संध्या द्विवेदी।

पंजाब में आम आदमी पार्टी की अभी तो कुछ ही बातें सामने आई हैं। जब पूरा कच्चा चिट्ठा सबके सामने आ जाएगा, तो हमें लोगों से क्षमा मांगनी पड़ेगी कि किसी समय हमारा संबंध इस पार्टी से था। इस पार्टी के लिए हमने दिन रात एक कर दिए थे। सच तो यह है कि बातें भले ही अभी सामने आनी शुरू हुई हैं लेकिन पार्टी के भीतर इन सब बातों को लेकर चर्चाएं पहले से थीं। लेकिन यह तो मीडिया प्रबंधन था जो ये सब बातें देरी से बाहर आर्इं। विज्ञापन देकर मीडिया प्रबंधन कर रखा था। अभी तो न जाने कितने खुलासे होंगे, न जाने कितनी बातें सामने आएंगी। सही मायने में यह पार्टी अब दुर्योधन दरबार बन गई है, जहां हर तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है। प्रचंड बहुमत से जीतकर सत्ता में आई इस सरकार के कुछ लोग घमंडी हो गए तो कुछ लोग भ्रष्टाचार के रास्ते पर चल पड़े।’ कभी आम आदमी पार्टी का थिंक टैंक रहे प्रोफेसर आनंद कुमार की ये बातें इशारा करती हैं कि कभी पार्टी में रहे लोगों को यह अंदाजा पहले ही हो गया था कि पार्टी के भीतर सब ठीक नहीं है। इन्हीं वजहों ने इन लोगों को पार्टी छोड़ने पर मजबूर भी किया गया।।

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को बेइज्जत कर पार्टी से निकाले जाने के बाद आनंद कुमार उनके समर्थन में उतरे थे, जिस वजह से उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। प्रो. आनंद कुमार से जब पूछा गया कि आप और किन खुलासों की बात कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा, ‘मैं पहले ही पार्टी को दुर्योधन दरबार कह चुका हूं। आप खुद अंदाजा लगाइए कि दुर्योधन दरबार में क्या कुछ नहीं होता था!’ प्रो.आनंद कुमार ने एक शब्द में पार्टी के चाल-चरित्र और चेहरे पर पड़े ईमानदारी के नकाब को तार-तार कर दिया। प्रो. आनंद कुमार पार्टी के तानाशाह रवैए पर भी खुलकर बोले, ‘देखिए आम आदमी पार्टी में रहना है तो आप-आप कहना है, जो भी पार्टी के भीतर पनप रही गंदगी से पर्दा उठाता है उसे तत्काल प्रभाव से निकालने का फैसला सुना दिया जाता है। योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, धर्मवीर गांधी, सुच्चा सिंह समेत दर्जनों ऐसे नेता और कार्यकर्ता हैं, जिनका पक्ष जाने बिना उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर निकाल दिया गया। मेरे साथ भी करीब करीब यही हुआ। यह पार्टी किसी नौकरशाह के दफ्तर की तरह चल रही है।’

पार्टी के तानाशाह रवैये पर पंजाब के पूर्व संयोजक रहे सुच्चा सिंह भी मोहर लगाते हैं। सुच्चा सिंह छोटेपुर को टिकट के बदले पैसा मांगने का आरोप लगाकर पार्टी से निकाल दिया गया था। सुच्चा सिंह कहते हैं, ‘यहां कोर्ट मार्शल होता है, सुनवाई नहीं। मैंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से समय मांगा था जिससे मैं अपने पक्ष में सफाई पेश कर सकूं। अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करने के लिए सुबूत सामने रख सकंू। मगर बिना मेरा पक्ष जाने पार्टी ने मुझे बर्खास्त कर दिया।’ सुच्चा सिंह ने बताया, ‘मैं बहुत पहले से ही पंजाब में हो रही गड़बड़ियों के बारे में शिकायत कर रहा था, मैं लगातार इन हरकतों पर लगाम लगाने के लिए कह रहा था। लेकिन मेरी अनसुनी हो रही थी, जब लगा कि अब मैं चुप नहीं रहने वाला तो आरोप लगाकर मुझे बाहर का रास्ता दिखा दिया। पंजाब के क्षेत्रीय नेता और कार्यकर्ता शिकायत करते रहे, लेकिन अरविंद केजरीवाल तो धृतराष्ट्र की तरह संजय की आंखों से सब देखते रहे।’ सुच्चा सिंह ने कहा, ‘कर्नल सहरावत की चिट्ठी में लिखी बातें बिल्कुल सही हैं। पंजाब और दिल्ली दोनों में ही टिकट के बदले महिलाओं का यौन शोषण जमकर हो रहा है।’ सुच्चा सिंह ने कहा, ‘एक-एक कर कई परतें खुलेंगी। पंजाब में दिल्ली के छोटे से लेकर बड़े नेता तक इस तरह की हरकतों में लिप्त हैं। अगर पार्टी कह रही है कि सब झूठ है तो इसे साबित करने के लिए कर्नल देवेंद्र सहरावत के आरोपों की जांच करानी चाहिए। कोई बड़ी बात नहीं कि देवेंद्र पर कोई आरोप लगाकर उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।’ सुच्चा सिंह छोटेपुर पंजाब में पार्टी का एक बड़ा चेहरा रहे हैं।
पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव तो पहले ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। हाल ही में दिल्ली के भीतर ताबड़तोड़ ढंग से बांटे गए शराब के लाइसेंस का सनसनीखेज खुलासा योगेंद्र यादव ने किया। यह खुलासा इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि पंजाब में नशाबंदी का चुनावी वादा करने वाली आम आदमी पार्टी दिल्ली में धड़ल्ले से साल भर के भीतर लगभग रोजाना शराब के एक ठेके की दर से लाइसेंस बांटती है।

