बहुचर्चित 2जी घोटाले में विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इन्हीं तमाम मुद्दों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्‍ठ अधिवक्ता कपिल सिब्‍बल से अभिषेक रंजन सिंह की बातचीत।

2 जी स्पेक्ट्रम पर जो फैसला आया है वह हमारी जांच एजेंसी और न्यायपालिका को क्या रोशनी दिखाता है?
मैं शुरू से यह कहता रहा हूं कि 2जी स्‍पेक्‍ट्रम के आवंटन में कहीं कोई घोटाला नहीं हुआ था। पटियाला हाउस की विशेष अदालत में मेरी ‘जीरो लॉस’ की थ्योरी सही साबित हुई। हमारी तत्कालीन सरकार को बदनाम करने के लिए यह बेबुनियाद केस किया गया था। मैं जांच एजेंसी को दोषी नहीं मानता। दोषी वे लोग हैं जो बिना साक्ष्य के लाइसेंस रद्द कर दिए। इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल पैदा हो गया है। बिना सोचे-समझे उसने अपना निर्णय सुना दिया। अब जबकि इस मामले में सभी लोगों को दोषमुक्त कर दिया गया है तो सुप्रीम कोर्ट को यह समझना चाहिए कि बगैर सच्चाई जाने कोई फैसला सुनाना उसकी गरिमा के लिए ठीक नहीं है। लेकिन 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आने के बाद निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट की बदनामी हुई है। भविष्य में ऐसी गलतियां न हों, इसका ध्यान सुप्रीम कोर्ट को रखना चाहिए। मेरे ख्याल से सीबीआई कोर्ट का फैसला देश की आलिया अदालत के लिए भी एक सबक है।

इस फैसले का राजनीतिक असर क्या होगा?
2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को जान-बूझकर घोटाला-घोटाला कहकर भाजपा ने इसका दुष्प्रचार किया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार में भाजपा ने इसे खूब भुनाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे ने भी उस कथित घोटाले को लेकर यूपीए सरकार के खिलाफ बेवजह का आंदोलन चलाया। इससे आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों को राजनीतिक फायदा मिला। नतीजतन आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। झूठ की बुनियाद पर केंद्र की मौजूदा सरकार टिकी हुई है। डॉ. मनमोहन सिंह जैसे ईमानदार और अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री की छवि खराब करने में भाजपा और नरेंद्र मोदी जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। आज भी वह ऐसा ही कर रहे हैं। आपने गुजरात चुनाव के समय भी देखा। किस तरह उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ गलतबयानी की। कांग्रेस को उस कथित घोटाले को लेकर बदनाम किया गया जो वास्तविकता में कोई घोटाला या भ्रष्टाचार था ही नहीं। अदालत के इस फैसले का हम सभी कांग्रेस जन सम्मान करते हैं। तत्कालीन सीएजी विनोद राय और भाजपा को इस फैसले के बाद देश से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस संसद से लेकर सड़क तक इस मामले को उठाएगी। हम जनता के बीच जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि भाजपा अपने सियासी फायदे के लिए किस तरह संवैधानिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचा रही है।

इस फैसले का संवैधानिक और कानूनी असर क्या होगा?
यह कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले सही नहीं होते हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत जिस पर लोगों का भरोसा कायम है, अगर वहां गलत फैसले होने लगे जैसा टू जी मामले में हुआ तो लोगों का विश्वास तो डिगेगा। अदालतों में साक्ष्य के आधार पर फैसले होते हैं न कि भावनाओं और कोरी अफवाहों के आधार पर। भाजपा ने देश भर में इसका गलत प्रचार किया और उसकी शिकार कहीं न कहीं सुप्रीम कोर्ट भी हो गई। भाजपा ने कोयला घोटाले को भी खूब प्रचारित किया और लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में इसका सियासी फायदा उठाया। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आने वाले दिनों में 2जी स्पेक्ट्रम की तरह कथित कोयला घोटाले की सच्चाई भी अदालत के जरिये लोगों के सामने आएगी। भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक नीचे गिर सकती है। उसके लिए सत्ता महत्वपूर्ण है न कि देश। यही वजह है कि भाजपा देश की संवैधानिक संस्थाओं और न्यायपालिका की गरिमा को धूमिल करने से परहेज नहीं करती।

सुप्रीम कोर्ट ने 122 लाइसेंसों को अवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। क्या आपकी नजरों में अदालत का यह फैसला गलत था?
सीबीआई की विशेष अदालत ने तमाम साक्ष्यों के आधार पर साफ शब्दों में कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। मैं फिर दोहराना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले सही होते हैं ऐसा भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जिन ग्यारह टेलीकॉम कंपनियों के सभी 122 लाइसेंसों को रद्द करने का फैसला सुनाया वह गलत था। अदालत ने किस आधार पर यह फैसला सुनाया था यह समझ से परे है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से टेलीकॉम कंपनियों को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ। जिन कंपनियों ने बैंकों से कर्ज लिया था उसे चुकाने में वे नाकाम रहीं। नतीजतन बैंकों का एनपीए बढ़ गया। इस एक गलत फैसले से देश को आर्थिक नुकसान हुआ है। सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद जिन टेलीकॉम कंपनियों के लाइसेंस रद्द हुए थे, उनमें से कई कंपनियां भारत सरकार से हर्जाने की मांग करने के लिए अदालत की शरण लेंगी। मैं उनकी मांग से सहमत हूं।