सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के विशेष जज रहे बीएच लोया की मौत के मामले में स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम से जांच कराये जाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जजों के बयान पर शक करने की कोई वजह नहीं है।

 कोर्ट का कहना है कि न्यायिक अधिकारियों और बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर न्यायपालिका को विवादित बनाने की कोशिश की जा रही है। लोया की मृत्यु की परिस्थितियों के संबंध में चार न्यायाधीशों के बयानों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों और उनकी जांच यह साबित करती है कि लोया की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है

न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में ओछी और प्रेरित याचिकाएं दायर की गईं। न्यायालय ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर विचार कर रहा था लेकिन उसने इस पर आगे न बढ़ने का फैसला किया।

बता दें कि लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से उस वक्त हुई थी, जब वह अपने एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शिरकत के लिए नागपुर गए थे। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 16 मार्च को इन अर्जियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।