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सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी नौसैनिक को स्वदेश लौटने की इजाजत दे दी है। भारत एवं इटली के बीच क्षेत्राधिकार के मामले पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसला लेने तक उसे अपने देश में रहने की अनुमति दी।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इतालवी नौसैनिक सल्वातोरे जिरोने को इटली वापस जाने की इजाजत दे दी। जिरोने के अनुरोध का भारत सरकार ने ‘मानवीय आधार’ पर समर्थन किया था। इस रिहाई में कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। जिसमें जिरोने को एक निश्चित पुलिस थाने में हाजिरी लगानी होगी। साथ ही, इटली में रहते हुए भी भारत के सुप्रीम कोर्ट के सारे आदेश मानने होंगे।
यह मामला 2012 का है।इतालवी दो नौसैनिकों ने भारतीय समुद्री सीमा में केरल के दो मछुआरों को गोली मार दी थी। उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनमें से एक मासिमिलियानो लातोरे पहले ही स्वदेश जा चुके हैं। उन्हें 2014 में दौरा पड़ा था। उसके बाद इलाज के लिए उन्हें घर जाने दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लातोरे को सितंबर तक लौट कर भारत आना होगा।

इटली की सरकार का कहना है कि उसके सैनिकों ने इरादतन हत्या नहीं की थी बल्कि नौसैनिक एक तेल टैंकर की सुरक्षा में तैनात थे और भारतीय मछुआरों को उन्होंने समुद्री डाकू समझ लिया था।

इटली इसके लिए यूएन की अदालत में भी चला गया था। इसी महीने की शुरुआत में यूएन की कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि भारत को जिरोने को रिहा करना चाहिए। जिरोने अब तक जमानत पर थे। वे पिछले चार साल से इटली के दूतावास में रह रहे हैं। द हेग में यूएन कोर्ट ने कहा कि जिरोने को घर लौटने देना चाहिए लेकिन उन्हें भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निश्चित की गईं जमानत की शर्तों का पालन करना होगा।  बीते साल इस मामले में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी (ITLOS) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सारी कानूनी कार्रवाई को स्थगित कर दिया था।

इटली का कहना है कि घटना के वक्त उसके सैनिक यूएन के समुद्री डकैतों के खिलाफ चलाए गए मिशन पर थे और जब उन्होंने मछुआरों पर गोली चलाई तब वे भारतीय सीमा में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे। इसलिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। भारत इस रुख का विरोध करता रहा है।