terrorist connection of pakistan

दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने वाले संगठनों की पनाहगाह बना हुआ है पाकिस्तान. पचास से अधिक आतंकवादी संगठनों को इस मुल्क ने अपने यहां शरण दे रखी है. जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा एवं हिज्ब-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों के सरगना पाकिस्तान में खुलेआम घूमते हैं और पाकिस्तान सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सुबूत मांगती है. अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए पूरा विश्व एकजुट हो और आतंकवाद पर अपना रुख स्पष्ट करे.

terrorist connection of pakistanआतंकवाद विश्व के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ  हैं दुनिया भर के देश इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है. पचास से अधिक आतंकवादी संगठन उसकी जमीन से पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाते हैं और पाकिस्तान सरकार उन्हें संरक्षण दे रही है. एक तरफ पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से पीडि़त बताता है, वहीं दूसरी तरफ आतंकी संगठनों की शरणस्थली बना हुआ है. अमेरिका से अरबों डॉलर की सहायता लेने वाला पाकिस्तान उसके सबसे बड़े दुश्मन ओसामा बिन लादेन को अपने यहां छिपाए हुए था. ओसामा पाकिस्तान के एबटाबाद में मारा गया था, जो पाकिस्तान की काकुल मिलिट्री एकेडमी से कुछ ही दूरी पर स्थित है. इस एकेडमी में पाकिस्तानी सेना की तीन रेजिमेंट रहती हैं. सैन्य एकेडमी की नाक तले रहने वाले ओसामा के बारे में क्या आईएसआई को पता नहीं था? उसके बारे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को सारी जानकारी थी, लेकिन फिर भी उसने अमेरिका से सूचना साझा नहीं की और ओसामा को पनाह देता रहा. ओसामा के पाकिस्तान में रहने के अमेरिकी खुफिया एजेंसी के दावों को पाकिस्तान बार-बार खारिज करता रहा, लेकिन जब ओसामा मारा गया, तो उसने मजबूरी में इसे स्वीकार किया और आश्चर्य जताया. यही पाकिस्तान का असली चेहरा है.

यह बात जगजाहिर है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों का संचालन पाकिस्तान से होता है. हर बड़ी आतंकवादी घटना के बाद भारत उसके सुबूत भी देता रहा है, लेकिन पाकिस्तान ने हर बार केवल कार्रवाई का दिखावा किया. भारत में हुए कई बड़े आतंकवादी हमलों से जैश-ए-मोहम्मद का सीधा संबंध रहा है और भारत ने उसके सुबूत भी पाकिस्तान को दिए, लेकिन अब तक इस आतंकवादी संगठन के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई. 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के शामिल होने के सुबूत भारत सरकार ने पाकिस्तान को सौंपे थे. पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते उसे गिरफ्तार भी किया, लेकिन एक साल के बाद ही छोड़ दिया. कहा गया कि उसके खिलाफ सुबूत नहीं हैं. पठानकोट और उरी में हुए हमले के पीछे भी जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने का स्पष्ट सुबूत भारत के पास है और बार-बार पाकिस्तान को बताने के बावजूद अब तक उसने मसूद अजहर के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की. पाकिस्तान उसे नजरबंद करने का नाटक करता है, जहां से वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों का संचालन करता है.

दरअसल, कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों में जैश-ए-मोहम्मद, हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन एवं लश्कर-ए-तैयबा सबसे ज्यादा खतरनाक हैं और तीनों को पाकिस्तान ही पनाह देता है. उसने इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की. जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को तो आतंकवादी गतिविधियां संचालित करने के लिए भारत में गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन साल 1999 में विमान अपहरण के बाद उसमें सवार 178 यात्रियों को छोडऩे के बदले तीन आतंकवादियों को रिहा कर दिया गया, जिनमें मौलाना मसूद अजहर भी शामिल था. इस विमान अपहरण के समय भी पाकिस्तान की दोहरी भूमिका सामने आई थी. 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के आधे घंटे बाद ही आईसी-814 विमान को पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अपने कब्जे में कर लिया था. उस समय भी पाकिस्तान सरकार से सहायता के लिए कहा गया था, लेकिन उसने कोई प्रयास नहीं किया. विमान को अफगानिस्तान के कंधार में रखा गया और अंतत: भारत सरकार को मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख एवं मुस्ताक जरगर जैसे तीन खूंखार आतंकवादी छोडऩे पड़े. मसूद अजहर ने इसके बाद जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन की स्थापना की. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर निवासी इस आतंकी को पाकिस्तान सरकार का समर्थन हासिल है. हालांकि, दिखावे के तौर पर उसने इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया है और अजहर को भी नजरबंद कर रखा है, लेकिन कई रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि अजहर के संगठन को पाकिस्तानी सेना एवं आईएसआई का पूरा समर्थन है और पाकिस्तान में उसके कई कार्यालय हैं, जहां वह आतंकवादियों की भर्ती करता है.

terrorist pakistanजैश-ए-मोहम्मद ने भारत में हुए कई आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है. हाल में पुलवामा में सीआरपीएफ के वाहन पर हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली है. जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना के कुछ महीने बाद ही साल 2000 में श्रीनगर के सैन्य मुख्यालय पर आत्मघाती हमले की कोशिश की गई थी. उस समय 17 वर्षीय आतंकवादी मारुति कार में विस्फोटक लेकर सैन्य मुख्यालय की ओर बढ़ रहा था, लेकिन घबराहट में उसने मुख्यालय के गेट के पास ही ट्रिगर दबा दिया, जिसके चलते वहीं विस्फोट हो गया. उसी साल क्रिसमस के दिन ब्रिटिश मूल के 24 वर्षीय आतंकवादी ने श्रीनगर के सैन्य मुख्यालय पर आत्मघाती हमला किया था, इसमें भी विस्फोटक से भरी मारुति कार का इस्तेमाल किया गया था. इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे और छह नागरिक मारे गए थे. जैश-ए-मोहम्मद ने अपने मुखपत्र जर्ब-ए-मोमीन में आत्मघाती हमलावर का पूरा प्रोफाइल छापा और उसे अपने संगठन का सदस्य बताया था. जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी भी जैश-ए मोहम्मद ने ली थी, जिसमें 23 नागरिकों की मौत हो गई थी. इतने आत्मघाती और कई छोटे-बड़े हमलों की जिम्मेदारी लेने के बाद भी पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद और उसके प्रमुख मौलाना मसूद अजगर के खिलाफ सुबूत की जरूरत है. अब भी वह उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए सुबूत एकत्र करने की बात करता है और हर बार कड़ी कार्रवाई करने का राग अलापता है.

कश्मीर में सक्रिय दूसरे सबसे खतरनाक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संचालन भी पाकिस्तान से ही होता है. लश्कर- ए- तैयबा को भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस एवं ऑस्ट्रेलिया ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. पाकिस्तान के आका अमेरिका ने हाफिज सईद के ऊपर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है, लेकिन पाकिस्तानी सरकार और सेना ने उसे अपने यहां भाषण देने की छूट दे रखी है. हालांकि, पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आकर लश्कर पर प्रतिबंध लगा दिया है. हाफिज सईद जमात-उद-दवा नामक एक अन्य संगठन भी चलाता रहा है, उसे भी प्रतिबंधित किया जा चुका है. हाफिज ने अपनी राजनीतिक पार्टी भी बना रखी है. साथ ही वह फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) नामक ट्रस्ट के माध्यम से चंदा एकत्र करके आतंकवादी गतिविधियां संचालित करता है. इसके अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से अफीम एवं अन्य नशीली दवाओं का गैर कानूनी व्यापार करके जुटाए गए पैसों का भी इस्तेमाल वह आतंकवादी गतिविधियां संचालित करने, आतंकवादियों की भर्ती और हथियार जुटाने के लिए करता है. आईएसआई भी इन आतंकवादी संगठनों को हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराती है. लश्कर का एकमात्र उद्देश्य कश्मीर को भारत से अलग करना है. साल 1987 में अफगानिस्तान में इस संगठन की स्थापना हुई थी और ओसामा बिन लादेन ने इसके लिए पैसों की व्यवस्था की थी. अफगानिस्तान में लादेन और तालिबान की स्थिति कमजोर होने के बाद हाफिज ने पाकिस्तान को ही अपना अड्डा बना लिया, जहां वह आतंकवादियों की भर्ती कर उन्हें भारत में भेजता है. भारत के खिलाफ आग उगलने और आतंकवाद फैलाने वाले लश्कर को पाकिस्तानी सरकार, सेना और आईएसआई का संरक्षण हासिल है. संसद और मुंबई हमले में इस संगठन के शामिल होने के खिलाफ सुबूत रहे हैं. भारत ने लश्कर के खिलाफ कई बार पाकिस्तान को सुबूत दिए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर उसने केवल दिखावा किया, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधार सके. हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन का उद्देश्य भी कश्मीर को भारत से अलग करना है. कश्मीर में सक्रिय यह आतंकवादी संगठन पाकिस्तान से अपना नेटवर्क चलाता है.

