नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें ऐसे दोषियों की सजा केंद्र सरकार से परामर्श के बगैर माफ नहीं कर सकती जिन पर केंद्रीय कानूनों के तहत मुकदमा चला हो और जिनकी जांच सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने की हो। राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले से पैदा हुए संवैधानिक संकट को सुलझाते हुए मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने दो दिसंबर को कहा कि राज्यों को माफी देने का अधिकार है लेकिन वे इसे स्वत: संज्ञान लेते हुए नहीं कर सकते।

suprem-coaurtशीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्रीय कानूनों के तहत दर्ज मामलों में दोषियों की सजा माफी में केंद्र की सलाह जरूरी है। उसकी मंजूरी के बगैर ऐसा करना कानूनन सही नहीं है। एचएल दत्तू दो दिसंबर को रिटायर हो गए। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 20 फरवरी को राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों मुरगन, संतन और अरिवु को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। तीनों को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया गया था। बाद में अदालत ने चार अन्य दोषियों नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई पर भी रोक लगा दी थी और कहा था कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित शामिल थे। पीठ ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषियों की सजा माफी के तथ्यात्मक और कानूनी पहलुओं को तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजा था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि वह सजा माफी के कार्यपालिका के अधिकारों के दायरे पर छोटी पीठ द्वारा निर्धारित विभिन्न मुद्दों को देखेगी।

छोटी पीठ के संदर्भ में उठाए गए सभी मुद्दों पर जवाब देने में पीठ में सर्वसम्मति थी लेकिन इस मामले में 3 के मुकाबले 2 के अनुपात में सहमति नहीं थी कि क्या अदालतें ऐसे अपराधों में जेल की सजा निर्धारित कर सकती हैं जिनमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान हो। बहुमत इस पक्ष में था कि अदालतों को ऐसा करने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस मसले पर केंद्र से पूछा था कि क्या राज्यपाल किसी ऐसे दोषी को माफी दे सकते हैं जिसकी माफी याचिका राष्ट्रपति ने ठुकरा दी हो। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने जवाब में कहा था कि राजीव गांधी के हत्यारे माफी के लायक नहीं हैं।

संतन, मुरगन और अरिवु फिलहाल वेल्लूर केंद्रीय जेल में बंद हैं। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई, 1991 को राजीव गांधी की हत्या में शामिल अन्य चारों दोषी भी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।