नई दिल्ली।

आपने देखा होगा कि तीखे मोड़ पर सड़क का ढलान अंदर की ओर होता है, जिससे मुड़ते समय वाहन अंदर की ओर झुक जाता है और उसके पलटने की आशंका कम हो जाती है। लेकिन घुमावदार रास्‍ते पर ट्रेन झुकती नहीं, जिससे हादसों की आशंका अधिक रहती है, क्‍योंकि मोड़ पर ट्रेन को घूर्णन बल बाहर फेंक देता है।

यह विज्ञान का सिद्धांत है जिसका उपयोग अभी तक सड़क के मामले में ही किया जा सका है, लेकिन अब भारत में ऐसी ट्रेनें चलने वाली हैं जो मोड़ पर झुक जाएंगी। एक अधिकारी ने बताया कि बाईं ओर झुकाव होने पर ऐसी ट्रेन बाईं ओर झुक जाती है और दूसरी दिशा में झुकाव होने पर ट्रेन उस ओर झुकेगी। इससे यात्रियों को सहूलियत होती है। ऐसी ट्रेनें अभी 11 देशों में चल रही हैं, जिनमें इटली,  पुर्तगाल,  स्लोवेनिया,  फिनलैंड,  रूस, चेक गणराज्य,  ब्रिटेन,  स्विट्जरलैंड,  चीन,  जर्मनी और रूमानिया शामिल हैं।

स्विट्जरलैंड के सहयोग से भारत ‘‘टिल्टिंग’’ ट्रेनें विकसित करेगा जो मोड़ पर एक ओर वैसे ही झुक जाएंगी जैसे घुमावदार रास्तों पर मोटरबाइक झुक जाती है। इस संबंध में दोनों देशों के बीच एक सितंबर को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। रेल मंत्रालय ने स्विस परिसंघ (स्विट्जरलैंड) के साथ दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

पहला समझौता ज्ञापन रेल मंत्रालय और स्विस परिसंघ के पर्यावरण, परिवहन और संचार के संघीय विभाग के मध्य रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए हुआ। इस समझौता ज्ञापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता ज्ञापन रेल मंत्री सुरेश प्रभु और स्विटजरलैंड के राजदूत के बीच रेल क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के बारे में जुलाई 2016 में हुई बैठक के बाद की कार्रवाई के रूप में हुआ है।

दूसरा समझौता ज्ञापन कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड (केआरसीएल) और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) के बीच हुआ है। इस समझौता ज्ञापन से सुरंग बनाने के क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके विस्तार के लिए गोवा में जॉर्ज फर्नांडीज इंस्टीट्यूट ऑफ टनल टेक्नोलॉजी (जीएफआईटीटी) की स्थापना करने में मदद मिलेगी।

समझौता ज्ञापन का लक्ष्य ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक, ईएमयू एवं ट्रेन सेट, ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण, माल और यात्री कारें, टिलटिंग ट्रेन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरण आदि क्षेत्रों में सहयोग करना है। इस प्रकार भारत रेलवे के विकास के लिए विश्‍वस्‍तरीय व्‍यवस्‍था बनाने में लगा है, जिससे रेल हादसों में कमी लाई जा सकेगी।