दरअसल, पाकिस्तान सरकार इन आतंकवादी संगठनों पर अंकुश लगाने के बजाय किसी न किसी रूप में सहयोग करती है. पाकिस्तानी सेना इनके आतंकवादियों को प्रशिक्षण देती है और भारत में घुसपैठ करने में मदद करती है. वह खुद धन मुहैया कराती है, साथ ही चंदा एकत्र करने की छूट भी देती है. खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ये संगठन पाकिस्तान के कई ट्रस्टों के माध्यम से पैसा जुटाते हैं. लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उल-दवा प्रतिबंध के बावजूद लगातार आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं. इसके लिए फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन धन एकत्र करता है, जिसकी जानकारी पूरी दुनिया को है, लेकिन पाकिस्तान उस पर प्रतिबंध लगाने और उसके बैंक खाते सीज करने के लिए सुबूत मांगता है. जैश-ए-मोहम्मद के लिए फंड एकत्र करने का काम अल-रहमत ट्रस्ट करता है. अल-राशिद ट्रस्ट, अल-अख्तर ट्रस्ट, राबिता ट्रस्ट, उम्माह तमिर-ए-नउ ट्रस्ट समेत कई गैर सरकारी संगठन पाकिस्तान के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों से इस्लाम के नाम पर पैसा इक_ा कर उसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए करते हैं. वे ऑनलाइन फंड जुटाते हैं और क्राउड फंडिंग का भी सहारा लेते हैं. ईद के समय वे कुर्बानी के नाम पर पैसा मांगते हैं. साल 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन ट्रस्टों ने कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए 78 करोड़ पाकिस्तानी रुपये एकत्र किए थे. जिस दिन कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला किया था, उसी दिन ईरान में भी आत्मघाती हमला हुआ था. कश्मीर में हुए हमले में ४० और ईरान में हुए हमले में 27 जवान शहीद हुए थे. ईरान ने भी पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है. पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को संरक्षण लगातार जारी है, इसलिए उसे अलग-थलग करने की जरूरत है, ताकि सबक मिल सके.

चीन का अजहर प्रेम

आतंकवाद को लेकर चीन का रुख हमेशा दोहरा रहा है. पाकिस्तान का सदाबहार सहयोगी चीन एक ओर आतंकवाद की निंदा करता है, तो दूसरी ओर भारत में कई बड़े हमलों के जिम्मेदार आतंकवादी संगठनों के प्रति उसका रवैया हमेशा नरम रहा है. जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव को चीन रोकता रहा है. इसके लिए सुरक्षा परिषद में वह वीटो का इस्तेमाल करता रहा है. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी भी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है, लेकिन चीन का रुख अब भी वही है और उसने हमले की निंदा करने के बावजूद मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारतीय प्रस्ताव का समर्थन करने की घोषणा नहीं की.

अगर भारत के पास (पुलवामा हमले में पाकिस्तान के तत्वों की संलिप्तता के बारे में) कोई सुबूत है, तो उसे हमसे साझा करना चाहिए. हम पूरी ईमानदारी से जांच करेंगे और देखेंगे कि क्या यह (सुबूत) सही है. पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि सहयोग करेंगे, क्योंकि हम कोई अशांति नहीं चाहते. हिंसा न हमारी नीति थी और न है. द्द

– शाह महमूद कुरैशी,  विदेश मंत्री, पाकिस्तान.

