सुनील वर्मा

धर्म और अध्‍यात्‍म के नाम पर डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख बाबा राम रहीम के पाखंड और बडी संख्‍या में महिलाओं के यौन शोषण की गूंज अभी शांत भी नहीं हुई थी कि देश की राजधानी दिल्‍ली से एक ऐसे बाबा के रंगीन किस्‍से सामने आने लगे जो महिलाओं को अध्‍यात्‍म दीक्षा के नाम पर उनका यौन शोषण करता था। वीरेंद्र देव दीक्षित नाम के इस बाबा के आश्रमों से 190 नाबालिग व बालिग लड़कियों और महिलाओं को मुक्‍त कराया गया है जिन्‍हें अध्‍यात्‍म के नाम पर यौन शोषण का शिकार बनाया गया है। दिल्ली के रोहिणी, नांगलोई, द्वारका जैसे इलाकों में बड़े भूभाग पर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम से बने इन आश्रमों के अलावा देश के करीब नौ राज्‍यों में इस रंगीन मिजाज बाबा के 80 आश्रम बताए जा रहे हैं।
वीरेंद्र दीक्षित उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद के गांव चौधरियान का रहने वाला है। 1975 में वीरेंद्र देव का अपने पिता से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। इससे नाराज होकर वह घर से निकल गया। इसके बाद उसने गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत में शोध शुरू किया। बाद में वह राजस्थान के माउंट आबू में प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़ गया लेकिन जल्‍दी ही उसे वहां से भगा दिया गया। 1984 में पिता की मृत्यु के बाद वीरेंद्र देव घर लौटा तो अपने पैतृक मकान में कुछ स्थानीय लोगों के सहयोग से आध्यात्मिक कार्यक्रम शुरू किया। कुछ समय बाद ही उसने आश्रम का निर्माण कराया। यह आश्रम पहली बार 1998 में तब चर्चा में आया जब तीन अलग-अलग राज्‍यों के लोगों की शिकायतों पर पुलिस ने तीन लड़कियों को बरामद किया। तब वीरेंद्र देव को पत्‍नी और कई सेवादारों समेत गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसने खुद को बाबा के तौर पर स्थापित किया और देशभर में 80 आश्रम खोले।
12 नवंबर को यह मामला तब सामने जब राजस्थान के झुंझनू व दिल्ली के दो परिवारों ने रोहिणी के आध्‍यात्मिक विश्‍वविद्यालय में पहुंच कर हंगामा करते हुए आरोप लगाया कि उनकी बेटी वहां जबरन कैद है और उनके साथ सेक्सुअल हिंसा होती है। मामला बढ़ा तो फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट नाम के एनजीओ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस आश्रम के क्रियाकलापों की जांच की मांग की। हाई कोर्ट के आदेश पर आश्रम की छानबीन के लिए बनी कमेटी में दिल्ली पुलिस के अलावा दिल्ली महिला आयोग और शिकायकर्ता पक्ष के अलावा कुछ अन्य एजेंसियों के सदस्यों को भी शामिल किया गया। 21 दिसंबर से छापेमारी शुरू हुई तो आध्‍यात्मिक विश्‍वविद्यालय की सच्‍चाई सामने आई। दिल्‍ली के आठ आश्रमों से शुरू हुई जांच दूसरे राज्‍यों तक पहुंच गई है। आगरा से लेकर फर्रूखाबाद तक आश्रमों की छानबीन चल रही है। हर जगह एक ही शिकायत है कि आश्रमों में लड़कियों का यौन शोषण होता था। बाबा खुद पहले उन्‍हें अपनी हवस का शिकार बनाता था।
हाई कोर्ट ने अपराध का दायरा बढ़ता देख इस मामले की छानबीन और वीरेंद्र देव को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है। वह अभी फरार है। दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बने उसके आश्रमों के खिलाफ लोग लामबंद हो रहे हैं। आश्रम के खिलाफ छापेमारी में अहम भूमिका निभाने वाली दिल्‍ली महिला आयोग की अध्‍यक्ष स्‍वाति मालीवाल का कहना है कि आश्रमों में दिन-रात कड़ा पहरा रहता था और किसी भी महिला को बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। आश्रमों के दरवाजों और खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल लगी हुई हैं। वहां लड़कियों को बंधक की तरह रखा जाता था।
आश्रम की जांच के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले एनजीओ की फाउंडर सीमा शर्मा बताती है कि उन्‍हें कई लड़कियों ने बताया कि बाबा खुद को शिव बताता था। लड़कियों का ब्रेन वॉश कर उससे कहता था कि अगर वे उनसे शारीरिक संबंध बनाएंगी तो पार्वती बन जाएंगी और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। सीमा शर्मा के मुताबिक, आसपास के लोगों ने उन्हें बताया कि रात को आश्रम में बड़ी-बड़ी कारें आती हैं, लोग भर-भरकर आते हैं और लड़कियां यहां से जाती हुई नजर आती हैं।
आशंका है कि लड़कियों को यौन शोषण के लिए बाहर भी भेजा जाता था। पुलिस के मुताबिक, आश्रम के अंदर एक अलग ही दुनिया थी। आश्रम से कोई भी महिला बाहर न जा सके इसके लिए आश्रम के अंदर ही बिजली मैकेनिक, टेलर और धोबी रहते हैं। आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम से चल रहे वीरेंद्र दीक्षित के आश्रम की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई हैरान करने वाली बातें सामने आ रही हैं। पुलिस को कई लड़कियों के परिवार वालों ने बताया कि वीरेंद्र देव न सिर्फ लड़कियों के साथ गलत काम करता था बल्कि उनके परजिनों की जमीन, प्रॉपर्टी या पैसा हड़पने का भी काम करता था।