लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें पूरी तरह लागू नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को अल्टीमेटम दे दिया है कि उसे इसे लागू करना ही होगा। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि दो हफ्ते के भीतर बोर्ड कमेटी की सिफारिशें मानने का हलफनामा दे। कोर्ट ने लोढ़ा पैनल को एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने का भी आदेश दिया जो बीसीसीआई के तमाम ठेकों की जांच करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक तय रकम से ऊपर के बीसीसीआई के ठेके अब लोढ़ा कमेटी की निगरानी में ही जारी होंगे। बीसीसीआई किस सीमा तक के कॉन्ट्रेक्ट खुद जारी कर सकती है, ये लोढ़ा कमेटी ही तय करेगी। साथ ही कोर्ट ने बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट बोर्डों को फंड जारी करने पर भी रोक लगाते हुए कहा कि तब तक फंड न दिए जाएं जब तक राज्य के बोर्ड भी लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के संबंध में हलफनामा नहीं दे देते। इस मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई चेयरमैन हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि 18 जुलाई के आदेश का पालन करेंगे। तीन दिसंबर तक बीसीसीआई प्रमुख हलफनामा दाखिल करेंगे और इससे पहले वह लोढ़ा पैनल को बताएंगे कि रिफॉर्म कैसे करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों आदेश सुरक्षित रखा था कि बीसीसीआई में प्रशासक नियुक्त किए जाएं या नहीं और बीसीसीआई को और वक्त दिया जाए या नहीं। तब सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि आप लगातार कोर्ट के आदेशों में रुकावट पैदा कर रहे हैं। लोढ़ा पैनल का भी यही मानना है कि बीसीसीआई सिफारिशों को लागू नहीं करना चाहता, इसलिए पदाधिकारियों को हटा देना चाहिए।

17 अगस्त को सुनवाई के दौरान इस मामले में एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने बीसीसीआई का काम देखने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति की सिफारिश की थी। सुब्रमण्यम ने कहा था कि बीसीसीआई के अधिकारियों के रवैये से साफ है कि वो किसी भी तरह से सुधार को टालना चाहते हैं। इसी साल 18 जुलाई कोर्ट ने कमेटी की सभी सिफारिशें मंज़ूर की थीं। कोर्ट ने छह महीने में इन्हें लागू करने का आदेश दिया था। अब कमेटी ने शिकायत की है कि बीसीसीआई जानबूझकर सुधार की राह में रोड़ा अटका रहा है।

बीसीसीआई की दलील है कि वो सिफारिशें लागू करने को तैयार है। कई सिफारिशें लागू भी की गईं हैं मगर पूरी तरह बदलाव के लिए दो तिहाई राज्य क्रिकेट संघों के वोट जरूरी हैं। उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है। इस दलील पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट सुधार में अड़चन डाल रहे राज्य क्रिकेट संघों का फंड रोकने को कहा था।
एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ एक ही हैं। सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए कहा जा रहा है कि राज्य संघ तैयार नहीं हैं। गोपाल सुब्रमण्यम ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के हलफनामे पर भी सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर से पूछा था कि उन्होंने आईसीसी के सीईओ डेविड रिचर्डसन को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों का विरोध करने के लिए कहा था या नहीं। जवाब में ठाकुर ने कहा है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। सिर्फ मौजूदा आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर के उस बयान की याद दिलाई थी जो उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष रहते दिया था। तब मनोहर ने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी के प्रतिनिधि की नियुक्ति कामकाज में सरकारी दखल है। ठाकुर के मुताबिक उन्होंने सिर्फ पुराने बयान के आधार पर स्पष्टता देने को कहा था। वो ये जानना चाहते थे कि कहीं आईसीसी बीसीसीआई के खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं करेगी।

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अगुआई वाली जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच कर रही है। लोढा समिति ने एक राज्य एक वोट, बीसीसीआई अधिकारियों के पद पर उम्र और कार्यकाल की समयसीमा, मंत्रियों के बोर्ड से दूर रहने जैसी कई अहम और सख्त सिफारिशें दी हैं जिसे बोर्ड ने लागू करने में असमर्थता जताई थी।