हुए हैं। इन वैज्ञानिकों ने यह सलाह दी थी कि बोर्ड को सावधानी के तौर पर भू-विशेषज्ञों व अन्य तकनीकी लोगों से पहाड़ों-चट्टानों की जांच करा कर जरूरी कदम उठाने चाहिए क्योंकि इसे भूला नहीं जा सकता कि हिमालय पर्वत श्रृंखला की शिवालिक श्रृंखला कच्ची मिट्टी (लूज राक) से निर्मित है। पर बोर्ड के अधिकारियों ने कथित तौर पर इस चेतावनी पर खास ध्‍यान नहीं दिया।