उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दे दिया था, जिसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जहां से केंद्र को राहत मिली और प्रदेश में पुन: राष्ट्रपति शासन बहाल कर दिया गया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि वहां बहुमत परीक्षण क्यों ना करा लिया जाये, जिसके बाद वहां 10 मई को शक्ति परीक्षण हो रहा है।
यह है पूरा मामला
18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद प्रदेश में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी। गौरतलब है कि उत्तराखंड के चल रहे सियासी संकट के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सीबीआई ने स्टिंग मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने का समन जारी किया है। इस स्टिंग के कथित तौर पर उन्हें एक पत्रकार से बागी विधायकों का फिर से समर्थन हासिल करने के लिए डील करते हुए दिखाया गया था।