नई दिल्ली।

सीबीआई जज बीएच लोया की मौत को लेकर लगाई गई एसआईटी जांच की याचिका को खारिज कर दिए जाने के बाद सवाल उठा है कि उनकी मौत पर राजनीति की जाती रही है या मामला कुछ और ही था। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि एसआईटी जांच वाली याचिका में कोई दम नहीं है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने फैसला सुनाने के बाद कहा कि ऐसी याचिकाओं के लिए कोर्ट के पास समय नहीं है।

उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं। बृहस्‍पतिवार को संवाददाता सम्मेलन कर कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जज लोया की मौत के बाद दो और साथियों की भी मौत हुई थी। इस मामले में कई तरह के आरोप सामने आए। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

सुरजेवाला ने कहा कि आज का दिन काफी दुखद है, जज लोया की मौत की जांच मामला काफी गंभीर था। उन्होंने कहा कि वो सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें अमित शाह का नाम आया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी कई तरह के सवाल बाकी हैं।

जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे। 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर को गुजरात पुलिस ने अगवा किया और हैदराबाद में हुई कथित मुठभेड़ में उन्हें मार दिया गया था। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी।

मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था। इस मामले की सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे,  बाद में उनका तबादला हो गया था। इसके बाद जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई थी।

दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया था। जस्टिस लोया की मौत के बाद जिन जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था।

हाल ही में कुछ समय पहले एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जस्टिस लोया की मौत साधारण नहीं थी बल्कि संदिग्ध थी। उसके बाद से ही यह मामला दोबारा चर्चा में आया। लगातार इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रही है।

हालांकि, जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कुछ दिन पहले ही प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को बड़ा करने पर नाराजगी जताई थी। अनुज ने कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक थी, वह इस मसले को बढ़ने देना नहीं चाहते हैं।