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गांव में एक से बढकऱ एक बहुमंजिले मकान हैं, जिन पर अद्भुत नक्काशी देखने को मिली. प्राकृतिक आपदा के साथ साथ शत्रुओं के आक्रमण से बचाव के इंतजाम पारंपरिक तकनीक की सहायता से किए गए हैं, जो केवल दर्शनीय नहीं, बल्कि शोध का विषय भी हैं. शिक्षक कृपा सिंह राणा बताते हैं कि गांव के मकान गोरखाओं के हमले की  साक्षात् गवाही देते हैं.

जनपद उत्तरकाशी के विकास खंड मोरी के सीमांत गांव फिताडी स्थित बहुमंजिले भवन आगंतुकों में केवल कौतूहल ही पैदा नहीं करते, बल्कि विशिष्ट भवन निर्माण शैली और इतिहास के प्रति उनकी जिज्ञासा भी बढ़ा देते हैं. प्राचीन भूकंपरोधी भवन निर्माण शैली नए जमाने के इंजीनियरों को सबक सिखाती नजर आती है. लकड़ी से निर्मित मकानों ने खुद में एक इतिहास समेट रखा है. गांव निवासी बलबीर सिंह राणा के मकान की दीवार पर उभरे अक्षरों में लिखी इबारत देखिए, संवत 1585 अषाड़ 2 गते आगम जीत की कोटी सुरम दास मिस्त्री कुमार मृल दास. बकौल बलवीर राणा, यह मकान उनके परदादा आगमजीत का है, जो उक्त तिथि में बनकर तैयार हुआ.

आगमजीत के पुत्र ताली राम उनके दादा एवं ठाकुर सिंह उनके पिता हैं. कोटी का मतलब मकान, सुरम दास मकान बनाने वाले मिस्त्री थे, जिन्हें हिमाचल के किन्नौर से लाया गया था और उनका साथ दिया स्थानीय मिस्त्री मृलदास ने. इस पांच मंजिला भवन में जानवरों के चित्र भी उकेरे गए हैं. पहली मंजिल में गाय, दूसरी में भेड़, तीसरी में बकरियां, चौथी में मेजबान मेहमान एवं रसोई और अंतिम में लकडिय़ां रखने की व्यवस्था थी. यह मकान देवदार व थुनेर की इमारती लकडिय़ों से निर्मित है. इसमें तीन से चार फीट लंबे व चार इंच मोटे तराशे गए पत्थरों और सीमेंट गारे की जगह उड़द की दाल यानी माश के मिश्रण से तैयार लेप का इस्तेमाल हुआ था. मौसम, परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदा मसलन भूकंप, तूफान, बर्फबारी आदि के मद्देनजर दरवाजे के चौखट की ऊंचाई कम रखी गई है.

गांव में एक से बढकऱ एक बहुमंजिले मकान हैं, जिन पर अद्भुत नक्काशी देखने को मिली. प्राकृतिक आपदा के साथ साथ शत्रुओं के आक्रमण से बचाव के इंतजाम पारंपरिक तकनीक की सहायता से किए गए हैं, जो केवल दर्शनीय नहीं, बल्कि शोध का विषय भी हैं. शिक्षक कृपा सिंह राणा बताते हैं कि गांव के मकान गोरखाओं के हमले की  साक्षात् गवाही देते हैं. उन्होंने हमारे घरों की चौखट पर धारदार हथियारों से प्रहार किए, मौजूद निशान गोरखयाणी युद्ध की याद ताजा कर देते हैं. पूर्व प्रमुख शिव सिंह राणा के मुताबिक, पंगु राम राणा के पांच मंजिला भवन ने गांव का पूरा इतिहास समेट रखा है. पंगु राम गांव के सयाणा हैं और उनका मकान सौ साल से ज्यादा पुराना है.