इन्होंने तो हमें खूब ठगा

‘केवल पंजाब ने भरोसा किया था, चार-चार सांसद दिए थे हमने। लगा था आम आदमी पार्टी सियासी सड़ांध को खत्म करेगी। लेकिन यहां तो पार्टी ने अपना मकसद ही बदल लिया। सेक्स, शराब और घूस का अड्डा बन गई पार्टी। दिन रात प्रचार किया हमने। अपना काम छोड़कर प्रचार में लगा रहा, सोचा यह आम आदमी की पार्टी है हमारी पार्टी है। लेकिन इन्होंने तो हमें खूब ठगा। क्या कहें शायद सियासत की गलियां सबको राजनीति सिखा देती हैं, ये लोग भी सीख गए।
—सुरेंदर सिंह, किसान, मुक्तसर

बहुत दुखी हूं

क्या कहूं, मैं तो बहुत दुखी हूं। अपना काम धाम छोड़कर मैंने आम आदमी पार्टी का प्रचार किया। मेरे घर में तो झगड़े भी खूब हुए कि आखिर पार्टी हमें रोटी तो नहीं दे देगी। मजदूर हूं सो रोज खाना कमाना पड़ता है। इसलिए हर एक घंटे की कीमत है मेरे लिए। मगर मैंने सोचा था, एक ईमानदार सरकार बनेगी तो सबका भला होगा। आप सोचो कि आप किसी पर दिल जान वार दो, उसके प्यार में सबके दुश्मन बन जाओ और वह अपना ईमान ही बदल ले। बस ऐसा हुआ पंजाब के हम जैसे आम आदमी पार्टी के समर्थकों के साथ।
—जसविंदर सिंह, मानसा

अंजाम भुगतना पड़ेगा
बहुत दिनों तक आप मुखौटा नहीं पहन सकते। सिर्फ मीठी-मीठी बातें आपको नहीं लुभातीं। पंजाबी अपने चरित्र और इज्जत को लेकर बहुत सजग होते हैं। ये खबरें झूठी हैं तो इसे साबित करना चाहिए, नहीं तो इसका अंजाम चुनाव नतीजे में भुगतना पड़ेगा।
—जसविंदर सिंह, अटारी गांव, अमृतसर

तब इस पार्टी को दस में दस नंबर दिए थे
आम आदमी पार्टी के खिलाफ आ रही खबरों ने हमें भी परेशान कर दिया है। हो सकता है विपक्ष की यह साजिश हो, लेकिन एक बात तो सच है कि दिल्ली से आए लोगों ने पंजाब में कुछ तो गड़बड़ किया है। पंजाबी अपनी स्थानीयता को लेकर बहुत सतर्क और दृढ़ हैं। आप दिल्ली में बैठकर पंजाब नहीं जीत सकते। दो महीने पहले तक मैं इस पार्टी को दस में से दस नंबर दे रहा था, मगर अब यह नंबर काफी घट गया है। और यही हाल रहा तो और घटेगा।
—बलजीत सिंह, पत्रकार, मानसा

लोगों का भरोसा टूटने लगा है
यहां आम आदमी पार्टी का हाथ बहुत ऊंचा था। मैंने खुद दो महीने पहले आपसे कहा था। मैं भी इनका शुभचिंतक था। मगर अब तो इनके जैसे कारनामे बाहर आ रहे हैं, क्या कहूं? अगर ये सारी बातें सच हैं तो फिर सबसे पहले इनसे वह छिटकेगा जिसने इन्हें पंजाब में जगह दी। यानी पंजाब का आम आदमी। नवजोत सिंह सिद्धू एक अच्छा विकल्प थे। मगर इन्हें तो पंजाब के लोगों पर भरोसा ही नहीं। बहुत लोगों का भरोसा टूटने लगा है।
—निर्मल सिंह, किसान नेता, मानसा

