व्लादिमीर पुतिन रूस में तकरीबन 76 फीसदी लोगों का वोट लेकर चौथी बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं। आपको बताते हैं कि आखिर रूस में किस तरह चुनाव होते हैं और पुतिन का राजनीतिक करियर कैसा रहा है।

पुतिन 19 साल पहले कार्यकारी राष्ट्रपति बने थे। साल 2000 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और 53 फीसदी वोट पाकर उन्होंने जीत हासिल की। 2004 में पुतिन एक बार फिर चुनाव लड़े और 71.2 फीसदी वोटों से राष्ट्रपति बने। वहीं 2012 में पुतिन 63.3 फीसदी वोट पाकर एक बार फिर जीते। अब 2018 में पुतिन ने 76 प्रतिशत वोट से जीत हासिल की है।

कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव: रूस में पहले किसी भी राष्ट्रपति का कार्यकाल चार साल का होता था, लेकिन साल 2012 में हुए बदलाव के बाद राष्ट्रपति का कार्यकाल 6 साल के लिए कर दिया गया है।

कैसे होती है वोटिंग: रूस में वोटिंग के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव होता है। मतदान दो चरणों में करवाई जाती है और पहले चरण में किसी उम्मीदवार को बहुमत हासिल नहीं होता है, तो दूसरे चरण का मतदान होता है। दूसरे चरण के मतदान में पहले चरण के दो टॉप उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं।

रूस में कोई भी शख्स लगातार दो बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। पुतिन भी तीन बार देश के राष्ट्रपति रहे हैं, लेकिन साल 2008 का चुनाव नहीं लड़ा था। एक चुनाव छोड़ने के बाद वो देश के राष्ट्रपति बने। पहले चरण की वोटिंग होने के बाद दूसरे चरण की वोटिंग की आवश्यकता होती है तो अगले महीने इसका चुनाव करवाया जा सकता है।

रूस में भारत की तरह ही सदन की कार्रवाई होती है। वहां हमारी संसद की तरह फेडरल असेंबली होती है। साथ ही दो सदनों की तरह काउंसिल ऑफ फेडरेशन और स्टेट डुमा होता है।

रूस में असली पावर राष्ट्रपति के पास होती है। राष्ट्रपति रूस का सबसे ताकतवर शख्स होता है। पावर के नाम पर दूसरे स्थान पर प्रधानमंत्री हैं और तीसरे स्थान पर हैं फेडरल काउंसिल (ऊपरी सदन) के अध्यक्ष।