एफएटीएफ की काली सूची में डाला जाए

तंकवादियों को शरण देने वाले पाकिस्तान को अब फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स की काली सूची में डालने का समय आ गया है. पूरे विश्व को इसके लिए भारत का सहयोग करना चाहिए. आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्त पोषण पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ ने पहले ही पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल रखा है, लेकिन अब उसे काली सूची में डालने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए. भारत सरकार ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से अंजाम दिए गए हमलों और पड़ोसी देश द्वारा उसे दी गई मदद को लेकर अब तक एकत्र किए गए साक्ष्यों के जरिये दस्तावेज तैयार कर रही हैं. इसमें जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी एजेंसियों के संबंधों और उनकी ओर से आतंकवादी संगठन के वित्त पोषण के सुबूत होंगे. फ्रांस के पेरिस स्थित फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को दस्तावेज के जरिये बताया जाएगा कि पाकिस्तानी एजेंसियां किस तरह जैश को धन मुहैया करा रही हैं. एफएटीएफ द्वारा काली सूची में डालने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन और आतंक के वित्त पोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में असहयोगात्मक रवैया अपना रहा है. अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है, तो उससे आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं. एफएटीएफ ने जुलाई 2018 में पाकिस्तान को संदेह वाली ग्रे सूची में डाला था. एफएटीएफ में अभी 35 देश, यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग संगठन शामिल हैं. उत्तर कोरिया और ईरान को एफएटीएफ की काली सूची में शामिल किया जा चुका है, लेकिन आतंकवाद पर कुछ देशों के दोहरे रवैये के कारण पाकिस्तान को इसमें अब तक शामिल नहीं किया जा सका है.

 पाक प्रायोजित आतंकी संगठन

  1. जैश-ए-मोहम्मद
  2. लश्कर-ए-तैयबा
  3. हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन
  4. अल बदर
  5. जमात-उल-मुजाहिद्दीन
  6. हरकत-उल-अंसार
  7. लश्कर-ए-उमर
  8. हरकत-उल-मुजाहिद्दीन
  9. लश्कर-ए-जब्बार
  10. हरकत-उल-जेहाद-ए-इस्लामी
  11. अल बर्क
  12. तहरीक-उल-मुजाहिद्दीन
  13. अल जेहाद
  14. जम्मू-कश्मीर नेशनल लिबरेशन आर्मी
  15. पीपुल्स लीग
  16. मुस्लिम जांबाज फोर्स
  17. कश्मीर जेहाद फोर्स
  18. अल जेहाद फोर्स
  19. अल उमर मुजाहिद्दीन
  20. महाज-ए-आजादी
  21. इस्लामी जमात-ए-तुलबा
  22. जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स लिबरेशन फ्रंट
  23. इख्वान-उल-मुजाहिद्दीन
  24. इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग
  25. तहरीक-ए-जेहाद-ए-इस्लामी
  26. मुस्लिम मुजाहिद्दीन
  27. अल मुजाहिद फोर्स
  28. तहरीक-ए-जेहाद
  29. इस्लामी इंकलाबी महाज

फूटा ईरान का गुस्सा

भारत के साथ-साथ ईरान ने भी पाकिस्तान को भारी कीमत चुकाने की धमकी दी है. ईरान का कहना है कि पाकिस्तान में पनाह लिए चरमपंथियों ने उसके रिवॉल्युशनरी गाड्र्स के 27 जवानों पर आत्मघाती हमला कर उनकी जान ले ली. रिवॉल्युशनरी गाड्र्स प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी ने हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने पाकिस्तान को धमकी देते हुए कहा कि उसे इसकी कीमत चुकानी होगी. ईरान के शिया मुस्लिम अधिकारियों का कहना है कि चरमपंथी समूहों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित ठिकाना बन गया है और हम लगातार मांग कर रहे हैं कि उनके ठिकाने ध्वस्त किए जाएं.

आतंकवादी राष्ट्र घोषित हो पाकिस्तान

पाकिस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह है. पचास से अधिक आतंकवादी संगठन वहां अपने अड्डे बनाए हुए हैं और पूरी दुनिया में आतंकवाद फैला रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा. अमेरिका और चीन जैसे देशों की दोहरी नीतियों के कारण पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कर्रवाई करना मुश्किल हो जाता है. अब समय आ गया है कि पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी राष्ट्र घोषित करके उसे अलग-थलग किया जाए, ताकि आतंकवादियों को पनाह देने वाले दूसरे देशों को भी सबक मिल सके.