योगेंद्र यादव कहते हैं, ‘जिस तरह के अभद्र शब्द मेरे और प्रशांत के लिए इस्तेमाल हुए, जिस तरह का अभद्र व्यवहार हमारे साथ हुआ, उससे तो पहले ही साफ हो गया था कि यह पार्टी तानाशाही और गुंडागर्दी पर भरोसा करती है। मैंने तो उस वक्त भी पार्टी के भीतर पारदर्शिता, स्थानीय इकाइयों को स्वायत्तता, भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकपाल, आप के अंदर आरटीआई के इस्तेमाल और मुख्य मामलों में गुप्त मतदान की मांग की थी। लेकिन जो हमारे साथ हुआ वह तो सबको पता है। देखिए इस पार्टी के रवैये से लोग इसलिए ज्यादा आहत हैं क्योंकि आम आदमी पार्टी एक पोलिटिकल पार्टी नहीं थी, यह नैतिक प्रोजेक्ट था, इस देश की राजनीति को बदलने का सपना था। उस सपने को आकार देने के लिए एक वाहन बनाया गया था। पार्टी के रूप में हाड़ मांस का वाहन। लेकिन आज वह सपना मर चुका है, वाहन रुक गया है। इस सपने के साथ लाखों करोड़ों लोगों के सपने धूल मिट्टी में मिल गए। बाकी पार्टियां तो अपने उसूलों को छोड़कर उन्हें तोड़कर आगे चली जाती हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी तो बनी ही इस सपने को सच करने के लिए थी। मैं तो समझता हूं कि पार्टी सच सुनना ही नहीं चाहती। पार्टी के भीतर आज भी कई ईमानदार और साहसी लोग हैं। कर्नल सहरावत ने तो उस समय भी हिम्मत दिखाई थी जब हमारे साथ अभद्रता बरती गई थी। वह बेहद सच्चे और साहसी व्यक्ति हैं।’

डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी बनाने वाले प्रो. मंजीत सिंह भी कभी आम आदमी पार्टी का हिस्सा हुआ करते थे। वह कहते हैं, ‘अभी तो राज खुलने शुरू हुए हैं। धीरे धीरे न जाने कितने दाग सामने आएंगे। जो साफ सुथरे चेहरे हैं वे तो अरविंद केजरीवाल को पसंद नहीं। हर पंपलेट, बैनर, झंडे में अरविंद केजरीवाल ही नजर आते हैं। उन्हें दरअसल अपना ही चेहरा अच्छा लगता है… और अच्छे लगते हैं अपने कुछ करीबी। अजीब बात है चार-चार सांसद देने वाले पंजाब में उन्हें एक भी ऐसा शख्स नहीं मिला जिसे वह पंजाब की कमान थमा देते। दिल्ली के नेता यहां आ-आकर पार्टी को दागदार करते रहे और आलाकमान आराम करते रहे। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही अगर रास्ते से भटक जाए तो फिर मातहत लोग तो बेलगाम होंगे ही। पार्टी एक गुट बन चुकी है। जहां लोकतंत्र नाम की कोई चीज बची ही नहीं है।’ प्रो. मंजीत सिंह कहते हैं, ‘यह लूट-खसोट करने वालों की पार्टी है। पंजाब में तो लोगों से लगातार इस बात पर पैसा ऐंठा गया कि विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलेगा। लेकिन जब टिकट की बारी आई तो यह किसी और को दिया गया। न जाने कितने लोगों से झूठे वादे कर लाखों-करोड़ों रुपये खाए गए। अब ये लोग क्या चुप बैठेंगे? यह ईमानदार नहीं बेईमान पार्टी है। दूसरी बात यहां कार्यकर्ता को पहचान बनाने नहीं दी जाती। कार्यकर्ता मूल रूप से कहीं का होगा आप उसे ले जाकर कहीं और बैठा देते हैं। दरअसल आम आदमी पार्टी कभी चाहती ही नहीं कि किसी की पहचान बने। जिस नेता की पहचान बनने लगती है, उसे फौरन हटा दिया जाता है। आज जो बातें पंजाब में खुलकर सामने आ रही हैं, वे बहुत पहले से पार्टी को बताई जाती रही हैं। लेकिन आलाकमान चुप था। पार्टी के लीडर की चुप्पी उनकी सहमति नहीं तो और क्या है? दिल्ली से लाकर आपने आॅब्जर्वर यहां बैठा दिए। क्या पंजाब में ऊंचे से लेकर निचले स्तर तक का कोई व्यक्ति नहीं मिला आपको? दिल्ली से आए आम आदमी पार्टी के लोगों ने पंजाब में यह संदेश साफ-साफ दे रखा था कि अगर टिकट चाहिए तो दिल्ली के लोग ही दिला सकते हैं। पंजाब के आम आदमी पार्टी के लोगों की कोई हैसियत नहीं है। पार्टी के भीतर गंदगी ही गंदगी है। जितना कुरेदा जाएगा, बदबू और सड़ांध ही मिलेगी।’

