खराब प्रदर्शन का दोषी आईओए : मिल्खा सिंह

रियो में भारतीय खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन का दोषी भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन है, क्योंकि देश में खेलों के संचालन की जिम्मेदारी उसकी होती है। भारतीय खिलाड़ियों ने पिछले ओलंपिकों में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते हैं। लेकिन इस बार तो हम दो ही पदक जीत सके हैं। सही मायनों में हमारे एथलीटों के प्रदर्शन में पिछले ओलंपिक खेलों के मुकाबले स्तर में गिरावट आई है। अब आईओए को राष्ट्रीय खेल फेडरेशनों के अध्यक्षों और सचिवों की मीटिंग बुलाकर सबसे पहले उन खेलों का चयन करना चाहिए, जिनमें भारत के पदक जीतने की संभावना हो। ऐसे खेल छांटकर इसके खिलाड़ियों को अभी से कड़ा अभ्यास कराया जाए, ऐसा करने पर ही ओलंपिक में पदक जीतने में सुधार किया जा सकता है।

प्रदर्शन का आकलन जरूरी : अशोक ध्यानचंद

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और 1975 में विश्व कप जिताने में विजयी गोल जमाने वाले अशोक ध्यानचंद का रियो ओलंपिक में भारतीय प्रदर्शन के बारे में कहना है, ‘हम भारतीयों की खूबी है कि हम बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं। इसलिए ही एक रजत और एक कांस्य के साथ कुल दो पदक जीतने पर भी देश में खुशी का माहौल है। सही मायनों में देखा जाए तो सवा अरब की आबादी वाले देश के 118 एथलीट ओलंपिक में भाग लेकर सिर्फ दो पदक के साथ लौटें तो इससे खराब प्रदर्शन और क्या हो सकता है।’

अशोक ने कहा, ‘देश में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आकलन का कोई सिस्टम नहीं होने से हमें हर बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर थुक्का-फजीहत का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में होता यह है कि फेडरेशनें जितने पदक जीतने के बारे में हमें बताती रहती हैं, हमें उस पर विश्वास करना पड़ता है। मुझे तो लगता है कि सरकार, आईओए, साई और राज्य सरकारों में कमिटमेंट की कमी नजर आती है। इस वजह से ही खिलाड़ियों को समय पर मदद नहीं मिल पाती है। ये तीनों ही खिलाड़ी के पदक जीतकर लौटते ही इनामों की बोछारें कर देती हैं। लेकिन खिलाड़ी शुरुआती दिनों में जब मदद की जरूरत महसूस करता है तो कोई भी मदद को आगे नहीं आता है। इसलिए सबसे पहले तो सही समय पर मदद करने का तरीका विकसित करने की जरूरत है।’ अशोक कहते हैं, ‘अगर खिलाड़ियों के प्रदर्शन का समय-समय पर आकलन किया जाने लगे तो पदक के दावेदारों को ही भेजा जा सकता है। ऐसा करने पर एथलीट 50वें और 60वें स्थान पर रहकर वापसी नहीं करेंगे।’

जैशा ने अधिकारियों पर जड़ा आरोप

महिला मैराथनर ओपी जैशा ने फेडरेशन अधिकारियों पर रियो ओलंपिक में मैराथन के दौरान पानी तक की व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगाया है, जिसकी वजह से वह फिनिश लाइन पर बेहोश होकर गिर गर्इं। उनका कहना है कि फेडरेशन अधिकारियों की लापरवाही से मेरी जान भी जा सकती थी। लेकिन फेडरेशन अधिकारी इस आरोप को सिरे से नकार रहे हैं। उनका कहना है कि हमने जैशा और राउत दोनों को पानी और एनर्जी ड्रिंक्स देने की बात कही थी। पर उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। असल में होता यह है कि मैराथन के दौरान आयोजक हर आठ किमी. की दूरी पर पानी और खाने की व्यवस्था करते हैं। लेकिन भाग लेने वाले कुछ फेडरेशन दो-दो किमी की दूरी पर पानी और एनर्जी ड्रिंक्स की व्यवस्था कर देते हैं। इस व्यवस्था के नहीं होने का जैशा आरोप लगा रही हैं।

इस मैराथन में जैशा के साथ कविता राउत ने भी भाग लिया था। उनका कहना है कि मैं अपनी बात जानती हूं और मुझसे फेडरेशन अधिकारियों ने ड्रिंक्स की व्यवस्था के लिए कहा था। पर मैंने इससे इनकार कर दिया था। फेडरेशन का कहना है कि जैशा घटिया प्रदर्शन करके 89वें स्थान पर रहीं, इसलिए वह इससे ध्यान हटाने के लिए यह आरोप लगा रही हैं। पर जैशा जैसी सीनियर एथलीट के इस तरह से आरोप लगाने को हल्के में भी नहीं लिया जा सकता है। इसलिए इस मामले की जांच करके दोषी को सजा जरूर देनी चाहिए।