भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लम्बा राजनीतिक अनुभव है। वे युवा हैं, कठोर परिश्रम करते हैं और पारदर्शिता में विश्वास करते हैं। उत्तर प्रदेश को अच्छी तरह जानते हैं। पर उत्तर प्रदेश बड़ा प्रदेश है और समस्याएं भी बहुत हैं।

ओपिनियन पोस्‍ट के 1 से 15 मई के ताजा अंक में प्रकाशित बातचीत में उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों का आप आकलन करें तो देखेंगे कि सत्तर के दशक से राज्य की राजनीति में तीन नासूर थे- जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण। इस जनादेश ने तीनों को बाहर रास्ता दिखा दिया है। यूपी के लोगों ने सिद्ध कर दिया कि इन तीनों पर अब राजनीति नहीं चलेगी। भाजपा को इन तीनों मुद्दों पर निर्णायक जीत मिली है। इसकी शुरुआत 2014 में ही हो गई थी जब प्रधानमंत्री पद के लिए लोगों ने नरेन्द्र मोदी को भारी समर्थन दिया और प्रदेश की अस्सी में से तिहत्तर लोकसभा सीटों पर जिता दिया।

उन्‍होंने कहा कि कश्मीर की यह स्थिति अचानक एक दो दिन में नहीं बनी है। समस्या शेख अब्दुल्ला और जवाहर लाल नेहरू के समय से शुरू हुई है। इसलिए एक दो महीने की घटनाओं से कश्मीर की समस्या का आकलन करना जल्दबाजी होगी। आजादी के समय से जो कुछ हुआ उसकी पूरी पृष्ठभूमि आपको देखनी चाहिए। कश्मीर के हालात 1990 से ज्यादा बिगड़े। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार तीन साल से है।

कश्मीर की स्थिति को केंद्र सरकार ने संभाला है। राज्य में गठबंधन की सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर काम कर रही है। जो वहां स्थिति को संभाल रहे हैं उनकी नीयत और कुशलता सब जनता के सामने है। हम विकास की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे काम हो रहे हैं जिनसे स्थायी बदलाव दिखे। पर यह बात भी समझनी चाहिए कि वहां जो हो रहा है वह सब कुछ आम जानकारी में नहीं है।

देश भर में कुल करीब डेढ़ सौ ऐसी लोकसभा सीटें हैं जिन्हें हम कमजोर समझते हैं। ये सीटें केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, बंगाल और त्रिपुरा में हैं। केरल में हमें पंद्रह फीसदी वोट मिले। त्रिपुरा में अब हम मुख्य विपक्षी दल हैं। बंगाल में तो विकास हुआ ही नहीं है। पर तुष्टीकरण की राजनीति साफ नजर आती है। इन राज्यों में संगठन की गतिविधियां बढ़ रही हैं। इसलिए इन इलाकों में पार्टी का भविष्य उज्ज्वल नजर आता है।