सरकारी बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज को लौटाने में आनाकानी कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या को ब्रिटेन ने अपने देश से बाहर निकालने की भारत की मांग को ठुकरा दिया। ब्रिटेन ने भारत से कहा है कि विजय माल्या को ब्रिटिश कानूनों के मुताबिक निर्वासित नहीं किया जा सकता ।लेकिन उनके प्रत्यर्पण के निवेदन पर पर वह विचार कर सकती है।

प्रिवेंशन अॉफ मनी लॉड्रिंग एक्ट 2002 के तहत जांच में माल्या की मौजूदगी पक्की करने के लिए उनका भारतीय पासपोर्ट रद्द कर दिया गया था। माल्या के खिलाफ गैर जमानती वांरट भी जारी किया गया है।

ब्रितानी सरकार ने भारत को सूचित किया है कि 1971 अाव्रजन कानून के तहत ब्रिटेन में रहने वाले किसी व्यक्ति का पासपोर्ट अगर एक्सपायर या रद्द भी हो जाए तो अंतर नहीं पड़ता, बर्शते कि पासपोर्ट रद्द होने से पहले उसे वीज़ा या ब्रिटेन में रहने की अनुमति दी गई हो, जो वैध हो।

कहा गया है कि ब्रिटेन माल्या पर लगे आरोपों की गंभीरता को समझता है और भारत सरकार की सहायता के लिए उत्सुक है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि उन्होंने भारत सरकार से परस्पर कानूनी सहायता के अनुरोध या प्रत्यर्पण पर विचार करने को कहा है।

प्रत्यर्पण 1993 की संधि के तहत हो सकता है या ब्रिटेन और अमरीका के बीच 1992 हस्ताक्षर किए गए परस्पर कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत अन्य कोई आवश्यक सहायता ली जा सकती है।

हाई कमीशन को दिए गए एक नोट के जरिए ब्रिटेन ने जांच एजेंसियों को बताया गया कि वो विजय माल्या का प्रत्यर्पण कराने में असमर्थ है। माल्या एनआरआई हैं और उनके पास 1992 से ब्रिटेन का रेजीडेंसी परमिट है।

भारत सरकार को बताया गया कि हालांकि माल्या का पासपोर्ट रद्द हो गया है, लेकिन उनके पास यूके में रहने के लिए वैध वीजा है। जबकि माल्या का राजनयिक पासपोर्ट 24 अप्रैल को ही रद्द किया जा चुका है।