अरुणाचल प्रदेश में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में तकाम पारियो को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। पालिन विधानसभा सीट से विधायक पारियो को पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) की बैठक में सर्वसम्मति से राज्य का अगला सीएम चुना गया। पूर्व कांग्रेस सांसद तकाम संजय के भाई पारियो इस पद पर पेमा खांडू की जगह लेगें जिन्हें गुरुवार देर रात पार्टी के छह नेताओं के साथ निलंबित कर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, पीपीए नेतृत्व पेमा खांडू पर भाजपा के बढ़ते प्रभाव से नाराज था और यही उनके निलंबन की वजह भी बनी।

खांडू के अलावा उप मुख्यमंत्री चावना मेन और पांच अन्य विधायकों को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए निलंबित किया गया है। जिन अन्य विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है उनमें जम्बे टाशी, सीटी मेन, पीडी सोना, जिगनू नामचोम और कामलुंग मोसांग का नाम शामिल है।

पीपीए अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने एक आदेश में कहा कि पार्टी के संविधान और 20 दिसंबर को कार्यकारी समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव के जरिए मिले अधिकार के तहत विधायकों को अस्थायी तौर पर प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। बेंगिया ने कहा कि प्रथम दृष्टया इन साक्ष्यों से वह संतुष्ट थे कि ये लोग ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों में शामिल हैं। आदेश में आगे कहा गया है कि निलंबन के साथ खांडू अब पीपीए विधायक दल के नेता नहीं रहे। उन्होंने पार्टी विधायकों और पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे खांडू की ओर से बुलाई गई किसी बैठक में शामिल नहीं हों। आदेश की अहवेलना करने वाले सदस्य को पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना होगा।

विधानसभा अध्यक्ष टी. नोरबू थोंगडोक को भेजे पत्र में बेंगिया ने उनसे आग्रह किया कि वह निलंबित किए गए विधायकों को सदन के असंबद्ध सदस्य घोषित कर दें और उनके लिए सदन में अलग बैठने की व्यवस्था करें। बेंगिया ने विधानसभा अध्यक्ष से यह भी आग्रह किया कि वह इस घटनाक्रम के बारे में राज्यपाल को सूचित करें। अरुणाचल में पीपीए के पास अभी विधानसभा स्पीकर को मिलाकर कुल 43 विधायक हैं।

टुकी को हटाकर सीएम बने थे खांडू

खांडू 16 जुलाई 2016 को मुख्यमंत्री बने थे। कांग्रेस ने उन्हें नबाम टुकी की जगह मुख्यमंत्री बनाया था। नबाम टुकी को 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया था। मगर कांग्रेस के बागी विधायकों के टुकी को समर्थन नहीं देने से पार्टी ने नेता बदलकर हालात को काबू में कर लिया था। मगर इसके कुछ ही महीने बाद मुख्यमंत्री खांडू सहित कांग्रेस के ज्यादातर विधायक पीपीए में शामिल हो गए। तब कांग्रेस में केवल एक विधायक नबाम टुकी ही बचे थे।

अरुणाचल पिछले साल से ही राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। तब कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने कलिखो पुल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री नबाम टुकी के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद चली राजनीतिक उठापटक और अस्थिरता का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने टुकी सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। फिर कलिखो पुल ने कांग्रेस के 29 बागी विधायकों को अपने साथ पीपीए में शामिल करके सरकार बनाई जिसे भाजपा के 11 विधायकों का भी समर्थन था। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को असंवैधानिक करार दिया और कांग्रेस सरकार की फिर बहाली का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टुकी सरकार तो बहाल हो गई मगर बागी विधायकों ने उन्हें समर्थन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रेमा खांडू को विधायक दल का नेता चुना गया और सभी बागी फिर से कांग्रेस में लौट आए।