सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद और राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की जमानत पर अंतरिम रोक लगाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि उनका पक्ष भी जानना जरूरी है। हालांकि शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर सर्वोच्च अदालत ने पूछा है कि क्यों न अापकी जमानत रद्द कर दी जाए। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।

हत्या के एक मामले में पटना हाई कोर्ट ने शहाबुद्दीन को जमानत दी थी। इसके बाद मचे राजनीतिक घमासान के बाद बिहार सरकार और पीड़ित पक्ष की ओर से मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले में शहाबुद्दीन का पक्ष सुनना चाहता है। बिहार सरकार ने अपनी याचिका में मांग की थी कि शहाबुद्दीन की जमानत पर रोक लगे और शहाबुद्दीन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो। राजीव रोशन की हत्या मामले में हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 11 साल से जेल में रह रहे शहाबुद्दीन को भागलपुर सेंट्रल जेल से 10 सितंबर को रिहा किया गया था। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। मई में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के बाद शहाबुद्दीन को सीवान जेल से भागलपुर जेल भेज दिया गया था।

बिहार सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट में पीड़ित पक्ष को उचित ढंग से नहीं सुना गया और गवाहों की सुरक्षा से संबंधित अदालत द्वारा पूर्व में जताई गई सारी चिंताओं को दरकिनार कर इस हिस्ट्रीशीटर को जमानत दी गई। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि शहाबुद्दीन कोई सामान्य अपराधी नहीं है, उसे जेल से बाहर नहीं रखा जा सकता है। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करना स्वीकार किया। भूषण ने याचिका में कहा है कि शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने के बाद क्षेत्र में सनसनी और डर का माहौल बन गया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2004 में दो भाइयों गिरीश और सतीश की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को दिसंबर 2015 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। मामले में इकलौते गवाह मृतकों के भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पटना हाई कोर्ट का जमानत देने का आदेश कानून का मजाक उड़ाना है क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी अनदेखा कर दिया कि शहाबुद्दीन पर 13 मई 2016 को सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का भी आरोप है। इसके अलावा 18 मई 2016 को सीवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से 40 मोबाइल भी बरामद हुए।

याचिका में आधार
-शहाबुद्दीन ए श्रेणी का हिस्ट्रीशीटर है जिसे सुधारा नहीं जा सकता।
-उस पर कुल 58 आपराधिक मामले हैं, जिसमें से आठ में दोषी करार दिया जा चुका है।
-नवंबर 2014 तक उसके खिलाफ मजिस्ट्रेट के 27 और सेशन के 11 मुकदमे लंबित हैं।
-हत्या के दो मामलों में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।
-अभी भी हत्या, हत्या का प्रयास, हत्या के उद्देश्य से अपहरण, जबरन उगाही, चोरी और खतरनाक हथियारों के साथ दंगा करने के मामलों में सुनवाई चल रही है।