नई दिल्ली।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस में सुनवाई फिलहाल लटक गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी मुख्य पक्षकार नहीं हैं। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि इस मामले से जुड़े सभी पक्ष मिलकर आम राय बनाएं। अगर बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे और इस मुद्दे का हल निकालने के लिए मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति करेंगे।

सुनवाई के वक्त स्वामी के अलावा इस केस से जुड़े दूसरे पक्षकार भी मौजूद थे, जिन्होंने स्वामी की याचिका पर आपत्ति जताई और कोर्ट को बताया कि ये केस से जुड़े पक्षकार नहीं हैं। कोर्ट ने स्वामी से पूछा कि क्या आप इसके पक्षकार हैं? फिलहाल हमारे पास आपको सुनने का वक्त नहीं है। हालांकि पिछले साल 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ही स्वामी को इजाजत दी थी कि वे अयोध्या टाइटल विवाद से जुड़े मामलों में दखल दें। स्वामी ने एक अर्जी दाखिल कर मंदिर बनाने की मांग की है।

स्वामी की जल्द सुनवाई की मांग करने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज तो किया ही, स्वामी से एक के बाद एक कई और सवाल पूछे। कोर्ट ने उनसे पूछा कि जब आप इस मामले में पक्षकार भी नहीं है, ऐसे में आप जल्द सुनवाई की मांग क्यों करना चाहते हैं। आप इसमें जबरन पक्ष क्यों बन रहे हैं जबकि ये प्रॉपर्टी का भी मामला है।

स्वामी ने कहा, मैं इस मामले में पक्षकार नहीं हूं। न ही मैं किसी तरह की संपत्ति का क्लेम कर रहा हूं। मैं बस एक धार्मिक आदमी की तरह इस मंदिर में पूजा करना चाहता हूं। मामला कोर्ट में अटका रहने की वजह से मैं पूजा से वंचित हो रहा हूं। स्वामी ने कहा कि आप जिसको इच्छा हो यह संपत्ति दे दीजिए,  मुझे मंदिर-मस्जिद की जायजाद से कोई वास्ता नहीं है।

स्वामी के इस जवाब पर पलटवार करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम आपकी भावनाओं को समझते हैं लेकिन हमारे पास इस मामले की त्वरित सुनवाई के लिए अभी वक्त नहीं है। स्वामी ने कोर्ट से अपील की कि कोर्ट जल्द सुनवाई का रास्ता खोलकर रखे, ताकि वह सुनवाई के लिए याचिका फिर से डाल सकें। कोर्ट ने कहा कि आप भविष्य में पुनः याचिका डाल सकते हैं लेकिन अभी कोर्ट के पास इस मामले की सुनवाई करने का समय नहीं है।

कौन हैं 3 पक्ष

निर्मोही अखाड़ा: विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह।

रामलला विराजमान: एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह।

सुन्नी वक्फ बोर्ड: विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा।