पश्चिम बंगाल से पंजाब के लुधियाना में बसे एक पिता की जिंदगी का सिर्फ एक ही मिशन है। वह है ड्रग्स के खिलाफ जंग जारी रखने का। पेशे से डॉक्टर अरिंदम बनर्जी को अब मौत का खौफ नहीं है।

अरिंदम बताते हैं कि उनके इकलौते बेटे का नाम अभिषेक था। देखने में सुंदर, पढ़ा-लिखा था। उम्र 21 साल 11 महीने 7 दिन (वे कहते हैं कि अब उम्र गिनने के अलावा कोई काम नहीं रहा मेरे पास)। 2011 में उसे ड्रग्स की लत लग गई। मुझे जब पता चला तो मैंने उसका इलाज करवाया। 2013 तक वह बिल्कुल ठीक हो गया था। उसके बाद मैंने एक रिहेब्लिटेशन सेंटर खोला जिसको अभिषेक देखा करता था। एक दिन मैंने उससे कहा कि तुमने नशा तो छोड़ दिया लेकिन अब तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है कि जिनसे तुम ड्रग्स लेते थे उस गिरोह को पकड़वाओ। उसने ऐसा ही किया। लुधियाना के डुगरी पुलिस स्टेशन में जाकर मैंने और उसने एक रिपोर्ट लिखवाई। पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा भी। एक संदिग्ध शाम अग्रवाल का पता नहीं चला तो पुलिस ने उसकी गाड़ी को जब्त कर लिया। गाड़ी में से हेरोईन के पैकेट बरामद किए गए। इस मामले के बाद पुलिस ने कहा कि आप अपने बेटे को बाहर भेज दो उसकी जान को खतरा हो सकता है। मैंने उसे दिल्ली भेज दिया। लेकिन काम के सिलसिले में मैंने उसे 11 जून 2014 को वापस बुला लिया (बताते बताते उनका गला भर गया)।

अरिंदम बनर्जी अभिषेक के पिता
अरिंदम बनर्जी अभिषेक के पिता

वह आगे बताते हैं कि अभिषेक लॉ करने के लिए एक जुलाई 2014 को पुणे जाने वाला था। इसी बीच एक दिन वह हेयर कटिंग और दोस्तों से मिलने के लिए निकला तो वापस नहीं लौटा। मैं और मेरी पत्नी पूरी रात फोन करते रहे लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। अगले दिन पता चला कि पुलिस को उसकी बॉडी मिली है। मैं जब वहां पहुंचा तो मैंने देखा कि ड्राईवर सीट पर उसकी बॉडी पड़ी है। चेहरे पर पिटाई के निशान हैं, गले पर निशान हैं। बेटे की मौत से मैं टूट गया था। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम के लिए बॉडी भेजनी है लेकिन मैंने कहा कि यह तो मर्डर है। पुलिस नहीं मानी। उसका कहना था कि अभिषेक की ड्रग्स ओवरडोज से मौत हुई है। मैं अपने बेटे को जानता था। डॉक्टर होने के नाते भी जानता था कि मर्डर और ड्रग्स की ओवरडोज लेने में क्या अंतर है। मैंने पुलिस से बेटे के विसरा का सैंपल लिया और चंडीगढ़ लैब में भेजा। वहां की रिपोर्ट में किसी तरह के ड्रग्स या जहर का खुलासा नहीं हुआ। उसके बाद हरियाणा, हिमाचल, पंजाब में टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट में आया कि अभिषेक की गला घोंट कर हत्या की गई थी।

पंजाब पुलिस के ढीले रवैये के बाद अरिंदम बनर्जी ने क्राइम ब्रांच से संपर्क किया। अक्टूबर 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी उन्होंने इस सिलसिले में मुलाकात की। इस दौरान उनसे कहा गया कि वह पत्र तो दे देंगे लेकिन कार्रवाई तो लुधियाना पुलिस ही करेगी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को समन भेजा लेकिन पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने फिर समन भेजा हुआ है। उनका कहना है कि, ‘मेरी जिंदगी का मकसद अब न पैसा कमाना है न शोहरत। मेरा मकसद है सिर्फ अपने बेटे को इंसाफ दिलाना है।