असम विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का 15 साल का शासन खत्म हो गया है। पहली बार राज्य में बीजेपी को सत्ता में पहुंचाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्बानंद सोनोवाल की तारीफ की है। सोनावाल को राज्य में बीजेपी से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था और उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी ने जीत दर्ज की। चुनाव में जीत दर्ज करने से पहले ओपिनियन पोस्ट को दिए साक्षात्कार में सर्बानंद ने जीत का दावा किया था।  ओपिनियन पोस्ट के प्रशन पर कि क्या इस बार असम में भाजपा सरकार बनाने में सफल होगी? पर सोनोवाल ने दावा किया था कि राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी। सोनोवाल ने कहा था कि  राज्य में परिवर्तन की लहर चल रही है। प्रदेश की जनता कांग्रेस को विदाई देने को तैयार है। कांग्रेस ने शासन चलाने के नाम पर सत्ता सुख भोगने के अलावा कुछ नहीं किया। आज असम हर क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। असम को अंधकार से निकालना होगा। इसके लिए गांव से लेकर शहर की जनता ने कांग्रेस के खिलाफ और भाजपा के समर्थन में मतदान करने का मन बना लिया है। इस बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार गठन होना तय है।

असम में हुआ था करीब 82 फीसदी मतदान
असम में दो चरणों में हुए मतदान में करीब 82 प्रतिशत मतदान हुआ था। कांग्रेस बोडोलैंड क्षेत्र को छोड़कर अन्य भागों में अपने दम पर चुनाव लड़ रही है जबकि जेडीयू और आरजेडी ने बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ तालमेल किया है।

बीजेपी का एजीपी के साथ है गठजोड़
भारतीय जनता पार्टी ने असम गण परिषद (एजीपी) के साथ गठबंधन किया, जबकि एच मोहिलारी नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ उसका गठबंधन पहले से था। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। वहीं कांग्रेस की बागडोर तरुण गोगोई के हाथों में थी।

राज्‍य में तीन बार बनी है गैर कांग्रेस सरकार
इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली असम गण परिषद की पहली बार 1985 में और फिर 1996 में सरकार बनी थी। असम की राजनीतिक सत्ता में 1952 से ही कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। यहां पर सिर्फ तीन बार गैर कांग्रेसी सरकारें बनी है। एजीपी ने दो बार सरकार बनाई और उससे पहले 1978 में जनता पार्टी की सरकार बनी थी।