मधुर वचन है औषधि कटुक वचन है तीर। अर्थात मीठी वाणी दवा के समान होती है और कड़वी बात तीर की तरह चुभ जाती है। राजनीति के शब्‍द योद्धा कड़वे वचन का इस्‍तेमाल शस्‍त्र के रूप में करते हैं। जिस प्रकार युद्ध की एक मर्यादा होती है कि कब किस शस्‍त्र का प्रयोग किया जाएगा और कब नहीं, ठीक उसी प्रकार शब्‍दों की भी एक मर्यादा होती है। इस मर्यादा को बनाए रखने के लिए अब अदालतों को भाषा विशेषज्ञ की भूमिका निभानी पड़ रही है।

दिल्ली की एक अदालत की बात करें तो उसने यह भूमिका निभाई है। अदालत के अनुसार डरपोक और मनोरोगी शब्‍दों में अपमान करने की क्षमता नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डरपोक और मनोरोगी कहा था। अदालत ने कहा है कि ये शब्‍द कहने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई अपमान नहीं होता।

पिछले साल दिसंबर में केजरीवाल ने ट्वीट कर पीएम मोदी को अपशब्द कहे थे। उन्होंने यह सब तब कहा था जब सीबीआई ने उनके एक अधिकारी के दफ्तर पर  छापा मारा था। इस अधिकारी पर निजी कंपनी के साथ साठगांठ का आरोप लगा था। आरोप है कि इसके चलते सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ था। वकील प्रदीप द्विवेदी ने केजरीवाल के खिलाफ पीएम की मानहानि,  देशद्रोह सहित कुछ आरोप लगाते हुए दिल्ली की अदालत में केस कर दिया था।

इस मामले पर फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि वकील इस मुद्दे से जुड़े नहीं हैं। इसलिए केजरीवाल पर केस नहीं कर सकते। अपने विवादित बयान के बाद भी केजरीवाल अपने उस बयान पर कायम रहे और कहा कि वे अपने शब्द वापस नहीं लेंगे। उन्होंने कहा था कि यह सब उनकी सरकार को नीचा दिखाने का प्रयास है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्रीय वित्त मंत्री  अरुण जेटली ने 10 करोड़ रुपये का मानहानि का केस किया है। केजरीवाल पर यह केस तब किया गया जब उन्होंने जेटली पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। यह आरोप डीडीसीए से जुड़े मुद्दे को लेकर लगाए गए थे। इस केस में केजरीवाल के अलावा उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के भी नाम शामिल हैं। इन सभी को कोर्ट ने जमानत दे दी थी। अरविंद केजरीवाल को दो बार कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ा था।