नई दिल्‍ली। पिछले सप्‍ताह नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक से जितना बड़ा हंगामा हुआ है, उससे कहीं ज्‍यादा बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सरकार के पास उसके सबूत हैं तो विपक्षियों के पास सवाल। इन सवालों पर भी बवालों का सिलसिला शुरू हो गया है। कुछ लोग सर्जिकल स्‍ट्राइक पर सवाल उठने से सशंकित हैं तो कुछ आहत। लेकिन एक अंग्रेजी अखबार ने पीओके के पांच चश्‍मदीदों से संपर्क साध कर इससे जुड़ा बड़ा खुलासा किया है।

एलओसी के पास रहने वाले लोगों का दावा है कि 29 सितंबर की रात हुए हमले में मारे गए लोगों के शवों को भोर से पहले ही ट्रक में लादकर ले जाया गया और उन्हें दफन कर दिया गया। मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार बड़े ही गुपचुप तरीके से किया गया। फिर भी यह सवाल बरकरार है कि क्‍या चश्‍मदीदों के बयान सर्जिकल स्‍ट्राइक के पुख्‍ता सबूत हो सकते हैं?

एक चश्मदीद ने तो ये भी बताया, ‘जिहादियों की पनाहगाहों को तबाह कर दिया गया। दोनों पक्षों के बीच भारी गोलीबारी भी हुई। नियंत्रण रेखा के पास रहने वालों ने सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान निशाना बनाए गए ठिकानों की भी जानकारी दी जिसका खुलासा न तो भारत और न ही पाकिस्तान की ओर से किया गया है। हालांकि चश्मदीदों की गवाही और खुफिया रिकॉर्ड के मुताबिक स्ट्राइक में मारे गए लोगों की संख्या भारतीय अधिकारियों के साझा किए गए 38-50  के आंकड़े से कम हो सकती है। फिर भी इस हमले में जिहादियों के बुनियादी ढांचे को नुकसान जरूर पहुंचा है।

सर्जिकल स्ट्राइक के ज्यादातर डिटेल दो चश्मदीदों ने मुहैया कराए। ये लोग दुधनियाल तक गए थे। दुधनियाल एलओसी पार पाक का एक छोटा सा इलाका है। ये एलओसी से सबसे नजदीक भारत की पोस्ट गुलाब (कुपवाड़ा) से 4 किलोमीटर दूर है। चश्मदीदों ने बताया, ‘हमने अल हावी पुल के पार एक बिल्डिंग देखी। अल हावी पुल बिल्डिंग को मुख्य बाजार से जोड़ता है। इस कंपाउंड को मिलिट्री और लश्कर-ए-तैयबा दोनों इस्तेमाल करते हैं।’ ‘अल हावी पुल वो अंतिम प्वाइंट है जहां एलओसी पार कर भारत आने वाले घुसपैठियों को अस्लहा दिया जाता है।’

चश्मदीद ने ये भी बताया, ‘लोग डर की वजह से घटना को देखने घर से बाहर नहीं निकले। इसलिए वे भारतीय जवानों को नहीं देख पाए। अगले दिन उन्हें लश्कर के लोगों ने इकट्ठा किया और बताया कि उन पर हमला हुआ था। अगले दिन ही 5 या शायद 6 बॉडी को ट्रक में भरकर ले जाया गया। यह भी मुमकिन है कि बॉडी नीलम नदी के पार मौजूद लश्कर के चल्हाना कैंप ले जाई गई हों।’