नई दिल्ली।

देश 68वां गणतंत्र दिवस ताकत और विविधता के प्रदर्शन के साथ राजपथ पर संपन्न हुआ। इससे पहले प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पहुंचे और उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने विजिटर्स बुक पर अपना संदेश लिखा। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद भी समारोह में शामिल थे।

राजपथ पर स्वदेशी विमान ‘तेजस’ और तोप ‘धनुष’ के साथ उन्नत सैन्य साजो-सामान के प्रदर्शन ने देशवासियों को गौरवान्वि‍त कर दिया। राज्यों की खूबसूरत झांकियों और वीर सैनिकों के करतब ने लोगों का मन मोह लिया।

आजादी के बाद देश को चलाने के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में हमारे देश का संविधान लिखा गया, जिसे लिखने में पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे। हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को हमारे देश पर लागू हुआ, फिर इसी उपलक्ष्य में हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने लगे। गणतंत्र दिवस हर भारतवासियों के लिए बहुत मायने रखता है,  इसलिए हम इसे बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं।

26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया। गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 में दिल्ली के राजपथ पर हुई थी। भारतीय संविधान की दो प्रत्तियां हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गईं। पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था।

भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और हर साल 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं। यह दिन गणतंत्र दिवस के समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता।

गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अमर ज्योति पर शहीदों को श्रद्धाजंलि देते हैं, जिन्होंने देश के आजादी में बलिदान दिया। परेड में विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी भी होती हैं, प्रदर्शनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है। हर प्रदर्शिनी भारत की विविधता व सांस्कृतिक समृद्धि प्रदर्शित करती है।