ऐसा नहीं कि इस तरह की राय पार्टी से बर्खास्त कर दिए गए या फिर खुद ही किनारा कर लेने वाले पार्टी के पूर्व नेताओं की है। बल्कि घोर समर्थक रहे लोग भी पार्टी के रवैये और पार्टी के मुखिया की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं। जे.एन.यू. में प्रोफेसर कमल मित्र चिनॉय पार्टी के थिंक टैंक और समर्थक थे। लेकिन जनवरी में उन्होंने पार्टी से सदस्यता खत्म कर ली। वजह पार्टी के कुछ फैसले और कुछ लोगों पर अरविंद केजरीवाल का अतिशय भरोसा करना था। प्रो. कमल मित्र चिनॉय इतने कठोर ढंग से न सही मगर सधी हुई जुबान में कुछ सवाल उठाते हैं तो कुछ आरोप भी लगाते हैं। वह कहते हैं, ‘अरविंद केजरीवाल की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वह कान के कच्चे हैं। अपने दोस्तों को ज्यादा ढील देते हैं, उन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। तोमर की फर्जी डिग्री हो या सोमनाथ भारती का मामला। पहले अरविंद ने इनका बचाव किया। बाद में जब बात सही निकली तो दोनों पर कार्रवाई हुई।’ कमल मित्र चिनॉय आशुतोष के बयान को सरासर गलत मानते हैं, ‘गांधी जी के साथ जिन दो औरतों का जिक्र आशुतोष ने किया है वह बिल्कुल भी उस तरह से नहीं था जैसा ब्लॉग में लिखा गया।’ वह बातों ही बातों में यह भी इशारा करते हैं कि पार्टी के भीतर समानांतर कई आवाजें हैं, एक ही बात पर कई-कई लोग बोलते हैं, कभी आशुतोष तो कभी मनीष सिसोदिया, तो कभी कोई और।’ उनकी इस बात से लगता है पार्टी के भीतर अपनी-अपनी ढपलीऔर अपना-अपना राग चल रहा है। कर्नल सेहरावत के आरोपों का जिक्र करते हुए कहते हैं, ‘कर्नल बहुत अच्छे और समझदार व्यक्ति हैं। उनके आरोप बिना किसी आधार के नहीं हो सकते। इसकी जांच गहराई से होनी चाहिए।’

वह इस बात का भी जिक्र भी करते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान वह बनारस न केवल प्रचार के लिए गए, बल्कि दो लाख रुपये चंदा भी दिया। चंदे का जिक्र और बनारस जाकर प्रचार करने की बात से कहीं न कहीं यह जाहिर होता है कि प्रो. कमल मित्र चिनॉय भी खुद को उसी तरह से छला और ठगा महसूस कर रहे हैं जैसे वे कार्यकर्ता और समर्थक जो पार्टी के ईमानदार रवैये और राजनीति में सकारात्मक बदलाव के वादे के साथ जुड़े थे। पार्टी में जिस तरह प्याज के मानिंद एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं उससे सबसे ज्यादा आहत आम जन और खासतौर पर आम वोटर है। हालांकि प्रो. मित्र चिनॉय ने फर्जी डिग्री के मामले पर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की पूर्व मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी की डिग्री का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगे फर्जी डिग्री के आरोप को भी याद दिलाया। यानी आज भी वह इस पार्टी के लिए कहीं कोई नरम कोना तो जरूर रखते हैं।

आम आदमी पार्टी पूरी तरह से घिरी नजर आ रही है। दिल्ली के पूर्व बाल एवं महिला विकास मंत्री संदीप कुमार के सेक्स स्कैंडल ने काफी कुछ सतह पर ला दिया है। दिल्ली से लेकर पंजाब तक पार्टी के भीतर लगातार असंतोष बढ़ रहा है। कुछ लोग तो अलग हो गए पर पार्टी के भीतर कई लोगों के भीतर गुस्सा है। लेटर बम फोड़ने वाले कर्नल सेहरावत की तरह कई दूसरे लोग भी पार्टी के रवैये से नाराज हैं। प्रो. आनंद कुमार ने साफ कहा, ‘अभी न जाने कितने और नेता बागी होंगे।’ तो कोई बड़ी बात नहीं कि सेहरावत के बाद कोई दूसरा विधायक भी कुछ ऐसी ही शिकायत लेकर सामने आ जाए। पार्टी कुल मिलाकर कई हिस्सों में टूट चुकी है। कुछ और लोगों के इससे अलग होने के आसार साफ नजर आ रहे हैं।