भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को खत्म करने को लेकर लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि संधि 1960 की है और आधी सदी से ये सही चल रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा।

दरअसल,, यह जनहित याचिका सितंबर 2016 में याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने लगाई थी। याचिका में बताया गया था कि यह संधि पूरी तरह से असंवैधानिक है और इसे खत्म कर देना चाहिए।

याचिकाकर्ता शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को दलील दी थी कि यह संधि औपचारिक नहीं थी। यह दो देशों के नेताओं के बीच निजी समझौता था। इतना ही नहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस संधि पर साइन किया था। जबकि कानूनन इस संधि पर राष्ट्रपति के साइन होना अनिवार्य था।

विशेषज्ञ मानते हैं कि  सिंधु जल संधि के नियमों के अनुरूप कोई भी देश एक तरफ़ा निर्णय लेकर इस संधि को तोड़ नहीं सकता। अपितु दोनों देश इस संधि में कुछ सुधार कर सकते हैं या एक नया समझौता कर सकते हैं।