तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब देश में नए सिरे से इस पर बहस छिड़ गई है। मौलाना और उलेमा जहां इसे सीधे-सीधे धार्मिक मामलों में दखलंदाजी करार दे रहे हैं वहीं मुस्लिम महिलाएं इसे अपनी असल आजादी मान रही हैं। सरकार इस पर क्या कानून बनाती है यह तो बाद की बात है लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि भारत से पहले 22 देशों ने तीन तलाक पर बहुत पहले ही पाबंदी लगा दी थी। इनमें हमारा पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका भी शामिल है। बता दें कि मुस्लिम समाज में 1400 वर्षों से चली आ रही तीन तलाक की प्रथा की इजाजत कुरान और शरिया में भी नहीं है।

1. मिस्र- मिस्र पहला देश था, जिसने तीन तलाक को बैन किया। मिस्र में 1929 में कानून-25 के जरिए घोषणा की गई कि तलाक को तीन बार कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और इसे वापस लिया जा सकता है। साल 1929 में मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया था।

2. पाकिस्तान – पाकिस्तान इस कुप्रथा को खत्म करने में भारत से कहीं आगे है। दुनिया के दूसरे सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले देश पाकिस्तान में 1961 में ही एक झटके में तीन तलाक कहने पर तलाक हो जाने पर पाबंदी लग गई थी।पाकिस्तान में अब एक कमेटी की सिफारिशों के आधार पर तलाक के लिए नियम बनाए गए हैं। वहां तलाक लेने के लिए पति को यूनियन काउंसिल (स्थानी निकाय) के चेयरमैन को इस बारे में जानकारी देते हुए एक नोटिस देना होता है और इसकी कॉपी अपनी बीवी को देनी होती है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे एक साल की सजा हो सकती है और 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। नोटिस पाने के 30 दिन के भीतर चेयरमैन को एक पंच परिषद बनानी होती है जो पहले पति-पत्नी के बीच समझौते का प्रयास करती है। इसके बाद 90 दिनों तक इंतजार किया जाता है। इस दौरान भी अगर समझौता नहीं हुआ तो तलाक माना जाता है।  यदि महिला गर्भवती है तो तलाक़ 90 दिन या प्रसव, जिसकी समयावधि ज्यादा हो, के बाद ही प्रभावी होगा। संबंधित महिला तलाक़ होने के बाद भी अपने पूर्व पति से शादी कर सकती है और इसके लिए उसे बीच में किसी तीसरे व्यक्ति से शादी करने की जरूरत नहीं है।

पाकिस्तान में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगने की कहानी दिलचस्प है। 1955 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने अपनी पहली पत्नी की मर्जी लिए बगैर ही अपनी सेक्रेटरी से निकाह कर लिया था। लेकिन उनकी पत्नी ने इसे चुपचाप सहा नहीं बल्कि इसका विरोध किया। पाकिस्तान में तभी से तीन तलाक के खिलाफ आवाजें उठने लगी और धीरे-धीरे यह देशव्यापी आंदोलन बन गया। बढ़ते विरोध को देखते हुए इस पर पाबंदी लगाई गई और तलाक के कानून बदले गए।

3. बांग्लादेश- बांग्लादेश 1971 में पाकिस्तान से अलग हुआ था। मगर उसने अविभाजित पाकिस्तान के तलाक के कानून में कोई तब्दीली नहीं की। इसलिए बांग्लादेश में भी पाकिस्तान जैसा ही कानून लागू है।

4. श्रीलंका- हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में तकरीबन 10 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ये एक मुस्लिम बहुल देश नहीं है लेकिन मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि यहां का कानून सबसे अच्छा है। यहां का कानून तुरंत तलाक़ वाले किसी नियम को मान्यता नहीं देता। यहां के नियमों के मुताबिक, कोई मुस्लिम व्यक्ति पत्नी को तलाक देना चाहता है तो उसे मुस्लिम जज काजी को नोटिस देना होता है। इसके बाद जज के साथ-साथ दोनों परिवारों के सदस्य उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं। इसके बाद भी समझौता नहीं होने पर नोटिस के 30 दिन बाद पति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। इसके लिए उसे एक मुस्लिम जज और दो गवाहों की भी जरूरत पड़ती है।

5. अल्जीरिया- अफ्रीकी महाद्वीप के मुल्क अल्जीरिया में मुस्लिम आबादी करीब 3.47 करोड़ से ज्यादा है। यहां भी तीन तलाक़ पर बैन है। अगर कोई दंपति तलाक लेना चाहता है तो उसे कोर्ट की शरण में जाना होगा। कोर्ट पहले दोनों के बीच सुलह की कोशिश करेगा। इसके लिए तीन महीने का वक्त मिलता है। इसके बावजूद अगर सुलह नहीं होती है तो कोर्ट कानून के मुताबिक तलाक़ मिलेगा।

6. ट्यूनिशिया- उत्तरी अफ्रीकी महाद्वीप के देश ट्यूनिशिया में मुस्लिम आबादी करीब 1.09 करोड़ से ज्यादा है। यहां साल 1956 में तय कर दिया गया था कि तलाक़ की प्रक्रिया कोर्ट के जरिए होगी। इससे पहले कोर्ट दोनों पक्षों में सुलह के प्रयास भी करेगा।

7. इंडोनेशिया– दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में रहती है। यहां मुस्लिमों की कुल आबादी 20.91 करोड़ से ज्यादा है। इंडोनेशिया में मैरिज रेग्युलेशन एक्ट के आर्टिकल 19 के मुताबिक तलाक़ केवल कोर्ट के जरिए दिया जा सकता है। तीन तलाक़ यहां मान्य नहीं है।

8 . तुर्की- मुस्तफा कमाल अतातुर्क के नेतृत्व में 1926 में स्विस सिविल कोड अपना लिया था। यह कानून प्रणाली यूरोप में सबसे प्रगतिशील और सुधारवादी मानी जाती है। इसके लागू होने का मतलब था कि शादी और तलाक से जुड़े इस्लामी कानून अपने आप ही हाशिये पर चले गए। 1990 में इसमें संशोधन हुए लेकिन जबर्दस्ती की धार्मिक छाप से यह तब भी बचा रहा। यहां तलाक कानूनी प्रक्रिया के द्वारा ही लिया जा सकता है।

9. साइप्रस- यहां मुस्लिम आबादी 2.64 लाख है। तीन तलाक कानूनी प्रक्रिया के द्वारा ही लिया जा सकता है.

10. इराक- यहां तीन तलाक बोलने पर इसे एक ही तलाक माना जाता है। यहां पति-पत्नी दोनों को तलाक देने का हक है। इस दौरान अदालत झगड़े की वजह की जांच कर सकता है। इसके बाद अदालत सुलह के लिए दो लोगों की नियुक्ति कर सकता है जिसके बाद वो खुद भी मध्यस्थता कर अंतिम निर्णय सुनाती है।

11. सूडान- साल 1935 में कुछ प्रावधानों के साथ इस कानून को अपना लिया।

12. ईरान- य़हां शिया कानूनों के तहत तीन तलाक को मान्यता नहीं दी गई है।

13. संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जॉर्डन ने भी तीन तलाक के मुद्दे पर तैमिया के विचार को स्वीकार कर लिया है।

14.सीरिया- यहां 74 फीसदी सुन्नी मुसलमान हैं लेकिन यहां 1953 से ही तीन तलाक पर बैन लगा हुआ है।