पुणे। पुणे के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर एक बार फिर हंगामा शुरू हो गया है। शनिवार को मंदिर में घुसने की कोशिश कर रहीं भूमाता ब्रिगेड की सदस्यों को रोक दिया गया । साथ ही  पुलिस ने भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई को हिरासत में ले लिया है।  बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद महिलाएं शनि मंदिर में पूजा करने जा रही थीं लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते भारी हंगामा मच गया।

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गांववालों ने किया तृप्ति देसाई का विरोध

भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई के नेतृत्व में महिलाएं मंदिर के अंदर जाने पर अड़ी हैं लेकिन स्थानीय लोग जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, इन्हें मंदिर के अंदर जाने से रोक रहे हैं। एनसीपी की महिला कार्यकर्ताओं ने मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की जिस पर स्थानीय लोगों के साथ उनकी धक्कमुक्की शुरू हो गई। स्थानीय महिलाएं तृप्ति देसाई का भी विरोध कर रही हैं। गांववालों ने तृप्ति को घेर लिया और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

tripti-desaiमहिलाओं को मंदिर में ना घुसने देना लोकतंत्र की हत्या

तृप्ति देसाई का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद उन्हे मंदिर में ना घुसने देना लोकतंत्र की हत्या करने के समान है पुलिस को चाहिए की वो हमें सुरक्षित रूप से मंदिर में जाने में मदद करे।

अदालत के आदेश की कॉपी मिलने तक जारी रहेगी पुरानी परंपरा

इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंदिर प्रशासन की एक बैठक हुई जिसमें ये तय किया गया है कि जब तक मंदिर प्रशासन को अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिलती है तब तक पुरानी परंपरा जारी रहेगी।

अदालत का फैसला महिलाओं की जीत

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन बरखा शुक्ला का कहना है कि अदालत का फैसला महिलाओं की जीत है। उन्होने कहा कि भगवान पुरुष और महिला में भेदभाव नहीं करता इसलिए मंदिर में भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।

मंदिर में पूजा को लेकर क्या है विवाद

परंपरा के मुताबिक शनि मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनि देव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने या पूजन करने की इजाजत नहीं है। ट्रस्ट का दावा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है।  29 नबंवर, 2015 को एक महिला ने शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा की और तेल चढ़ाया। इसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इसको लेकर काफी विवाद हुआ। भूमाता ब्रिगेड और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने इसे क्रांतिकारी घटना बताकर स्वागत किया था।  15 साल पहले भी शनि मंदिर में पूजा को लेकर महिलाओं ने आवाज बुलंद की थी। तब एक्टर डॉ. श्रीराम लागू भी इस मुहिम से जुड़े थे।