उमेश सिंह।

मेरे साथ घटना 4 जून 2017 को हुई। नौकरी दिलाने के लिए एमएलए सेंगर के यहां शशी सिंह लेकर गांव गई। हम पीछे वाले दरवाजे से पहुंचे थे। वह आंगन में खड़ी हो गई और मुझे कमरे में मुंह बांधकर ले गए। विरोध करने पर हाथ पैर दबा दिया। यदि आवाज उठाई तो पूरे परिवार को मार देंगे। एक घंटे बाद हमें अपने घर से निकाल दिया। शशि अपने घर और मैं अपने घर चली गई। मैंने डरवश उस समय किसी से नहीं बताया। 11 जून 2017 को उन्होंने अपने पांच आदमियों से मुझे घर से उठवा लिया। रात को तकरीबन नौ बज रहे थे। मैं पानी लेने के लिए घर के बाहर निकली। बहनें घर के अंदर टीवी देख रही थीं। वे पांचों नीम के पेड़ के पास घात लगाए छिपे थे। मैं ज्यों ही बाहर निकली, मुझे जबरदस्ती गाड़ी पर बिठा लिया। उन पांचों में दो को मैं पहचानती हूं। एक का नाम नरेश है तो दूसरे का शुभम। अन्य तीन को मैं नहीं जानती कि वे लोग कौन थे? गाड़ी में बैठाकर कहां ले गए, हमको याद नहीं है। बस इतना याद है कि हमें औरैया से बरामद किया गया। 17 अगस्त 2017 को चाचा के पास गई। चाची को घटना के बारे में बताया। चाचा ने कहा कि ‘दद्दू तो ऐसा नहीं कर सकते हैं लेकिन फिर बाद में कहा कि घटना की एप्लीकेशन लिखो, योगी से मिलते हैं। चाचा तारीख पर आए थे। मैं उनके साथ लखनऊ योगी के आवाास पर गई। योगी जी मिले, बातें हुर्इं। योगी जी ने कहा, ‘जाओ बेटा, तुम्हारी पांच-छह दिन में जांच कराएंगे।’ तभी से हम गांव में नहीं बल्कि डर के कारण बाहर-बाहर रहते थे। दिल्ली चली गई। सीओ ने भी एफआईआर नहीं ली। पापा ‘पप्पू सिंह’ पर 156(3) के तहत कोर्ट में मुकदमा दायर किया। पापा 3 अप्रैल 2018 को दादी को दवा देने गांव आए थे। दादी का इलाज सत्यभामा अस्पताल से चल रहा है। विधायक के भाई अतुल सिंह अपने साथियों विनीत, विनोद आदि के साथ आए और पिता को घर से खींच ले गए। दादी ने विरोध किया तो उन्हें उठाकर फेंक दिया और वह दर्द से कराह रही थी, फिर भी उन्हें बंदूक के कुंदों से मारा। वे सभी पिता को चारदीवारी के अंदर खींच ले गए और नीम के पेड़ में बांधकर पीटते रहे। बीच-बीच में पिता के ऊपर पानी भी डालते रहे। पानी दे-दे कर मारा। उस समय पुलिस भी मौजूद थी। सीबीआई जांच हो रही है। मुझे भरोसा है कि न्याय मिलेगा।

(हूबहू जस का तस, जैसा कि पीड़ित किशोरी ने चौधरी चरण सिंह सिंचाई निरीक्षण भवन में ‘ओपिनियन पोस्ट’ को बताया)